देश में सशस्त्र सेना में नई भर्ती व्यवस्था पर विरोध के उठते स्वरों के बीच राजनीतिक दलों और सशस्त्र सेना के पूर्व अधिकारियों ने सरकार से नई व्यवस्था पर पुनर्विचार करने और उसमें संशोधन करने का आग्रह किया है।
राजस्थान जैसे विपक्ष शासित राज्यों और भारतीय जनता पार्टी नियंत्रित राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा में युवाओं का गुस्सा फूट पड़ा। बिहार में कई जगहों पर रेलगाड़ियों में आग लगा दी गई और लोग नई व्यवस्था के खिलाफ रेल की पटरियों पर आ गए। हिमाचल प्रदेश के गग्गल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान कुछ लड़कों के एक समूह ने प्रदर्शन किया। यह सब कुछ अप्रत्याशित था। हिमाचल प्रदेश से सशस्त्र सेना में काफी लोग जाते हैं। राज्य में इस वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं। हालांकि ये विरोध प्रदर्शन असंगठित थे और त्वरित प्रतिक्रियास्वरूप थे।
लगभग सभी विपक्षी दलों ने सरकार से सशस्त्र सेना में नई भर्ती प्रक्रिया की समीक्षा करने का आग्रह किया। बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने सरकार से अग्निपथ भर्ती व्यवस्था वापस लेने की मांग की। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा कि नई योजना विवादित है और इसके साथ कई तरह के जोखिम भी जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि इससे लंबे समय से चली आ ही सशस्त्र सेना की परंपरा को नुकसान पहुंच सकता है। चिदंबरम ने कहा, ‘इस योजना से सेना में प्रशिक्षण प्रक्रिया को नुकसान होगा और लोग उस जज्बे के साथ सशस्त्र सेना में नहीं आएंगे जो एक सैनिक की खास पहचान होती है। हमें डर है कि नई व्यवस्था सशस्त्र सेना एवं देश की सुरक्षा का मजाक बना देगी।’
राष्ट्रीय जनता दल नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि जब सैनिक ही सरकार की नीतियों से स्वयं को असुरक्षित महसूस करेंगे तो देश की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित हो पाएगी। यादव ने भाजपा से अपील की कि देश के युवा को अग्निवीर बनाकर उनका मनोबल नहीं तोड़ा जाना चाहिए। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी सरकार से अग्निवीर योजना वापस लेने की मांग की।
इस मामले में इतना हंगामा इसलिए हो रहा है कि सरकार रोजगार देने से अधिक रोजगार छीनती हुई प्रतीत हो रही है। उत्तर प्रदेश में भर्ती एक बड़ा मुद्दा था और कई क्षेत्रों में ऐसी मांग उठी कि कोविड के कारण दो वर्षों तक नई नियुक्तियां रोकने के बाद सरकार को भर्ती की उम्र सीमा बढ़ा देनी जानी चाहिए। ऐसा माना जा रहा था कि दो वर्षों तक नई भर्तियों पर लगी रोक के बाद सरकार दोगुना भर्ती करेगी।
लिखित एवं शारीरिक परीक्षा की तैयारी करने वाले युवा अब स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि सशस्त्र सेना में नई भर्ती व्यवस्था के बाद उनके लिए मुश्किलें और बढ़ जाएंगी और सैनिक बनकर देश की सेवा करने का उनका सपना कभी पूरा नहीं हो पाएगा।
हालांकि सरकार में शामिल कई लोगों ने इस योजना के पक्ष में दलील दी। बिहार के उप-मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि देश के युवाओं ने इस योजना को ठीक से नहीं समझा है इसलिए वे त्वरित प्रतिक्रिया दे रहे हैं। प्रसाद ने कहा कि राज्य और केंद्र दोनों ही यह योजना शुरू करने के प्रति गंभीर हैं। उन्होंने कहा कि युवाओं को पहले इस योजना को अच्छी तरह समझना चाहिए और उसके विभिन्न पहलुओं पर विचार करना चाहिए। मगर इस योजना से जुड़ी ऋण एवं सेवानिवृत्ति के बाद अन्य वित्तीय लाभ, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास आदि बातों का युवाओं पर कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है।
इसमें शायद शक की गुंजाइश है कि लंबे समय तक ये विरोध प्रदर्शन जारी नहीं रह सकते। मगर यह भी सच है कि सरकार ने कभी नहीं सोचा था कि अग्निवीर योजना का इतना अधिक विरोध होगा। सरकार ने इस योजना की समीक्षा के अब तक कोई संकेत नहीं दिए हैं। मगर हिमाचल प्रदेश में भाजपा को शायद इसका नुकसान झेलना पड़ सकता है।
अग्निपथ योजना के विरोध में प्रदर्शनों के चलते 34 से अधिक ट्रेन रद्द: रेलवे
सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना की घोषणा और रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) की परीक्षाओं में देरी के विरोध में प्रदर्शनों के चलते गुरुवार को 34 से अधिक ट्रेन रद्द कर दी गईं और 8 अन्य को आंशिक रूप से रद्द किया गया।
अग्निवीरों के लिए विशेष पाठ्यक्रम
राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) रक्षा अधिकारियों की सलाह से एक विशेष कार्यक्रम की शुरुआत कर रहा है ताकि 10वीं कक्षा उत्तीर्ण करने वाले अग्निवीरों को उनकी शिक्षा आगे बढ़ाने और उनके सेवा क्षेत्र के लिए प्रासंगिक पाठ्यक्रम विकसित करके 12वीं कक्षा का प्रमाणपत्र प्राप्त करने में सक्षम बनाया जा सके। शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एनआईओएस की ‘दूरगामी’ पहल का स्वागत करते हुए कहा कि उनका मंत्रालय अग्निपथ योजना का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है।
सरकार ने दिया स्पष्टीकरण
सेना में भर्ती के लिए नई योजना ‘अग्निपथ’ के खिलाफ कई राज्यों में हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच, सरकार ने गुरुवार को एक स्पष्टीकरण जारी कर कहा कि नया ‘मॉडल’ न केवल सशस्त्र बलों के लिए नई क्षमताएं लाएगा, बल्कि निजी क्षेत्र में युवाओं के लिए अवसर के द्वार भी खोलेगा। सरकार ने साथ ही कहा कि यह (योजना) युवाओं को वित्तीय पैकेज की सहायता से उद्यमी बनने में मदद भी करेगा। योजना को लेकर जताई जा रही चिंताओं को दूर करने के लिए ‘मिथक बनाम सच’ दस्तावेज जारी करने के अलावा, सरकार की सूचना प्रसार शाखा ने सोशल मीडिया कई पोस्ट किए, जिनमें कहा गया कि आने वाले वर्षों में, अग्निवीरों की भर्ती सशस्त्र बलों में वर्तमान भर्ती से लगभग तिगुनी होगी और रेजिमेंट प्रणाली में किसी भी बदलाव से इनकार किया। पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) ने फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा, ‘यह योजना सशस्त्र बलों में नई गतिशीलता लाएगी। यह बलों को नई क्षमताओं को लाने और युवाओं के तकनीकी कौशल और नई सोच का लाभ उठाने में मदद करेगी। ’ भाषा