ऐसे वक्त में जब चीनी ऐप पर प्रतिबंध समेत भारत-चीन के बीच तनाव बढ़ चुका है, ऐसे में भू-राजनीतिक प्रभाव वैश्विक कंपनियों के लिए बड़ा जोखिम बनने जा रहा है। यह कहना है ओयो होटल्स ऐंड होम्स के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी रितेश अग्रवाल का।
उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब हाल ही में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के नियमों में बदलाव और चीन से होने वाले निवेश पर पूर्व-स्वीकृत प्रणाली ने भारत की यूनिकॉर्न कंपनियों और उनके चीनी निवेशकों पर असर का संकेत देना शुरू कर दिया है।
अग्रवाल ने कहा कि दुनिया भर के कई देश ऐसी नीतियां अपना रहे हैं जिनमें कालांतर में कंपनियों को केवल बड़े कारोबारों के रूप में ही नहीं, बल्कि कूटनीति करने वालों के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस बात को देखते हुए मुझे लगता है कि हमारी नीति वैश्विक स्तर पर स्थानीय होने की हो गई है। अगर आप आसपास (दुनिया) की यात्रा करें, तो आप देखेंगे कि यदि आप लंदन या डेनमार्क में हैं, तो ओयो का अनुभव अलग नजर आता है, लेकिन तकनीक का स्तर समान रहता है।
अग्रवाल ने अखिल भारतीय प्रबंधन संघ (एआईएमए) के कार्यक्रम के दौरान हीरो एंटरप्राइज के चेयरमैन सुनीलकांत मुंजाल तथा ओला के सह-संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी भाविश अग्रवाल के साथ बातचीत में यह दृष्टिकोण साझा किया। चूंकि भारत और चीन के बीच विवाद हैं, इसलिए मुंजाल ने उनसे ओयो के कारोबार पर प्रभाव के बारे में पूछा था। गुरुग्राम स्थित ओयो का पिछला मूल्यांकन करीब 10 अरब डॉलर था और इसका विस्तार चीन, जापान, अमेरिका, लैटिन अमेरिका तथा यूरोप जैसे बाजारों तक हो चुका है।
