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नए श्रम कानून से राज्यों को शक्ति

Last Updated- December 15, 2022 | 1:19 AM IST

संसद से पारित श्रम संहिता से श्रम कानूनों को बनाने की प्रक्रिया में भारी बदलाव आएगा क्योंकि इसके जरिये केंद्र ने राज्यों को कार्यपालिका के माध्यम से इसमें संशोधन करने की अधिक शक्ति प्रदान की है।
राष्ट्रप्रति रामनाथ कोविंद का इस पर हस्ताक्षर होने के बाद उद्योग प्राधिकारियों से सूक्ष्म स्तर पर विभिन्न श्रम कानूनों में छूट देने के लिए जोर लगाएगा। इसके अलावा वे छंटनी, काम के घंटों, सुरक्षा मानकों, सामूहिक सौदेबाजी और अन्य प्रावधानों से संबंधित परिचालनों में लचीलापन लाने के लिए बदलाव की मांग करेंगे।
औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 के तहत नए कानून में राज्य नए औद्योगिक इकाइयों को एक अधिसूचना जारी कर जितना वह उचित समझे उतनी अवधि के लिए बिना किसी शर्त के संहिता के किसी या सभी प्रावधानों से छूट दे सकता है। इस नए कानून में छंटनी, बरखास्तगी, श्रमिक संघ और औद्योगिक विवाद आदि को शामिल किया जाएगा। राज्य ऐसे कदम जन हित में उठा सकते हैं जिसको विस्तार से परिभाषित नहीं किया गया है। औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 में भी राज्यों को मौजूदा औद्योगिक इाकाइयों में छूट देने की समान शक्ति दी गई थी लेकिन इसमें विशेष रूप से इसका उल्लेख है कि ऐसी कंपनियों में जांच करने और औद्योगिक विवादों का निपटारा करने के लिए तंत्र होना चाहिए।
आगे से राज्यों को छंटनी, बरखास्तगी या कंपनी को बंद करने के नियमों को आसान करने के लिए राज्यों को केंद्र की मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी जैसा कि मौजूदा कानून में इसकी जरूरत पड़ती है। 300 कर्मचारियों तक वाली कंपनियों में सरकार से मंजूरी लिए बिना ही कर्मचारियों की छंटनी या बरखास्तगी की अनुमति देने वाली संहिता में इस बात का उल्लेख है कि राज्य एक अधिसूचना जारी कर इस सीमा को और ऊपर कर सकते हैं।
श्रमिक संघों ने छंटनी नियमों में किसी तरह की छूट देने को लेकर भारी आपत्ति जताई थी और सरकारों के लिए यह सबसे अधिक विवादास्पद मुद्दा रहा है। श्रम और रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने संसद में कहा था कि 16 राज्यों ने पहले ही इस सीमा में छूट दे रखी है, लेकिन इसे राज्य के कानून में बदलाव के जरिये लागू करना पड़ता था जिसके लिए पहले केंद्र सरकार के माध्यम से राष्ट्रपति की मंजूरी लेनी पड़ती थी।
ऐसा इसलिए करना पड़ता है कि श्रम कानून संविधान की समवर्ती सूची का विषय है जिसमें केंद्र और राज्य सरकार दोनों कानून बना सकते हैं।
इसी तरह से उपजीविका सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता, 2020 जिसमें प्रतिष्ठानों में सुरक्षा, कल्याण और कार्यस्थल संबंधी नियम हैं, राज्यों को यह शक्ति दी गई है कि यदि वे जनहित में संतुष्ट हैं तो नई फैक्टरियों को किसी भी प्रावधान से छूट प्रदान कर सकते हैं। ऐसा किया जाना ज्यादा से ज्यादा आर्थिक गतिविधियों को तैयार करने और रोजगार के अवसर बनाने के लिए जरूरी है। इसमें आगे इसके लिए अनुमति दी गई है कि किसी आपात स्थिति में कुछ शर्तों के पूरा होने पर मौजूदा प्रतिष्ठानों को किसी भी प्रावधानों से छूट दी जा सकती है। 

First Published - September 25, 2020 | 12:52 AM IST

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