परंपरा और प्रौद्योगिकी को आत्मनिर्भर भारत अभियान की बहुत बड़ी ताकत बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वैश्विक खिलौना बाजार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने का आह्वान किया। टॉयकैथॅन 2021 के प्रतिभागियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संवाद के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के वर्तमान सामथ्र्य, उसकी कला-संस्कृति और भारतीय समाज को आज दुनिया ज्यादा बेहतर तरीके से समझना चाहती है और इसमें खिलौने और गेमिंग उद्योग बहुत बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘वैश्विक खिलौना बाजार करीब 100 अरब डॉलर का है। इसमें भारत की हिस्सेदारी सिर्फ डेढ़ अरब डॉलर के आसपास ही है। आज हम अपनी आवश्यकता के भी लगभग 80 प्रतिशत खिलौने आयात करते हैं। यानी इन पर देश के करोड़ों रुपये बाहर जा रहे हैं। इस स्थिति को बदलना जरूरी है।’ उन्होंने कहा कि ये सिर्फ आंकड़ों की ही बात नहीं है बल्कि यह क्षेत्र देश के उस वर्ग तक विकास पहुंचाने का सामथ्र्य रखता है, जहां इसकी अभी सबसे ज्यादा ज़रूरत है। उन्होंने कहा, ‘खेल से जुड़ा जो हमारा कुटीर उद्योग है, जो हमारी कला है, जो हमारे कारीगर हैं, वो गांव, गरीब, दलित, आदिवासी समाज में बड़ी संख्या में हैं। हमारे ये साथी बहुत सीमित संसाधनों में हमारी परंपरा, हमारी संस्कृति को अपनी बेहतरीन कला से निखारकर अपने खिलौनों में ढालते रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि खिलौनों से जुड़े क्षेत्र के विकास से ऐसी महिलाओं के साथ ही देश के दूर-दराज इलाकों में रहने वाले आदिवासी और गरीबों को भी बहुत लाभ होगा। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘लेकिन ये तभी संभव है जब, हम अपने लोकल खिलौनों के लिए वोकल होंगे। लोकल के लिए वोकल होना जरूरी है।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि अधिकतर ऑनलाइन या डिजिटल गेम का विचार भारतीय नहीं है और इनमें से ज्यादातर हिंसा को प्रोत्साहित करते हैं या फिर मानसिक दबाव का कारण बनते हैं।
