Iran-Israel War: अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि वे अगले दो हफ्तों के भीतर यह तय करेंगे कि ईरान पर हमला करना है या नहीं। यह बयान ऐसे समय आया है जब इजरायल ने ईरान के कई न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला किया है और चेतावनी दी है कि उसके हमले ईरान की सत्ता को गिरा सकते हैं।
व्हाइट हाउस की प्रवक्ता कैरोलीन लेविट ने बताया कि ट्रंप ने यह बात एक डिक्टेटेड बयान में कही। उन्होंने कहा, “ईरान से बातचीत की संभावना को देखते हुए मैं अगले दो हफ्तों में फैसला करूंगा कि हमला करना है या नहीं।”
ट्रंप शुक्रवार को ओवल ऑफिस में एक राष्ट्रीय सुरक्षा बैठक में हिस्सा लेंगे। वे बीते कुछ दिनों से अमेरिका को इजरायल के साथ मिलकर ईरान पर हमला करने की बात करते आ रहे थे, लेकिन अब उनकी यह टिप्पणी एक कदम पीछे हटने जैसा माना जा रहा है।
इस घटनाक्रम का असर बाजारों पर भी पड़ा है। अमेरिका के शेयर फ्यूचर्स में गिरावट कम हुई है, जबकि जापान, चीन और ऑस्ट्रेलिया के बाजारों में स्थिरता देखी गई। ब्रेंट क्रूड की कीमतें 2% तक गिरी हैं।
ट्रंप का दो हफ्ते का डेडलाइन देना कोई नई बात नहीं है। वे अक्सर ऐसे बयान देते रहे हैं, जिन पर वे कभी अमल करते हैं और कभी नहीं।
अमेरिकी अधिकारियों ने पुष्टि की है कि ईरान पर संभावित हमले की तैयारी शुरू हो चुकी है। कुछ एजेंसियों ने संभावित हवाई हमलों के लिए तैयारियां तेज कर दी हैं।
इस बीच, ईरान ने गुरुवार को एक मिसाइल से इजरायल के सोरुका मेडिकल सेंटर को निशाना बनाया, जिसमें कुछ लोगों को हल्की चोटें आईं। इजरायल का कहना है कि मिसाइल में दर्जनों सब-म्यूनिशन थे जो जमीन पर गिरने से पहले बिखर गए।
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि उनका मकसद ईरान के न्यूक्लियर और मिसाइल कार्यक्रम को खत्म करना है, और जरूरी हुआ तो शासन परिवर्तन का माहौल भी बनाया जा सकता है। जब उनसे पूछा गया कि क्या इसका मतलब सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई को निशाना बनाना है, तो उन्होंने कहा, “कोई अछूता नहीं है।”
इजरायली वायुसेना ने ईरान के कई सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया है, जिनमें अराक स्थित एक निष्क्रिय न्यूक्लियर रिएक्टर भी शामिल है। यह जगह लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय नजरों में रही है क्योंकि वहां से भविष्य में प्लूटोनियम तैयार किया जा सकता है।
दूसरी ओर, यूरोपीय देशों ने कूटनीतिक समाधान की अपील की है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने ट्रंप से बातचीत के दरवाजे खुले रखने को कहा है। अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो और विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के विदेश मंत्रियों से मुलाकात की है। इन सभी की शुक्रवार को जेनेवा में ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची से बातचीत होनी है।
ईरान ने भी कहा है कि वह अब भी डिप्लोमैसी को तरजीह देता है और परमाणु हथियार बनाने की कोई मंशा नहीं रखता। हालांकि, खामेनेई ने यह भी साफ कर दिया है कि वे झुकेंगे नहीं।
इज़रायल और ईरान के बीच जारी जंग और भड़क गई है। इज़रायल ने ईरान के कई परमाणु ठिकानों पर हमला किया है और चेतावनी दी है कि अगर ज़रूरत पड़ी तो तेहरान की सत्ता को गिराने तक की कार्रवाई की जाएगी। अब सबकी नजर अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप पर है, जिन्होंने संकेत दिए हैं कि वे इस संघर्ष में इज़रायल का साथ दे सकते हैं।
