ग्रामीण इलाकों के करीब 97 प्रतिशत और शहरी इलाकों के करीब 90 प्रतिशत वंचित परिवार चाहते हैं कि जल्द से जल्द स्कूल खोले जाएं, क्योंकि लंबे समय तक स्कूल बंद रहने से बच्चों की पढऩे की क्षमता प्रभावित हुई है। ग्रामीण इलाकों के करीब 48 प्रतिशत से ज्यादा बच्चे कुछ शब्दों से ज्यादा नहीं पढ़ पा रहे हैं। हाल में कराए गए एक सर्वे में यह सामने आया है।
शहरी इलाकों में वंचित पृष्ठभूमि के करीब 42 प्रतिशत बच्चे कुछ शब्दों से ज्यादा पढऩे में सक्षम नहीं हैं क्योंकि ऑनलाइन पढ़ाई तक उनकी पहुंच सीमित है। स्कूल चिल्ड्रेंस ऑनलाइन ऐंड ऑफलाइन लर्निंग सर्वे (स्कूल) नाम से अगस्त, 2021 में 15 राज्यों पर केंद्र शासित प्रदेशों में सर्वे कराया गया, जिनमें असम, बिहार, चंडीगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। यह सर्वे मुख्य रूप से वंचित तबके की कॉलोनियों और बस्तियों में कराए गए, जहां बच्चे सामान्यतया सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं। स्कूल सर्वे देश भर के करीब 100 स्वयंसेवकों की संयुक्त कवायद है। इस सर्वे के परिणामों को आज जारी किया गया। जिन परिवारों को नमूने के तौर पर लिया गया, उनमें से करीब 60 प्रतिशत परिवार ग्रामीण इलाके के हैं और करीब 60 प्रतिशत परिवार दलित व आदिवासी पृष्ठभूमि के हैं। सर्वे में शामिल लोगों में 50 प्रतिशत दिल्ली, झारखंड, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के हैं।
लिए गए 1,362 नमूनों में से सर्वे करने वालों ने एक बच्चे का साक्षात्कार किया, जो प्राथमिक या माध्यमिक विद्यालय में पढ़ाई करते हैं। सर्वे में कहा गया है, ‘ग्रामीण इलाकों में महज 8 प्रतिशत बच्चे नियमित रूप से ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं और 37 प्रतिशत आधी पढ़ाई भी नहीं कर पा रहे हैं और वे कुछ शब्दों से ज्यादा पढऩे में सक्षम नहीं हैं।’ सर्वे में यह भी पाया गया कि ग्रामीण इलाकों में सिर्फ 28 प्रतिशत बच्चे सर्वे के समय नियमित रूप से पढ़ाई कर रहे थे और 37 प्रतिशत नहीं पढ़ रहे थे।
सर्वे में कहा गया है, ‘सामान्य रूप से किताब पढऩे काटेस्ट करने पर स्थिति खराब नजर आती है क्योंकि नमूने में शामिल करीब आधे बच्चे कुछ शब्दों से ज्यादा पढ़ पाने में सक्षम नहीं हैं।’ 1 सितंबर से 15 से ज्यादा राज्यों ने ऑफलाइन कक्षाएं शुरू कर दी है, हालांकि 8वीं कक्षा से नीचे के बच्चों की पढ़ाई सीमित ही है। जाने माने अर्थशास्त्री, जो इस सर्वे का समन्वय भी कर रहे थे, ज्यां द्रेज ने कहा, ‘तीसरी लहर बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक होने की डरावनी खबर को एम्स के डॉ. रणदीप गुलेरिया सहित अन्य लोगों ने बार बार खारिज किया है। भारत कुछ ऐसे देशों में है जहां प्राथमिक विद्यालय नहीं खुले हैं। पूरी तरह से स्कूल खोलने की सलाह संभवत: अभी उचित नहीं होगी, लेकिन बैच में या सप्ताह में एक या दो बार बच्चों को स्कूल बुलाना बेहतर शुरुआत होगी।’
स्कूल सर्वे में पाया गया कि ऑनलाइन शिक्षा की पहुंच बहुत सीमित है और शहरों में महज 24 प्रतिशत और गांवों में 8 प्रतिशत बच्चे ही नियमित रूप से ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। सर्वे में कहा गया है, ‘इसकी एक वजह यह है कि नमूने के तौर पर लिए गए तमाम परिवारों में (ग्रामीण इलाकों में आधे) स्मार्टफोन नहीं है। लेकिन यह सिर्फ प्राथमिक दिक्कत है। जिन घरों में स्मार्टफोन हैं, वहां भी नियमित रूप से ऑनलाइन पढ़ाई करने वाले बच्चों की संख्या शहरी इलाकों में महज 31 प्रतिशत और ग्रामीण इलाकों में 15 प्रतिशत है।’