सरकार बाजार की जरूरत और आकलन के अनुसार नए सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) जारी करने पर फैसला लेगी। सूत्रों का ऐसा कहना है। हालांकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार लागत और सोने के बढ़ते दामों के मद्देनजर नए स्वर्ण बॉन्ड जारी करने को लेकर उत्सुक नहीं है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 25 का बजट पेश करते हुए में कहा था कि सरकार ने 18,500 करोड़ रुपये के सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड जारी करने का लक्ष्य तय किया था। सूत्र के अनुसार, ‘जरूरतों और बाजार की दशाओं के आकलन के आधार फैसला लिया जाएगा। यदि उधारी लेनी है तो इसका विस्तार करना होगा। यदि नहीं लेंगे तो हमें इसके विस्तार की जरूरत नहीं होगी।
सरकारी सूत्रों ने पहले संकेत दिया था कि सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड योजना को जारी करने पर फैसला सितंबर में लिया जाएगा। यह फैसला भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के उधारी कैलेंडर चर्चा के अनुरूप होता। वित्त मंत्रालय ने बाजार से 6.61 लाख करोड़ रुपये की उधारी लेने की योजना की गुरुवार को घोषणा की थी। यह वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में 21 साप्ताहिक नीलामी से होने का अनुमान है।
यह उधारी 14.01 लाख करोड़ रुपये के सकल बाजार उधारी के लक्ष्य का करीब 47 फीसदी है। हालांकि उधारी कैलेंडर में वित्त वर्ष 25 की दूसरी छमाही के एसजीबी पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया। हालांकि, एसजीबी सरकारी उधारी कैलेंडर के बाहर जारी किए जाते हैं।
सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड योजनाएं सरकारी प्रतिभूतियां हैं जिनका मूल्य ग्राम सोने में अंकित होता है। यह सोने को भौतिक रूप से रखने का अच्छा विकल्प है। निवेशक को इश्यू में निवेश के लिए भुगतान रुपये में करना होता है और बॉन्ड की परिपक्वता होने पर नकद भुगतान किया जाता है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने बताया, ‘सरकार का एसजीबी नहीं जारी करना अस्थायी हो सकता है। हालिया समय में सोने की कुल लागत और सोने के बढ़ते दामों के मद्देनजर यह आर्थिक रूप से कोई समझदारी नहीं होगी। ऐसा लगता कि इससे सोने का आयात भी नीचे नहीं गिरा है जो कि लक्ष्य था।’