दोनों ओर आठ लेन की चौड़ी सड़क, जगजमागी रोशनी से नहाई 21 गगनचुंबी इमारत और तमाम सुविधाओं से युक्त शहर…एकबारगी हांगकांग की याद दिला देता है।
जी नहीं, हम विदेश के किसी मेट्रो सिटी की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि यह शहर है दिल्ली-जयपुर हाइवे पर स्थित राजधानी दिल्ली से सटा शहर गुड़गांव। अपनी तमाम खासियतों के कारण दिल्ली का यह उपनगर कारपोरेट घरानों को खूब लुभा रहा है।
गुड़गांव स्थित साइबर सिटी (150 लाख वर्ग फीट में से 80 वर्ग फीट पर निर्माण कार्य पूरा ) के बगल में और एक ओर से ‘मॉल ऑफ इंडिया’ (भारत का सबसे बड़ा रिटेल मॉल) से सटा स्थित है डीएलएफ का विशेष आर्थिक क्षेत्र। जहां अन्य 15 गगनचुंबी इमारतों में आईटी कंपनियों के ऑफिस के लिए 50 लाख वर्ग फीट की जगह उपलब्ध है, शहर को एक अलग भी आभा प्रदान कर रहा है।
इसके साथ ही डीएलएफ गोल्फ क्लब का इलाका, जिसे सेक्टर रोड के नाम से जाना जाता है, वहां भी नई-नई इमारतों का तेजी से निर्माण हो रहा है। आने वाले कुछ महीनों में यहीं पर अमेरिकन एक्सप्रेस और अर्नस्ट एंड यंग अपना मुख्यालय खोलेगा।
अगर किसी कंपनी को यहां जगह उपलब्ध नहीं हो पाए, तो निराश होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि हाइवे पर ही स्थित सोहना रोड पर भी कार्यालय के लिए तमाम जगह उपलब्ध हैं, जिसे छोटे-छोटे व्यावसायियों के लिए यूनिवर्सल और वाटिका जैसे डेवलपर्स विकसति कर रहे हैं।
इसके साथ जयपुर की ओर गुड़गांव से 20-25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित आईएमटी मानेसर स्थित है, जो वैसी कंपनियों के लिए उपयुक्त हो सकता है, जिसे अपने क्लाइंट से अक्सर मिलने न जाना पड़ता हो।डीएलएफ ने जब गुड़गांव को विकसित करना शुरू किया था, तब उनका ध्यान लोगों को दिल्ली की भीड़-भाड़ से दूर शांत-स्वच्छ वातावरण में रिहाइश उपलब्ध कराना था।
डीएलएफ कॉमर्शियल के चेयरमैन ए. एस. मिनोचा ने बताया कि 2003 तक गुड़गांव में व्यावसायिक निर्माण बहुत धीमी गति से हुआ, लेकिन उसके बाद निर्माण कार्य में तेजी आई और डीएलएफ शहर में हर साल 20 लाख वर्ग फीट की जगह उपलब्ध कराने लगी। 1997-98 में किराया जहां 6 से 8 रुपये प्रति वर्ग फीट था, वहीं अब यह बढ़कर 60 से 80 रुपये प्रति वर्ग फीट पहुंच गया है।