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि सेना का मकसद ईरान की परमाणु और मिसाइल क्षमताओं को नष्ट करना है, लेकिन इससे ईरान में सत्ता परिवर्तन का रास्ता भी खुल सकता है। जब उनसे पूछा गया कि क्या इसका मतलब ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को निशाना बनाना है, तो नेतन्याहू ने कहा, “कोई भी सुरक्षित नहीं है।” इज़रायल के रक्षा मंत्री इसराइल काट्ज ने भी खामेनेई का नाम लेते हुए कहा कि उन्हें जवाबदेह ठहराया जाएगा।
इस बीच, अमेरिका के शीर्ष अधिकारी आने वाले दिनों में ईरान पर सैन्य कार्रवाई की तैयारी कर रहे हैं। कुछ रिपोर्टों के मुताबिक, ट्रंप सप्ताहांत में हमला करने का फैसला ले सकते हैं। हालांकि ट्रंप ने अभी तक कोई साफ घोषणा नहीं की है। उन्होंने कहा है कि वे “आखिरी पल में फैसला लेंगे”।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने ट्रंप से अपील की है कि वे ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर बातचीत के रास्ते खुले रखें। यूएई के वरिष्ठ राजनयिक अनवर गर्गाश ने भी युद्ध रोकने और डायलॉग की बहाली की अपील की है। उधर, ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराक़ची ने कहा है कि ईरान कूटनीति के लिए प्रतिबद्ध है और उसने कभी परमाणु हथियार हासिल करने की मंशा नहीं रखी।
ईरान की एक मिसाइल गुरुवार को इज़रायल के सोरोका मेडिकल सेंटर पर गिरी, जो जंग शुरू होने के बाद पहली बार किसी अस्पताल को निशाना बनाने की घटना है। हालांकि उस समय अस्पताल का वह हिस्सा खाली था, इसलिए केवल कुछ मामूली चोटें आईं।
इज़रायल ने ईरान के दर्जनों सैन्य ठिकानों पर हमला किया है, जिनमें अराक स्थित एक निष्क्रिय परमाणु रिएक्टर भी शामिल है। रक्षा मंत्री काट्ज ने कहा कि अब हम ईरान के रणनीतिक और सरकारी ढांचों पर हमला और तेज करेंगे। अराक क्षेत्र को लंबे समय से परमाणु प्लूटोनियम उत्पादन के लिए संवेदनशील माना जाता रहा है।
अमेरिका के ईरान पर संभावित हमले को लेकर अनिश्चितता कम होने से कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई है।
ब्रेंट क्रूड की कीमत एक समय 3.5% तक गिरकर 77 डॉलर प्रति बैरल से नीचे पहुंच गई, हालांकि बाद में कुछ नुकसान की भरपाई हुई। व्हाइट हाउस की प्रवक्ता कैरोलीन लेविट ने कहा कि ईरान के साथ बातचीत की संभावना “ठोस” है, इसलिए कोई भी फैसला लेने में थोड़ा वक्त लगेगा। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि बातचीत की सफलता की कितनी उम्मीद है।
तेल बाजार के लिए यह हफ्ता काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। कीमतों में 8 डॉलर तक की भारी हलचल देखी गई, वोलैटिलिटी बढ़ी, टाइमस्प्रेड्स फैले और कुछ समय के लिए ऑप्शन ट्रेडिंग में उतनी तेजी दिखी जितनी रूस-यूक्रेन युद्ध के वक्त भी नहीं दिखी थी।
ब्रेंट की कीमत गुरुवार को करीब 3% बढ़ गई थी, क्योंकि अमेरिकी हमले की आशंका वीकेंड तक बनी हुई थी। खबरों के मुताबिक, अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारी इस संभावना को लेकर तैयारियां कर रहे थे, हालांकि स्थिति पूरी तरह स्पष्ट नहीं थी।
वेस्टपैक बैंकिंग कॉर्प के कमोडिटी रिसर्च प्रमुख रॉबर्ट रेनी के अनुसार, “लेविट के बयान से बाजार की तुरंत प्रतिक्रिया की स्थिति कुछ ठंडी पड़ी है। फिलहाल के लिए ऐसा लग रहा है कि तेल बाजार 70 से 80 डॉलर के बीच के इस अस्थिर दायरे में टिके रहने वाला है।”