US-India trade: व्यापार में भागीदार देशों पर बराबरी वाले शुल्क लगाने से एक दिन पहले अमेरिका ने भारत द्वारा वाहन, कृषि उत्पाद, दवाओं और शराब जैसे क्षेत्रों में ऊंचे शुल्क के साथ ही ‘अचानक’ शुल्क को बदल देने और नियामकीय बाधाओं का जिक्र किया है। उसके अनुसार इस तरह की नीतियां अमेरिकी निर्यात के लिए गैर-शुल्क बाधा के रूप में काम करती हैं।
अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) द्वारा जारी विदेशी व्यापार बाधाओं पर राष्ट्रीय व्यापार अनुमान रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 में भारत ने औसतन 17 फीसदी शुल्क (2022 में 18.1 फीसदी था) वसूला जो किसी भी प्रमुख अर्थव्यवस्था में सबसे अधिक है। गैर-कृषि वस्तुओं पर औसतन 13.5 फीसदी और कृषि उत्पादों के आयात पर औसतन 39 फीसदी शुल्क वसूला गया।
वित्त वर्ष 2026 के बजट में सीमा शुल्क कटौती की घोषणा के बाद केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड के चेयरमैन संजय कुमार अग्रवाल ने बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में कहा था कि भारत का औसत शुल्क 11.65 फीसदी से घटकर 10.66 फीसदी हो गया है जो आसियान देशों के औसत शुल्क के लगभग बराबर है।
यूएसटीआर रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारत वनस्पति तेलों पर 45 फीसदी तक, सेब, मक्का और मोटरसाइकलों पर 50 फीसदी, वाहन और फूलों पर 60 फीसदी, प्राकृतिक रबर पर 70 फीसदी, कॉफी, किशमिश और अखरोट पर 100 फीसदी और शराब पर 150 फीसदी तक शुल्क वसलूता है।’ रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ड्रग फॉर्मूलेशन पर बहुत अधिक बुनियादी सीमा शुल्क (कुछ मामलों में 20 फीसदी से अधिक) लगाता है जिसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन की आवश्यक औषधियों की सूची में शामिल जीवन रक्षक दवाएं भी शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार उच्च शुल्क दरें कृषि वस्तुओं और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के व्यापार में भी महत्त्वपूर्ण बाधा उत्पन्न करती हैं।
यूएसटीआर ने कहा कि विश्व व्यापार संगठन के तहत इसकी बाध्य और लागू दरों के बीच बड़ी असमानता को देखते हुए भारत के पास किसी भी समय कृषि और गैर-कृषि दोनों उत्पादों पर शुल्क दरें बदलने का लचीलापन है, जिससे अमेरिकी श्रमिकों, किसानों, पशुपालकों और निर्यातकों के लिए भारी अनिश्चितता पैदा हो रही है। ट्रंप ने बीते रविवार को कहा था कि बराबरी का शुल्क बिना किसी अपवाद के सभी देशों पर लागू होगा।