विशेषज्ञों ने बीए.2.75 किस्म, जो लोगों को कोविड-19 से संक्रमित करने वाली सार्स-कोवी-2 वायरस के अन्य प्रमुख परिवर्तित रूप (म्यूटेशन) के परिणामस्वरूप सामने आई है, के मद्देनजर बूस्टर खुराक के लिए भिन्न मूल वाली बूस्टिंग या टीकों को मिश्रित करने का समर्थन किया है।
ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के ग्रीन टेम्पलटन कॉलेज के वरिष्ठ रिसर्च फेलो शाहिद जमील ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि बीए.2.75 में स्पाइक प्रोटीन में कई म्यूटेशन हैं, जिनमें से दो इसके लिए अनोखे हैं और इसके मूल स्ट्रेन बीए.2 में नहीं पाए जाते हैं। ये दो म्यूटेशन जी446एस और आर493क्यू हैं। जमील को लगता है कि जी446एस वर्तमान टीकों द्वारा निर्मित ऐंटीबॉडी से बचने के सबसे शक्तिशाली भाग से एक है, जो अब भी बीए.2 को बेअसर कर देते हैं। वे कहते हैं, ‘इस तरह यह अब तक संरक्षित रहे लोगों में (भी) संक्रमण की संभावना को बढ़ा देता है।’
अन्य अनोखा म्यूटेशन (आर493क्यू) एसीई2 रिसेप्टर नामक एक एंजाइम के साथ वायरस के बंधन को बढ़ा देता है। यह एंजाइम, जो आमतौर पर आंतों, गुर्दे और अन्य अंगों की कोशिकाओं की झिल्ली से जुड़ा रहता है, सार्स-कोवी-2 वायरस के लिए रिसेप्टर के तौर पर कार्य करता है, जिससे यह कोशिका को संक्रमित कर सकता है। जमील बताते हैं कि म्यूटेशन अक्सर युग्म में होता है क्योंकि वायरस रिसेप्टर के जुड़ाव और ऐंटीबॉडी से बचने को कुशलतापूर्वक करने के लिए विकसित होता है।
इसका क्या मतलब है?
जमील कहते हैं कि संख्या अब भी कम है, लेकिन तेजी से हो रहा इजाफा इसकी वृद्धि में सहायता का संकेत दे रहा है। यह ताजा संक्रमण को बढ़ावा दे सकता है और इस वैश्विक महामारी को बरकरार रख सकता है।कमजोर लोगों के लिए बूस्टर टीके की पैरवी करने के अलावा, जमील यह भी कहते हैं कि भारत को अपनी बूस्टर नीति को अद्यतन करने के लिए विज्ञान का इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मौजूदा नीति में तथ्यों और उपलब्ध टीका विकल्पों का बेहतरीन इस्तेमाल नहीं हो रहा है। वह कहते हैं कि कोविशील्ड और कोवैक्सीन के मिश्रण पर किए गए क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (सीएमसी) वेलूर के अध्ययन के हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि कोवैक्सीन के बाद कोविशील्ड बेहतर संयोजन रहता है, लेकिन भारत उन लोगों को तीसरी खुराक के रूप में कोवैक्सीन का इस्तेमाल करना जारी रखे हुए है, जिन्हें दो बार इंजेक्शन लगाया जा चुका है।
जमील कहते हैं, ‘इसके अलावा वैश्विक आंकड़ों से पता चलता है कि एजेड (एस्ट्राजेनेका, जिसका भारत में कोविशील्ड के रूप में विपणन हुआ है) टीके की दो खुराकों के बाद तीसरी खुराक के मुकाबले प्रोटीन के टीके बेहतर होते हैं।’
कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और जर्मनी समेत विश्व स्तर पर बीए.2.75 के नमूने पाए गए हैं। भारत सरकार ने अभी तक देश में इसकी मौजूदगी की पुष्टि नहीं की है।
भारत के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक, जो अपना नाम उजागर नहीं करना चाहते हैं, के अनुसार बीए.2 ओमीक्रोन किस्म कई सारी उप-वंशावली जोड़ रही है और भारत से इन कई वंशावली में से अब भी बीए.2.75 वाली हैं।
विज्ञान एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद – जिनोमिकी और समवेत जीव विज्ञान संस्थान की एक वैज्ञानिक लिपि ठुकराल कहती हैं, ‘इस वंशावली पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत पड़ सकती है क्योंकि ज्यादातर म्यूटेशन अनोखे हैं और यह अपने भौतिक-रासायनिक चरित्र को भी काफी बदल चुका है।’ ज्यादातर म्यूटेशन रिसेप्टर-बांइडिंग क्षेत्र में होते हैं या ऐसे क्षेत्र में, जो एंटीबॉडी या मानव प्रोटीन को बांधते हैं।
हालांकि ठुकराल को लगता है कि अभी इस संबंध में टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी कि क्या टीकों को मिलाने से बेहतर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया प्राप्त होगी। वह कहती हैं ‘प्रतिरक्षा से बचने के लिहाज से इस वंश के संबंध में और अधिक डेटा की आवश्यकता है।’
विशेषज्ञों का कहना है कि यह दूसरी पीढ़ी का म्यूटेशन है।
सीएमसी वेलूर में सूक्ष्मजीवविज्ञानी और प्रोफेसर गगनदीप कांग का कहना है कि सभी किस्मों का नए म्यूटेशन हासिल करते हुए समय के साथ बहाव रहता है। बीए.2.75 को दूसरी पीढ़ी कहा जा सकता है क्योंकि यह BA.2 से उत्पन्न हुआ है। यह बात केवल एक के लिए नहीं, बल्कि सभी बीए.2 म्यूटेशन के मामले में सही है।
वह कहती हैं कि अब चूंकि बीए.2.75 का पता चल चुका है, इसलिए इस बात को ध्यान में रखने की जरूरत है कि अगर यह पाए गए सभी स्ट्रेन के प्रतिशत के रूप में फैलता है, तो यह मौजूदा किस्मों की तुलना में संक्रमण करने और प्रतिरोधी क्षमता से बचने में अधिक सक्षम होगा।
90 प्रतिशत वयस्कों का पूर्ण टीकाकरण
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने सोमवार को घोषणा की थी कि भारत अपनी 90 प्रतिशत वयस्क आबादी का पूर्ण टीकाकरण कर चुका है। जनवरी 2021 में यह अभियान शुरू होने के बाद से देश में कोविड -19 टीकों की 1.97 अरब खुराक दी जा चुकी हैं। वर्तमान में 40,673 स्थलों पर नागरिकों का टीकाकरण किया जा रहा है और 39,000 से अधिक स्थल सरकार द्वारा संचालित हैं तथा मुफ्त टीके लगाए जा रहे हैं। टीकाकरण के मामले में भारत ने अच्छा प्रदर्शन किया है और यह अमेरिका से आगे है, जहां 67 प्रतिशत आबादी का ही पूर्ण टीकाकरण किया गया है।