वैश्विक महामारी के बीच त्योहारी सत्र शुरू होने से कोविड-19 के मामले भी बढऩे लगे हैं। आने वाले महीनों में प्रमुख त्योहार होने के कारण स्वास्थ्य विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह रुख आगे भी बना रहेगा।
मुंबई में गणपति उत्सव इसका एक उदाहरण है। मुख्य रूप से शांतिपूर्वक समारोह किए जाने के बावजूद शहर में इस उत्सव के बाद संक्रमण के मामलों में तेजी दिखाई दे रही है। मुंबई का सबसे बड़ा और सबसे प्रसिद्ध 10 दिवसीय उत्सव गणेश चतुर्थी 22 अगस्त से शुरू हुआ था।
सात दिनों की औसत वृद्धि दर (नए मामले आने की) 20 अगस्त से दोगुनी से भी अधिक हो चुकी है। इसकी दैनिक वृद्धि दर 0.6 प्रतिशत से बढ़कर अब 1.3 प्रतिशत हो गई है। रोजाना नए मामले सामने आने की संख्या 1,000 से बढ़कर अब 2,200 से अधिक हो चुकी है।
अगस्त के अंत तक मामलों की दैनिक संख्या 1,000 से नीचे आ गई थी। इसके बाद से इस संख्या में लगातार वृद्धि नजर आई है। मध्य अगस्त के बाद से मुंबई में पुष्टि किए जा चुके कुल मामलों संख्या में 34.7 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। इस वैश्विक महामारी पर निगाह रखने वाले कोविड19इंडिया डॉट ओआरजी के आंकड़े बताते हैं कि 15 अगस्त को 1.28 लाख की तुलना में 14 सितंबर को इनकी संख्या बढ़कर 1.72 लाख हो गई है। भारत में संक्रमण के कुल मामलों की संख्या पहले ही 50 लाख का आंकड़ा पार कर चुकी है।
ग्रेटर मुंबई नगर निगम (एमसीजीएम) के अधिकारियों का कहना है कि मुंबई ने भी जांच का दायरा बढ़ा दिया है। एमसीजीएम के अतिरिक्त निगमायुक्त सुरेश काकानी ने कहा कि अब हम हर रोज करीब 15,000 लोगों की जांच कर रहे हैं, जबकि पहले लगभग 9,000 जांच की जा रही थी। जांच का लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा आरटी-पीसीआर जांच का है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों को लगता है कि कार्यालय, मॉल वगैरह दोबारा खोलते हुए लगातार अनलॉकिंग किए जाने के साथ-साथ गणपति उत्सव के दौरान लोगों के बीच बढ़े संपर्क के कारण मामलों में तेजी नजर आई है।
भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान (आईआईपीएच) के निदेशक दिलीप मावलंकर ने कहा कि आने वाले महीनों में भी यह रुझान जारी रहने की आशंका है। उन्होंने कहा कि त्योहारों के दौरान लोगों द्वारा खरीदारी (फूलों, मूर्तियों, कलाकृतियों, उपहारों आदि की) के लिए बाहर जाने से ही नहीं, बल्कि मित्रों और रिश्तेदारों से मुलाकात करने से भी यह संक्रमण फैलेगा। इस त्योहारी सत्र की शुरुआत में अब कोई सक्रिय अभियान शुरू करने की जरूरत है जो कम से कम रोगग्रस्त लोगों को तो घर में रहने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
विशेषज्ञ बताते हैं कि चिंता की बात यह है कि अब जो मामले सामने आ रहे हैं, उनमें से लगभग 85 फीसदी मामले लक्षणहीन हैं। मावलंकर को लगता है कि चूंकि लोग लॉकडाउन की थकावट के कारण कम सतर्क हो गए हैं, इसलिए अब बीमारी की वजह से पीड़ा झेल चुके लोगों के मामलों को किसी मीडिया अभियान के जरिये उजागर करना महत्त्वपूर्ण रहेगा। उन्होंने कहा कि बीमारी के संबंध में शुरुआती भय अब काफी हद तक खत्म हो चुका है और इससे संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं।
मुंबई के एक प्रमुख निजी अस्पताल के निदेशक ने कहा कि उन्होंने ऐसे मरीजों की संख्या में इजाफा देखा है जो गणपति उत्सव के बाद बुखार का इलाज कराने क्लीनिक जा रहे हैं और कोविड-19 के पॉजिटिव मामलों की संख्या में भी वृद्धि हुई है।
