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‘सरकार भेजे वार्ता के ठोस प्रस्ताव’

Last Updated- December 12, 2022 | 10:36 AM IST

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ  आंदोलन कर रहे किसानों और केंद्र के बीच दिल्ली की सीमाओं पर गतिरोध जारी है और किसानों ने सरकार से आग्रह किया कि वह एक और दौर की बातचीत के  लिए लिखित रूप में ठोस प्रस्ताव लेकर आए। किसान संगठनों ने इन कानूनों में प्रस्तावित संशोधनों को ‘निरर्थक’ बताया। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस बीच संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा कि सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार जारी रखेगी क्योंकि अभी भी कई क्षेत्रों में सुधार बाकी है। उन्होंने उम्मीद दोहराई कि विरोध करने वाले किसान जल्द ही तीन नए कानूनों को लेकर अपनी चिंताओं को दूर करने के लिए केंद्र के साथ अपनी बातचीत फिर से शुरू करने के लिए आगे आएंगे।
कृषि मंत्री ने कहा कि किसी भी आंदोलन को केवल बातचीत के माध्यम से सुलझाया जा सकता है जैसा कि इतिहास में हमेशा होता आया है और विरोध कर रहे किसान संगठनों से अगले दौर की वार्ता के लिए तारीख और समय तय करने का आग्रह किया। तोमर को पंजाब सहित 20 राज्यों के 3,13,363 लाख किसानों के हस्ताक्षर वाले छह बक्से में पत्र भी मिले जिसमें कृषि कानूनों के समर्थन में गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) सीएनआरआई के पत्र भी शामिल हैं। इनमें पंजाब के 12,895 किसानों ने कानूनों के पक्ष में हस्ताक्षर किए हैं जबकि हरियाणा के 1.27 लाख किसानों ने भी समर्थन किया है।
संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान नेताओं ने कहा कि वे बातचीत के लिए राज़ी हैं लेकिन सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने, बिजली से जुड़े संशोधनों के मसौदे में बदलाव लाने और तीनों कानूनों को वापस लिए जाने जैसे मुद्दे पर लिखित में ठोस प्रस्ताव भेजना चाहिए। किसान नेता शिवकुमार कक्का ने बताया, ‘हम पहले ही गृह मंत्री अमित शाह को बता चुके हैं कि प्रदर्शनकारी किसान संशोधनों को स्वीकार नहीं करेंगे।’ स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव ने कहा, ‘किसान संघ सरकार के साथ बातचीत करने को तैयार हैं और सरकार के मेज पर खुले दिमाग से आने का इंतजार कर रहे हैं।’ ऑल इंडिया किसान सभा के नेता हन्नान मोल्ला ने दावा किया कि सरकार किसानों को थकाना चाहती है ताकि प्रदर्शन खत्म हो जाए।  उन्होंने कहा, ‘हम चाहते हैं कि बातचीत हो लेकिन केंद्र बातचीत के लिए कोई एजेंडा भेजने को इच्छुक नहीं है। जब तक ऐसा नहीं होगा तब तक ऐसी बातचीत की जरूरत क्या है?’
सरकार और किसान के बीच बनी गतिरोध की स्थिति के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये 25 दिसंबर को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) के तहत वित्तीय लाभ की अगली किस्त जारी करेंगे। बुधवार को प्रधानमंत्री कार्यालय ने यह जानकारी दी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि मोदी कार्यक्रम के दौरान छह राज्यों के किसानों से भी बातचीत करेंगे।
इसमें कहा गया, ‘किसान, पीएम-किसान के अपने अनुभवों को साझा करेंगे और किसानों के कल्याण के लिए सरकार द्वारा की गई विभिन्न अन्य पहलों पर भी बात करेंगे।’ पीएम-किसान योजना के तहत लघु एवं सीमांत किसानों को हर साल 6,000 रुपये का वित्तीय लाभ दिया जाता है जिसका भुगतान 2,000 रुपये की तीन समान किस्तों में किया जाएगा। यह फंड सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में अंतरित किया जाता है।

बोले राजनाथ
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि केंद्र सरकार आंदोलनरत किसानों को लेकर संवेदनशील है और प्रधानमंत्री मोदी किसी भी सूरत में किसानों का अहित नहीं होने देंगे। किसान दिवस के अवसर पर किए गए सिलसिलेवार ट्वीट में राजनाथ सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की और किसानों का अभिनंदन करते हुए कहा कि उन्होंने देश को खाद्य सुरक्षा का कवच प्रदान किया है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार ने बुधवार को कहा कि किसानों का सम्मान करना सत्ता में बैठे लोगों की जिम्मेदारी है लेकिन अफसोस की बात है कि किसानों को अपने हक के लिए भी लड़ाई लडऩी पड़ रही है। पवार ने राष्ट्रीय किसान दिवस पर ट्विटर पर पोस्ट करके किसानों को न्याय मिलने की कामना की। दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर से ही किसान केंद्र के तीन नए कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
प्रदर्शन कर रहे किसानों ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती पर मनाए जाने वाले किसान दिवस पर उनके प्रदर्शन को समर्थन देने के लिए लोगों से एक वक्त का भोजन ना करने की अपील की है। कई किसानों ने बुधवार सुबह किसान घाट पहुंच चौधरी चरण सिंह को श्रद्धांजलि भी अर्पित की।
कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने करीब 40 किसान संगठनों के नेताओं को रविवार को पत्र लिखकर कानून में संशोधन के पूर्व के प्रस्ताव पर अपनी आशंकाओं के बारे में उन्हें बताने और अगले चरण की वार्ता के लिए सुविधाजनक तारीख तय करने को कहा है ताकि जल्द से जल्द आंदोलन खत्म हो। कृषि मंत्री तोमर ने मंगलवार को कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि प्रदर्शन कर रहे किसान संगठन जल्द आंतरिक चर्चा पूरी करेंगे और गतिरोध खत्म करने के लिए जल्द सरकार के साथ दोबारा बातचीत शुरू करेंगे। किसान नेता 23 से 26 दिसंबर तक शहीदी दिवस मनाएंगे।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे किसानों से बुधवार को बात की और अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के समर्थन का आश्वासन दिया।  

First Published - December 23, 2020 | 11:28 PM IST

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