पारंपरिक भारतीय नृत्य शैली कथक को विश्व पटल पर ले जाने वाले प्रख्यात कथक नर्तक बिरजू महाराज का सोमवार तड़के अपने घर पर निधन हो गया। उनकी पोती ने यह जानकारी दी। महाराज जी के नाम से विख्यात, बिरजू महाराज अगले महीने 84 वर्ष के होने वाले थे। रागिनी महाराज ने बताया कि बिरजू महाराज के निधन के वक्त उनके आस-पास परिवार के लोग तथा उनके शिष्य मौजूद थे। वे रात के भोजन के बाद अंताक्षरी खेल रहे थे, जब महाराज को अचानक कुछ परेशानी होने लगी। भारत के सबसे प्रसिद्ध एवं पसंदीदा कलाकारों में से एक, बृज मोहन नाथ मिश्रा (पंडित बिरजू महाराज के नाम से मशहूर) लखनऊ के कालका-बिंदादिन घराना से ताल्लुक रखते थे। उनके पांच बच्चे और पांच नाती-पोते हैं। कथक नर्तक गुर्दे की बीमारी से पीडि़त थे और उच्च मधुमेह की वजह से पिछले महीने से ‘डायलिसिस’ पर थे।
उनकी पोती ने बताया कि संभवत: महाराज की मौत दिल का दौरा पडऩे से हुई। रागिनी महाराज ने कहा, ‘वह हमारे साथ थे जब यह हुआ। उन्हें रात का भोजन किया और हम ‘अंताक्षरी’ खेल रहे थे क्योंकि उन्हें पुराना संगीत बहुत पसंद था। वह लेटे हुए थे और अचानक उनकी सांसें असामान्य होने लगीं। हमारे हिसाब से उन्हें दिल का दौरा पड़ा क्योंकि वह दिल के मरीज भी थे।’ रागिनी ने कहा, ‘यह रात में सवा बारह से साढ़े बारह बजे के बीच हुआ। बस एक या दो मिनट ऐसी स्थिति रही होगी। हम उन्हें तुरंत अस्पताल ले गए, लेकिन दुर्भाग्य से हम उन्हें बचा नहीं पाए। अस्पताल पहुंचने से पहले उनकी मौत हो गई।’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बिरजू महाराज की मौत पूरे कला जगत के लिए ‘अपूरणीय क्षति’ है।
