कोरोनावायरस के एक नए दक्षिण अफ्रीकी रूप की वजह से दुनिया भर में डर की लहर पैदा हो गई है। हालांकि वायरस के इस नए रूप के बारे में पर्याप्त डेटा उपलब्ध नहीं हैं लेकिन सरकारी अधिकारी महामारी की एक नई लहर और टीके को लेकर चिंतित हैं, साथ ही सभी राज्यों में चेतावनी जारी कर दी गई है। वायरस के इस नए रूप पर हम नजर डालते है:
दक्षिण अफ्रीकी वायरस क्या है?
वायरस के इस रूप को बी.1.1.529 कहा गया है और प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार इसमें वायरस के विभिन्न हिस्सों में कई म्यूटेशन या बदलाव हैं। दक्षिण अफ्रीका में वैज्ञानिकों ने स्पाइक प्रोटीन के 30 से अधिक म्यूटेशन का पता लगाया है। स्पाइक प्रोटीन वायरस का वह हिस्सा है जो शरीर में कोशिकाओं को जोड़ता है। स्पाइकप्रो्रोटीन के कई म्यूटेशन का असर टीके की प्रभावशीलता और संक्रामकता पर हो सकता है।
इसकी मौजूदा प्रसार दर क्या है?
राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र के मुताबिक कोविड-19 के 8.1.1529 स्वरूप के कई मामले, बोत्सवाना (3 मामले), दक्षिण अफ्रीका (6 मामले) और हॉन्ग कॉन्ग (1 मामले) में देखे गए हैं। इजरायल में भी हाल ही में इस वायरस का पता चला है। दक्षिण अफ्रीका में यह गुआथेंग प्रांत में पाया गया है और श्वाने (गुआथेंग का हिस्सा) में संक्रमण की दर पिछले तीन हफ्ते में 1 फीसदी से बढ़कर 30 फीसदी से अधिक हो गई है। दक्षिण अफ्रीका के अधिकारियों ने हाल ही में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उनके यहां संक्रमण के मामले 16 नवंबर को 273 मामले से कई गुना बढ़कर 24 नवंबर को लगभग 1,200 हो गए हैं।
क्या हमें चिंतित होना चाहिए?
किसी भी निश्चित जवाब से पहले हमें अधिक जीनोमिक अनुक्रमण की जरूरत है और कुछ विशेषज्ञों ने कहा है कि ऐसा लगता है कि वायरस का नया रूप बहुत जल्दी फैलता है। दक्षिण अफ्रीका के सेंटर फॉर एपिडेमिक रिस्पॉन्स ऐंड इनोवेशन के निदेशक तुलियो डि ओलिवियरा ने कहा, ‘दो सप्ताह से भी कम समय में यह रूप (बी.1.1.529) दक्षिण अफ्रीका में एक भयावह डेल्टा लहर के बाद सभी संक्रमणों पर हावी हो रहा है।’ केयू ल्यूवेन यूनिवर्सिटी में बायोलॉजी और बायोस्टैटिस्टिक के प्रोफेसर, टॉम वेनसेलीयर्स ने एक ट्वीट में कहा, ‘वायरस के बनने के 4-7 दिनों का वक्त, डेल्टा स्वरूप के आर वैल्यू का 6 गुना अधिक है। हालांकि अभी इसकी पुष्टि की जानी है लेकिन यह ठीक नहीं लग रहा है।’ हालांकि, यह आकलन करना भी अभी जल्दबाजी होगी कि क्या यह संस्करण अधिक घातक या संक्रामक है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि टीकाकरण और कोविड के उपयुक्त व्यवहार से ही इस वक्त हमारी सुरक्षा हो रही है।
यह इलाज को प्रभावित करेगा?
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐंटीवायरल (जैसे रेमडेसिविर और फेविपिराविर) काम करते रहेंगे क्योंकि वे विशेष रूप से स्पाइक प्रोटीन को अकेले निशाना नहीं बनाते हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) में सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च इन वायरोलॉजी के पूर्व प्रमुख जैकब जॉन ने कहा, ‘ऐंटीवायरल उपाय में कोई बदलाव नहीं होगा। स्पाइक प्रोटीन में बदलाव शरीर की प्रतिरोधक क्षमता की सुरक्षा प्रभावित कर सकती है। फिलहाल, सभी टीके मामूली अंतर के साथ वायरस के रूप से बचाव कर रहे हैं। इस नए रूप के साथ भी ऐसा ही हो सकता है। टीके की प्रतिरोधक क्षमता कम प्रभावी हो सकती है।’ उन्होंने महसूस किया कि अगर टीके की बूस्टर खुराक दी जाती है तो इससे प्रतिरोधक प्रतिक्रिया में सुधार हो सकता है लेकिन इसका अध्ययन करने के साथ ही इसे दिखाया भी जाना चाहिए।
भारत ने क्या कार्रवाई की है?
भारत ने राज्यों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि इन देशों और अन्य जोखिम वाले देशों से यात्रा करने वाले सभी अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की सख्ती से पूरी व्यापक जांच की जाए। स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार इन अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के संपर्कों पर भी बारीकी से नजर रखी जानी चाहिए। राज्य अब कोविड-19 से संक्रमित यात्रियों से नमूने नामित प्रयोगशालाओं में भेजेंगे जो इंडियन सार्स-सीओवी-2 जीनोमिक्स सिक्वेंसिंग कंसोर्टियम (इनसोकॉग) का हिस्सा है। इनसोकॉग भारत में चिंताजनक रूपों के उभार और प्रसार की निगरानी करता है।
दूसरे देश क्या कर रहे हैं?
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रिटेन ने छह अफ्रीकी देशों से उड़ानों पर अस्थायी प्रतिबंध आदेश जारी किया और ऑस्ट्रेलिया ने कहा कि अगर हालात बिगड़ते हैं तब वह दक्षिणी अफ्रीका के यात्रियों के लिए सीमा नियमों को सख्त करने से नहीं रुकेगा। एएफपी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यूरोपीय संघ भी कोविड के दक्षिण अफ्रीकी स्वरूप की वजह से उड़ानों पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव देगा।
डब्ल्यूएचओ क्या कर रहा है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) वायरस के नए रूप की बारीकी से निगरानी कर रहा है और शुक्रवार को एक विशेष बैठक बुलाई गई ताकि टीके और उपचार को लेकर चर्चा की जा सके। कोविड-19, डब्ल्यूएचओ से जुड़ी तकनीकी प्रमुख डॉ मारिया वैन केरखोव ने कहा, ‘हम अभी तक इस बारे में बहुत ज्यादा नहीं जानते हैं। हम सिर्फ यही जानते हैं कि इस रूप में बड़ी संख्या में म्यूटेशन हुआ है। ऐसे में चिंता की बात यह है कि जब इतने सारे म्यूटेशन हैं तो इस वायरस की प्रवृत्ति पर भी असर हो सकता है।’ ट्विटर के एक पोस्ट में डब्ल्यूएचओ के अधिकारी ने कहा कि शोधकर्ता एक साथ आ रहे हैं ताकि वे यह समझ सकें कि इसके संभावित इलाज और टीके क्या हो सकते हैं।