ईरान और इजराइल के बीच जारी टकराव अब और भी गंभीर होता जा रहा है। शुक्रवार को दोनों देशों ने एक-दूसरे पर जोरदार मिसाइल और ड्रोन हमले किए। इजराइल ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े ठिकानों पर हमला किया, जिसके जवाब में ईरान ने पहली बार क्लस्टर बम का इस्तेमाल करते हुए इजराइली इलाकों को निशाना बनाया। इस हमले के बाद दोनों देशों के बीच संघर्ष और गहरा गया है।
ईरान की ओर से दागे गए मिसाइलों में से एक में क्लस्टर बम भरा हुआ था, जो इजराइल के एक अस्पताल पर गिरा। इस हमले में दर्जनों लोग घायल हो गए। यह पहली बार है जब इस युद्ध में किसी देश ने क्लस्टर बम का इस्तेमाल किया है। क्लस्टर बम के उपयोग से अब यह जंग सैन्य ठिकानों से निकलकर आम लोगों तक पहुंच गई है।
इस हमले के बाद इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि ईरान को इस हमले की “पूरी कीमत चुकानी” होगी। उन्होंने दावा किया कि इजराइल का सैन्य ऑपरेशन तय समय से आगे चल रहा है और अब तक उम्मीद से ज्यादा लक्ष्य पूरे किए जा चुके हैं। नेतन्याहू के इस बयान से यह साफ हो गया है कि इजराइल अब और भी सख्त जवाब देने की तैयारी में है।
क्लस्टर बम एक ऐसा हथियार होता है जो हवा में फटता है और उसमें से सैकड़ों छोटे-छोटे बम (बॉमलेट्स) एक बड़े इलाके में बिखर जाते हैं। इनका इस्तेमाल आमतौर पर हवाई जहाज, मिसाइल या रॉकेट से किया जाता है। क्लस्टर बम बड़े इलाके को नुकसान पहुंचाने के लिए बनाए जाते हैं।
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क्लस्टर बम विवादास्पद इसलिए माने जाते हैं क्योंकि इनके सभी छोटे बम एक साथ नहीं फटते। इनमें से कई ज़मीन पर गिरकर वर्षों तक बिना फटे पड़े रहते हैं, जो आम लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं। कई देशों में युद्ध के वर्षों बाद भी इनसे जुड़े धमाके होते रहे हैं। इनके कारण आम नागरिकों, खासकर बच्चों को भारी नुकसान होता है।
क्लस्टर बम का पहली बार इस्तेमाल द्वितीय विश्व युद्ध में हुआ था। इसके बाद शीत युद्ध के दौरान इनका बड़े पैमाने पर भंडारण शुरू हुआ। इनका उद्देश्य था – एक साथ फैले टैंकों, सैनिकों या ठिकानों को तेजी से खत्म करना। लेकिन बाद में देखा गया कि यह हथियार अक्सर आम नागरिकों को ही ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं।
ईरान की ओर से दागे गए एक क्लस्टर बम ने इजराइल के आज़ोर नामक कस्बे में एक रिहायशी इमारत को नुकसान पहुंचाया। हालांकि इस हमले में किसी के मारे जाने की खबर नहीं है, लेकिन वहां के प्रशासन ने लोगों को चेतावनी दी है कि इलाके में बिना फटे बम हो सकते हैं, जिन्हें छूना बेहद खतरनाक हो सकता है। इजराइल की “होम फ्रंट कमांड” ने सोशल मीडिया पर लोगों से अपील की कि कोई भी संदिग्ध वस्तु दिखे तो तुरंत पुलिस को सूचना दें।
पारंपरिक मिसाइल एक जगह पर जाकर धमाका करती है, जिससे नुकसान सीमित होता है। वहीं क्लस्टर बम हवा में खुलकर कई हिस्सों में बंट जाता है और पूरे इलाके में तबाही फैलाता है। इजराइली सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, भले ही हर छोटा बॉमलेट सीमित शक्ति रखता हो, लेकिन शहरों या आबादी वाले इलाकों में ये बहुत बड़ा खतरा बन जाते हैं।
2008 में बनी ‘कन्वेंशन ऑन क्लस्टर म्यूनिशन्स’ नामक संधि के तहत क्लस्टर बमों के निर्माण, भंडारण और इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया गया है। अब तक 111 देश और 12 संस्थाएं इस समझौते पर दस्तखत कर चुकी हैं। लेकिन ईरान, इजराइल, अमेरिका और रूस जैसे बड़े देश इस संधि में शामिल नहीं हैं। 2023 में अमेरिका ने यूक्रेन को रूस के खिलाफ इस्तेमाल के लिए क्लस्टर बम भेजे थे। यूक्रेन ने भी रूस पर इनका जवाबी इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। इस तरह यह साफ है कि इन हथियारों को लेकर वैश्विक सहमति अब भी अधूरी है।