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दिवाली अब कुछ ही दिनों दूर है और लोग इसकी तैयारियां शुरू कर चुके हैं। इस दौरान घर के लिए नए टीवी, लैपटॉप, स्मार्टफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान की खरीदारी बढ़ जाती है। ऐसे में जिन लोगों के पास क्रेडिट या डेबिट कार्ड है, वे अक्सर नो-कॉस्ट EMI का विकल्प तलाशते हैं।
त्योहारी सीजन में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों जगह कई तरह के ऑफर मिलते हैं, लेकिन नो-कॉस्ट EMI ऑफर सबसे ज्यादा आकर्षक लगता है। नो-कॉस्ट EMI का मतलब है कि आप खरीदी गई चीज की कीमत को किस्तों में बांट सकते हैं और इसके लिए कोई अतिरिक्त ब्याज नहीं देना पड़ता।
लेकिन वास्तविकता यह है कि नो-कॉस्ट EMI हमेशा पूरी तरह फायदेमंद नहीं होती। कंपनियां इसमें ब्याज नहीं दिखातीं, लेकिन वह राशि प्रोडक्ट की कीमत में ही जोड़ दी जाती है। इसका मतलब है कि खरीदार को लगता है कि उसने बिना ब्याज के खरीदारी की, जबकि असल में कीमत पहले से ही थोड़ी बढ़ाई हुई होती है।
नो-कॉस्ट EMI एक ऐसा विकल्प है जिसमें आप किसी प्रोडक्ट की कीमत को मासिक किस्तों में बांट सकते हैं, लेकिन आपको इस पर कोई अतिरिक्त ब्याज नहीं देना पड़ता। यह विकल्प महंगे प्रोडक्ट जैसे टीवी, लैपटॉप, स्मार्टफोन या अन्य इलेक्ट्रॉनिक आइटम खरीदने को आसान बनाता है और बजट पर दबाव कम करता है।
त्योहारी सीजन में जब लोग महंगे स्मार्टफोन या इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदते हैं, तो उन्हें अक्सर Regular EMI और No-Cost EMI जैसे विकल्प मिलते हैं। दोनों ही किस्तों पर सामान खरीदने की सुविधा देते हैं, लेकिन इन दोनों में बड़ा अंतर है। आइए एक उदाहरण से इसे समझते हैं।
मान लीजिए आप ₹1,00,000 रुपये का स्मार्टफोन 12 महीने की EMI पर खरीदना चाहते हैं और ब्याज दर 12% सालाना है। इस स्थिति में:
अगर आप यही स्मार्टफोन नो-कॉस्ट EMI पर लेते हैं, तो इसमें ब्याज नहीं जोड़ा जाता।
त्योहारी सीजन में टीवी, लैपटॉप या स्मार्टफोन जैसे बड़े खर्चों के लिए नो-कॉस्ट EMI लोगों के लिए एक आसान विकल्प बन गया है। लेकिन इस सुविधा का इस्तेमाल करने से पहले कुछ बातें ध्यान में रखना जरूरी है, वरना आपका बजट बिगड़ सकता है।
नो-कॉस्ट EMI में ब्याज तो नहीं लगता, लेकिन कई बार बैंक या कार्ड कंपनियां प्रोसेसिंग फीस वसूलती हैं। यह फीस कभी फ्लैट अमाउंट होती है तो कभी ट्रांजैक्शन अमाउंट का एक छोटा हिस्सा। इसके अलावा, इस फीस पर 18% GST भी देना पड़ता है। यानी भले ही ब्याज का बोझ न हो, लेकिन इन चार्जेज़ की वजह से आपकी जेब पर अतिरिक्त खर्च आ सकता है।
ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जैसे Amazon और Flipkart अक्सर कैश डिस्काउंट या ऑफर देते हैं, लेकिन ये ऑफर ज़्यादातर एकमुश्त भुगतान (upfront payment) पर ही मिलते हैं। अगर आप नो-कॉस्ट EMI का विकल्प चुनते हैं तो ऐसे डिस्काउंट मिस हो सकते हैं। ऐसे में आपको तय करना होगा कि एकमुश्त पेमेंट करके छूट लेना बेहतर है या किस्तों में सुविधा से भुगतान करना।
हर प्रोडक्ट पर नो-कॉस्ट EMI का विकल्प उपलब्ध नहीं होता। कई बार यह सुविधा सिर्फ कुछ खास प्रोडक्ट्स या चुनिंदा बैंकों के कार्ड पर ही मिलती है। अगर आपके पास उस बैंक का कार्ड नहीं है, तो यह ऑफर आपके लिए उपलब्ध नहीं होगा।