कृषि कानूनों के वापस लेने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान के बाद भी संयुक्त किसान मोर्चे का लखनऊ महापंचायत का कार्यक्रम सोमवार को हो रहा है। संयुक्त किसान मोर्चे ने राजधानी लखनऊ में हो रही इस महापंचायत में किसानों के साथ ही नौजवानों को भी बुलाया है। भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत ने रविवार को एक अपील जारी कर लखनऊ में आयोजित किसान महापंचायत में लोगों से पहुंचने को कहा है। इस बार की महापंचायत में भीड़ जुटाने के लिए मोर्चे ने मजदूर संगठनों और कई मुद्दों को लेकर आंदोलनरत युवाओं को भी बुलाया है। रविवार को दिल्ली में सिंघु बॉर्डर पर हुई संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की बैठक में भी लखनऊ महापंचायत से लेकर अगले सप्ताह के सभी कार्यक्रमों को पहले की ही तरह जारी रखने पर मुहर लगाई गई है।
बैठक के बाद एसकेएम ने सभी नागरिकों से अपील कर 22 नवंबर को लखनऊ किसान महापंचायत के साथ ही 24 नवंबर को सर छोटू राम की जयंती पर किसान मजदूर संघर्ष दिवस और 26 नवंबर को दिल्ली बॉर्डर के साथ ही सभी राज्य स्तरीय किसान-मजदूरों से विरोध प्रदर्शन में शामिल होने को कहा है। किसानों का 29 नवंबर को संसद चलो का कार्यक्रम भी होगा और इसको सफल बनाने की रणनीति बनाई जा रही है।
आज की बैठक में एसकेएम ने एक साल के अभूतपूर्व संघर्ष के बाद भारत के सभी किसानों और श्रमिकों को उनकी ऐतिहासिक जीत के लिए हार्दिक बधाई दी गई। बैठक में भारत के प्रधानमंत्री को एक खुला पत्र भेजने का फैसला किया गया, जिसमें एक लाभकारी एमएसपी की गारंटी के लिए केंद्रीय कानून सहित किसान आंदोलन की लंबित मांगों को उठाया गया है। एसकेएम ने योजनानुसार सभी घोषित कार्यक्रमों को जारी रखने का भी निर्णय लिया। मोर्चे की अगली बैठक 27 नवंबर को होगी, जिसमें घटनाक्रम की समीक्षा की जाएगी।
