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कोविड ने बनाया लोगों को पर्यावरण सरोकारी

Last Updated- December 12, 2022 | 5:32 AM IST

कोविड-19 वैश्विक महामारी के मद्देनजर उपभोक्ता स्थायित्व पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। एक स्थायी भविष्य के लिए वे अपनी जेब से भुगतान करने अथवा अपने वेतन में कटौती भी करने के लिए तैयार दिख रहे हैं।
आईबीएम इंस्टीच्यूट फॉर वैल्यू (आईबीवी) के एक ताजा सर्वेक्षण से यह खुलासा हुआ है। यह सर्वेक्षण नौ देशों के 14,000 से अधिक उपभोक्ताओं पर किया गया। सर्वेक्षण में शामिल 10 उपभोक्ताओं में से नौ ने बताया कि कोविड-19 ने पर्यावरण संबंधी स्थिरता के बारे में उनके विचारों को प्रभावित किया है। कोविड-19 उनके विचारों को प्रभावित करने वाला शीर्ष कारक था। अन्य कारकों में जंगल की आग, आपदा आदि मौसम संबंधी घटनाएं शामिल हैं।
इस सर्वेक्षण से विभिन्न देशों में उपभोक्ताओं की राय में अंतर का भी पता चला। अमेरिका में स्थायित्व संबंधी मुद्दों को लेकर कम चिंता देखी गई। उदाहरण के लिए, सर्वेक्षण में शामिल महज 51 फीसदी अमेरिकी उपभोक्ताओं ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटना उनके लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है जबकि अन्य देशों में यह आंकड़ा 73 फीसदी रहा।
आईबीएम ग्लोबल सर्विसेज के वैश्विक प्रमुख (स्थायित्व और जलवायु परिवर्तन) मुरे सिम्पसन ने कहा, ‘इस सर्वेक्षण से पता चलता है कि दुनिया भर के प्रतिभागियों के लिए वैश्विक जलवायु परिवर्तन को लेकर चिंता बढ़ रही है। हमने यह भी देखा कि कई उद्योगों में कंपनियां अपने ग्राहकों और निवेशकों की अपेक्षाओं को पूरा करने और खुद के पर्यावरण संबंधी लक्ष्य को हासिल करने के लिए पहल कर रही हैं।’ सर्वेक्षण में शामिल आधे से अधिक उपभोक्ताओं ने माना कि जलवायु परिवर्तन पर कंपनी के जोर से निवेशक का वित्तीय जोखिम प्रभावित होता है।
सर्वेक्षण के अनुसार, कई उपभोक्ता खरीदारी करने, यात्रा करने और यहां तक नियोक्ता को चुनने में भी अपना रुझान बदल रहे हैं। वे उन नियोक्ताओं को प्राथमिकता दे रहे हैं जहां वे पर्यावरण स्थिरता संबंधी कारकों के आधार पर व्यक्तिगत निवेश निवेश करते हैं। करीब 71 फीसदी कर्मचारियों और रोजगार की चाहत रखने वाले लोगों ने कहा कि पर्यावरण के लिहाज से स्थायी कंपनी कहीं अधिक आकर्षक नियोक्ता हैं।

First Published - April 23, 2021 | 11:55 PM IST

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