भारत की सॉवरिन रेटिंग में मूडीज की तरफ से की गई कटौती पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने चिंता जताने के साथ ही मोदी सरकार के खराब आर्थिक प्रबंधन को लेकर सवाल उठाए हैं। हालांकि कांग्रेस पार्टी ने इस मसले पर अधिक हमलावर तेवर नहीं दिखाए हैं। इसकी वजह यह हो सकती है कि खुद कांग्रेस ने अभी पिछले महीने ही कहा था कि दुनिया भर के तमाम देशों में कोविड महामारी का असर होने से रेटिंग एजेंसियां सबकी रेटिंग में कटौती नहीं कर सकती हैं।
बहरहाल राहुल ने मूडीज की तरफ से की गई रेटिंग कटौती पर मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की है। राहुल ने अपने ट्वीट में कहा, ‘मूडीज ने मोदी सरकार के आर्थिक प्रबंधन को जंक श्रेणी से महज एक स्थान ऊपर रखा है। गरीबों एवं एमएसएमई श्रेणी को सरकार की तरफ से समर्थन नहीं मिलने का यही मतलब है कि इससे भी बुरी स्थिति आनी अभी बाकी है।’
राहुल का रेटिंग कटौती को लेकर सरकार पर बोला गया यह हमला कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के रुख के उलट है। चिदंबरम ने कुछ हफ्ते पहले दिए एक साक्षात्कार में कहा था कि रेटिंग कटौती एक पूरी तरह से निरर्थक कवायद है क्योंकि सापेक्षिक रेटिंग तो वही रहेगी। चिदंबरम ने कहा था, ‘रेटिंग कटौती का डर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है। आप रेटिंग एजेंसियों को नीतियां तय करने की छूट नहीं दे सकते हैं।’
चिदंबरम ने यह बयान इस संदर्भ में दिया था कि आज के समय में दुनिया के तमाम देशों पर मंदी की चपेट में आने का खतरा मंडरा रहा है। ऐसी स्थिति में भारत के कमतर आर्थिक प्रदर्शन को देखते हुए उसकी रेटिंग में संभावित गिरावट को एकल अपवाद के तौर पर नहीं देखा जा सकता है।
कांग्रेस को छोड़कर किसी भी अन्य राजनीतिक दल ने रेटिंग कटौती पर इस तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी है।
वर्ष 2017 में जब मूडीज ने भारत की सॉवरिन रेटिंग को बढ़ा दिया था तो सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उसे मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के समर्थन के तौर पर पेश किया था। उस समय प्रमुख विपक्षी दल के तौर पर कांग्रेस ने कहा था कि खुद ही रेटिंग एजेंसियों के तौरतरीकों पर सवाल उठाने वाली सरकार को इस अपग्रेड पर जश्न नहीं मनाना चाहिए। चिदंबरम ने भी सरकार के इस विरोधाभास का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था, ‘महज कुछ महीनों पहले इस सरकार ने मूडीज की कार्यप्रणाली को गलत ठहराया था। आर्थिक मामलों के तत्कालीन सचिव शक्तिकांत दास ने एक लंबा पत्र लिखकर मूडीज के रेटिंग निर्धारण पर सवाल उठाए थे। दास ने मूडीज को अपनी रेटिंग पद्धति बदलने की जरूरत बताई थी।’
