कंपनियों की वित्तीय क्षमता और परियोजना के कम जोखिम से नए बिल्ट ऑपरेट ट्रांसफर (बीओटी) मॉडल की सफलता तय हो सकती है। सरकार ने राजमार्ग परियोजनाओं के निर्माण में निजी क्षेत्र से निवेश आकर्षित करने के लिए बीओटी मॉडल में बदलाव किया है और उसे भरोसा है कि इससे निजी निवेश आएगा।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) इस महीने के आखिर तक बीओटी मॉडल पर कर्नाटक में 70 किलोमीटर सड़क खंड के निर्माण की पेशकश कर सकता है, जिसकी लागत करीब 1,700 करोड़ रुपये है।
यह सड़क खंड छोटा हो सकता है, लेकिन कंपनियों का कहना है कि सड़क पर ट्रैफिक और टोल राजस्व के मुताबिक परियोजना की व्यावहारिकता तय होगी, न कि ठेके के आकार के आधार पर।
दिलीप बिल्डकॉन के सीईओ देवेंद्र जैन ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘आकार कोई बड़ा निर्धारक नहीं है। सड़क खंड पर अनुमानित यातायात और परियोजना से आने वाला अनुमानित राजस्व अहम है।’ कंपनी ने 6 बीओटी एन्युटी और एक बीओटी टोल परियोजना पर पहले काम किया है और उसने पेशकश की जाने वाली परियोजनाओं के मूल्यांकन को लेकर अपने विकल्प खुले रखे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि प्रक्रिया को तेजी से शुरू करने के लिए तुलनात्मक रूप से छोटे खंड की पेशकश से स्थिति जांचने में मदद मिलेगी। क्रिसिल इन्फ्रास्ट्रक्चर एडवाइजरी के निदेशक, परिवहन जगन्नारायण पद्मनाभन ने कहा, ‘सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने हाल में बीओटी कंसेसन एग्रीमेंट में बदलाव किया है, क्योंकि बीओटी ठेके में ठहराव आ गया था। बेहतर यह होगा कि छोटे सड़क खंड के साथ निवेशकों के रुख का परीक्षण किया जाए।’ उन्होंने कहा कि भविष्य की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि प्राधिकरण बदलाव को लेकर कितना समावेशी है और नई परियोजनाओं में पूंजी लगाने को लेकर निजी क्षेत्र का भरोसा कितना बहाल हुआ है। छोटी परियोजनाएं कम समय में पूरी हो सकती हैं और इससे कंपनियों को बड़ी परियोजनाओं की ओर कदम बढ़ाने का अवसर मिलेगा।
केंद्रीय सड़क सचिव गिरिधर अरामाने ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘छोटे ठेकों से निर्माण की अवधि 6 से 8 महीने कम होगी। इसका यह भी मतलब है कि टेंडर की प्रक्रिया में ज्यादा संख्या में कंपनियां हिस्सा ले सकेंगी। इसका मतलब है कि ज्यादा प्रतिस्पर्धा होगी और ठेके के लिए मूल्य की बेहतर तलाश हो सकेगी।’
बहरहाल सरकार ने बड़े आकार की बीओटी परियोजनाओं की पेशकश का विकल्प बंद नहीं किया है। उन्होंने कहा, ‘हम इस तरह की परियोजनाओं पर भविष्य में काम कर सकते हैं, लेकिन अभी हम छोटी परियोजनाओं से काम शुरू करना चाहते हैं और उसके बाद बड़े ठेके देंगे।’
एनएचएआई की ओर से इस तरह की नई पेशकश दो साल के बाद की जाने वाली है। अंतिम बीओटी परियोजना हापुड़-मुरादाबाद राजमार्ग थी, जिसका आवंटन मार्च 2018 में आईआरबी इन्फ्रास्ट्रक्चर को करीब 3,400 करोड़ रुपये में किया गया था। इस साल फरवरी में एनएचएआई ने नए बीओटी दिशानिर्देश पेश किए हैं, जिससे निजी हिस्सेदारी को प्रोत्साहन दिया जा सके।
बुनियादी ढांचा क्षेत्र के बारे में अपनी हाल की रिपोर्ट में एचडीएफसी सिक्योरिटीज ने कहा, कि दिलीप बिल्डकॉन ने वित्त वर्ष 21 की शुरुआत ऑर्डर के प्रवाह के धमाके के साथ की और 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के ऑर्डर मिले और वह वित्त वर्ष 20 के आंकड़ों को पार कर गई।
पीएनसी इन्फ्राटेक के बारे में रिपोर्ट में कहा गया कि इसका कोराबार अब 4,500 करोड़ रुपये है और पीएनसी को सड़क के बाहर अपने कारोबार को विस्तार देने व नए ठेके के लिए रेलवे में अपनी विश्वसनीयता का इस्तेमाल करने की जरूरत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सद्भाव इंजीनियरिंग लिमिटेड इस समय सद्भाव इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट लिमिटेड (एसआईपीएल) की संपत्तियां बेचकर वित्तीय भरपाई कर रही है। कंपनी पीई विस्तार की दिशा में है।
इस क्षेत्र से बड़ी कंपनियों का हटना चुनौती है। कंपनियों की इस तरह की परियोजना पर काम करने की इच्छा है, लेकिन वले निवेश पर रिटर्न (आरओआई) में देरी, कड़े कंसेसन समझौते व सरकार के साथ कानूनी विवादों की वजह से इससे दूर भाग रही थीं।
नए मानकों में आसानी से परियोजना से निकलने का प्रावधान है, जो फंसी परियोजनाओं के मामले में कंपनियों को राहत देगा।