घर से काम करने और यात्रा न करने से आखिरकार पर्यावरण के लिए भी कुछ अच्छा हुआ है। अनअर्थइनसाइट द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार एक मीट्रिक बेंचमार्किंग और मार्केट इंटेलिजेंस फर्मों ने पाया है कि साल के दौरान कार्बन उत्सर्जन में अनुमानित 85 प्रतिशत की गिरावट आई है। कार्बन उत्सर्जन लगभग तीन लाख टन रहा, जबकि महामारी से पहले वार्षिक कार्बन उत्सर्जन लगभग 20 लाख टन था।
वैश्विक महामारी कोविड-19 ने भारत के 194 अरब डॉलर के आउटसोर्सिंग उद्योग को काम के हाइब्रिड प्रारूपों, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और कैंपस हायरिंग के लिए डिजिटल प्रावधान के साथ कार्बन तटस्थता की ओर प्रेरित किया है। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए किए गए अध्ययन में भारत में सूचना प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी सक्षम सेवा, इंजीनियरिंग, जीआईसी/ जीसीसी और स्टार्टअप समेत करीब 2,000 से अधिक आउटसोर्सिंग करने वाली प्रौद्योगिकी कंपनियां शामिल थीं। अध्ययन में पाया गया है कि आज आउटसोर्सिंग उद्योग में 44 लाख कर्मचारियों में से केवल चार से पांच प्रतिशत ही काम करने के लिए यात्रा कर रहे हैं।
अनअर्थइनसाइट के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी गौरव वासु के अनुसार कोविड-19 व्यवधान ने आउटसोर्सिंग करने वाले संगठनों, ग्राहकों और कर्मचारियों को पर्यावरण के अनुकूल बना दिया है, जिससे उन्हें कार्बन तटस्थता और डिजिटल कार्यस्थल की ओर तेजी से बढऩे में मदद मिली है, जिससे दीर्घावधि के परिचालन मार्जिन में सुधार हुआ है। इस वैश्विक महामारी से भी पहले टीसीएस, इन्फोसिस एचसीएल, विप्रो, टेक महिंद्रा, यूनिसिस, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, एडोब, ओरेकल जैसी प्रौद्योगिकी कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहनों का बेड़ा उपलब्ध करवाने वालों के साथ मिलकर डिजिटल कर्मचारी परिवहन ऐप अपनाने के साथ कार्बन उत्सर्जन को कम कर रहे थीं।