अधिक कीमतों वाली दवाइयों के स्थानीय विनिर्माण को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से केंद्रीय कैबिनेट ने आज फार्मास्युटिकल उत्पादों के लिए 15,000 करोड़ रुपये की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। सरकार को इस योजना के जरिये घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय, दोनों स्तर की दवा निर्माता कंपनियों से 50,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करने की उम्मीद है।
सूत्रों का कहना है कि यह प्रोत्साहन उत्पादन मूल्य के 5-10 प्रतिशत के दायरे में होगा।
यह दोतरफा विचार है। पहला, उच्च मूल्य वाले उत्पादों जैसे पेटेंट वाली दवाइयां, सेल आधारित या जीन थेरेपी संबंधित उत्पादों आदि के आयात को कम करना और दूसरा, स्थानीय विनिर्माण को इस पैमाने पर बढ़ावा देना कि भारत इन उत्पादों का शुद्ध निर्यातक बन जाए।
योजना से सीधे तौर पर जुड़े एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘अब आयरलैंड जैसे देशों में पेटेंट आधारित अनेक उत्पाद तैयार किए जाते हैं। हमारा उद्देश्य बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी) को इन दवाओं को बनाने के लिए आकर्षित करने और दूसरे देशों को निर्यात करने के लिए विनिर्माण हेतु भारत का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना है।’
उन्होंने कहा कि योजना से जुड़ी बारीकियों पर अभी काम किया जाना बाकी है और अब फार्मास्युटिकल्स विभाग द्वारा एक नई समिति बनाई जाएगी जो योजना से जुड़े तौर-तरीकों पर काम करेगी। अधिकारी ने कहा, ‘सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है और इससे जुड़े नियमों पर आगे काम करने की जरूरत है। हालांकि, हम कह सकते हैं कि संबंधित उत्पाद श्रेणियों के लिए प्रोत्साहन उनके उत्पादन मूल्य के 5-10 प्रतिशत के बीच होगा।’ समिति इस पर भी विचार करेगी कि क्या प्रोत्साहन को उत्पादन की मात्रा के साथ जोड़ा जाए या उत्पादित सामान की कीमत के साथ जोड़ा जाए। हालांकि स्रोत ने बताया कि अभी तक इसे निवेश राशि की न्यूनतम सीमा के साथ जोडऩे की कोई योजना नहीं है।
भारत कई पेटेंट दवाओं, जटिल फार्मा एक्सीपिएंट्स, जीन थेरेपी उत्पादों आदि का आयात करता है। फार्मास्युटिकल एक्सीपिएंट्स मूल रूप से ऐसे पदार्थ होते हैं जो किसी प्रत्यक्ष चिकित्सीय कार्रवाई के लिए नहीं बल्कि विनिर्माण प्रक्रिया की सहायता करने और उत्पाद स्थिरता बनाए रखने के लिए खुराक के रूप में उपयोग किए जाते हैं।
दवा उद्योग ने इस कदम का स्वागत किया है। भारत की बड़ी फार्मा कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले भारतीय फार्मास्युटिकल अलायंस (आईपीए) के महासचिव सुदर्शन जैन ने कहा कि यह वास्तव में सही दिशा में उठाया गया एक कदम है। उन्होंने कहा, ‘यह भारत के दवा उद्योग को मजबूत करने के लिए एक अच्छा कदम है जिसका अपना रणनीतिक महत्त्व भी है।’
इससे पहले, सरकार ने दवाई बनाने के लिए कच्चे माल के स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए 6940 करोड़ रुपये की पीएलआई योजना की घोषणा की थी।
