अटल सुरंग न सिर्फ सबसे ऊंचाई पर स्थित 9.02 किलोमीटर लंबी सुरंग है, बल्कि कई मायने में यह तकनीकी हिसाब से भी अनोखी है। वैश्विक तकनीक दिग्गज सीमेंस ने सुरंग की लाइटिंग समेत विभिन्न प्रक्रियाओं में ऑटोमेशन के लिए तकनीक मुहैया कराई है।
सीमेंस लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और सीईओ सुनील माथुर ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि सुरंग में चूक न होने वाली ऑटोमेशन व्यवस्था है, जिससे प्रोडक्शन संबंधी असफलता को करीब शून्य कर देती है। उन्होंने कहा, ‘अटल सुरंग इस ऊंचाई पर लंबी सुरंग होने के कारण एक मानक सुरंग होगी।’
सीमेंस टेक्नोलॉजी स्थानीय व दूरस्थ निगरानी, कनेक्टिविटी, लाइटिंग, वेंटिलेशन, बिजली वितरण और आग से बचाव की व्यववस्था के लिए विद्युतीकरण, स्वचालन और डिजिटलीकरण के सॉल्यूशंस मुहैया कराएगी।
यह सुरंग करीब 3,100 मीटर (10,000 फुट) की ऊंचाई पर बनी है। लाहौल घाटी इसके पहले भारी बर्फबारी के कारण हर साल करीब 6 महीने तक सड़क मार्ग से कटी रहती थी।
अटल सुरंग का साउठ पोर्टल (एसपी) मनाली से करीब 25 किलोमीटर दूर 3,060 मीटर ऊंचाई पर है, जबकि नॉर्थ पोर्टल (एनपी) लाहौल घाटी के तेलिंग सिसु गांव के नजदीक 3,071 मीटर ऊंचाई पर है।
घोड़े के नाल के आकार में सिंगल ट्यूब, डबल लेन सुरंग की सड़क 8 मीटर चौड़ी और ऊंचाई 5.525 मीटर है। यह सुरंग 3,300 करोड़ रुपये की लागत से बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन ने बनवाई है, जो देश की रक्षा के हिसाब से भी काफी अहम है।
कंपनी का मानना है कि किसी भी परियोजना में डिजाइन और इंजीनियरिंग प्रमुख चुनौती होती है। उन्होंने कहा, ‘हर सुरंग परियोजना डिजाइन व इंजीनियरिंग दोनों ही हिसाब से चुनौती है। तमाम विधाओं व विभागों के बीच तालमेल करना होगा है। और डिजाइन की लागत प्रभावी होना जरूरी है। इस मोर्चे पर सीमेंस ऑटोमेशन और डिजिटलाइजेसन तमाम लाभ की पेशकश करता है, जिससे डिजाइन, इंजीनियरिंग, कमिशनिंग, ऑपरेशन, सर्विस, सुरक्षा व आधुनिकीकरण का लाभ मिल सके।’
सुरंग के निर्माण के लिए सेल ने स्टील की आपूर्ति की है, जिससे मनाली को लाहौल और स्पीति से पूरे साल हर मौसम में जोड़ा जा सकेगा।