राजमार्गों के निर्माण में निजी क्षेत्र से निवेश आकर्षित करने के लिए केंद्र सरकार दो साल बाद एक बार फिर बिल्ट-ऑपरेट-ट्रांसफर (बीओटी) मॉडल शुरू करने जा रही है। हालांकि निवेश को लेकर धारणा अभी सुस्त है, ऐसे में वह इस दिशा में छोटे कदम उठाएगी और अप्रैल 2022 तक 6 परियोजनाओं की बोली का लक्ष्य रखा गया है।
इस ब्लॉक की पहली परियोजना कर्नाटक की है, जो करीब 70 किलोमीटर लंबी है। इस पर 1,700 करोड़ रुपये लागत आएगी। उम्मीद की जा रही है कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) इस महीने के आखिर तक इसके लिए बोली आमंत्रित करेगा। परियोजना के बारे में विस्तृत ब्योरा देने से इनकार करते हुए एक अधिकारी ने कहा, ‘हम कर्नाटक से इस ठेके की शुरुआत कर रहे हैं और इस पर मिलने वाली प्रतिक्रिया को देखते हुए बीओटी परियोजनाओं पर आगे की कार्रवाई के बारे में फैसला किया जाएगा।’
बहरहाल सड़क मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हम बीओटी परियोजनाओं की बोली की प्रक्रिया शुरू करना चाहते हैं और उम्मीद है कि इस वित्त वर्ष में 3 परियोजनाओं का आवंटन होगा और इतनी ही परियोजनाओं का आवंटन अगले वित्त वर्ष में किया जाएगा।’
निजी निवेश आकर्षित करने के लिए नया कंसेसनायर समझौता पेश किए जाने के बाद कर्नाटक की परियोजना बीओटी मॉडल पर पहली पेशकश होगी।
आखिरी बीओटी परियोजना मार्च 2018 में आईआरबी इन्फ्रा को आवंटित की गई थी। कंपनी को करीब 3,400 करोड़ रुपये लागत से हापुड़ मुरादाबाद राजमार्ग तैयार करना है। इस साल फरवरी में एनएचएआई ने नए बीओटी दिशानिर्देश पेश किए थे, जिससे निजी हिस्सेदारी को बढ़ावा मिल सके। बीओटी मॉडल में बदलाव लाने के पीछे यह वजह थी कि निवेश पर रिटर्न (आरओआई) में देरी, कड़े कंसेशन समझौते, सरकार के साथ कानूनी विवाद की वजह से बड़ी कंपनियां इससे दूर हो रही थीं। नए मानकों में आसानी से परियोजना से बाहर निकलने का प्रावधान किया गया है, जिससे अटकी परियोजना के मामले में राहत मिलेगी। नए एमसीए के मुताबिक एनएचएआई ओर कंसेसनायर किसी भी वित्तीय चूक के मामले में सहमत होंगे कि कर्जदाता या बैंक निजी बातचीत या सार्वजनिक नीलामी या टेंडर केमाध्यम से पेशकश कर सकता है और राजमार्ग परियोजना को हस्तांतरित कर सकता है। अगर प्राधिकरण को नामित कंपनी को कंसेशन के हस्तांतरण में कोई आपत्ति होती है तो कर्जदाताओं के प्रतिधियों की सुनवाई के बाद 15 दिन के भीतर तार्किक आदेश दे सकता है। अगर एनएचएआई कोई आपत्ति नहीं करता है तो उसे स्वीकार माना जाएगा।
आसानी से परियोजना से निकलने के प्रावधान के साथ देनदारी सीमित करने संबंधी सुधार भी किया गया है।