US Fed Rates: अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने इस साल लगातार पांचवीं बार अपनी प्रमुख शॉर्ट टर्म इंटरेस्ट रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। इस फैसले के साथ ब्याज दर लगभग 4.3 फीसदी पर बनी हुई है, जहां यह पिछले साल तीन बार की कटौती के बाद स्थिर है।
राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कई बार फेड से ब्याज दरों में कटौती की मांग की थी, लेकिन इसे फेड ने नजरअंदाज किया।
फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल का कहना है कि यदि ट्रंप द्वारा लगाए गए व्यापक टैरिफ (आयात शुल्क) नहीं होते, तो अब तक दरों में कटौती की जा सकती थी। पॉवेल और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि आयात शुल्क का मुद्रास्फीति और समग्र अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इसे स्पष्ट रूप से समझे बिना कोई अगला कदम उठाना जल्दबाज़ी होगी।
अमेरिका में आयात शुल्कों के चलते घरेलू बाज़ार में कुछ उत्पादों जैसे उपकरणों, फर्नीचर और खिलौनों की लागत बढ़ गई है। इसका असर महंगाई पर भी दिखा है—हालांकि कुल मिलाकर महंगाई दर में थोड़ी ही वृद्धि हुई है और यह आर्थिक विश्लेषकों की अपेक्षाओं से कम रही है।
इस बीच, अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिज़र्व के भीतर ब्याज दरों को लेकर मतभेद उभरते नजर आए हैं। गवर्नर क्रिस्टोफर वालर और मिशेल बोमन ने कर्ज की लागत घटाने के पक्ष में मतदान किया, जबकि चेयरमैन जेरोम पॉवेल सहित नौ अधिकारियों ने मौजूदा दरें बरकरार रखने का समर्थन किया। यह पहली बार है जब वॉशिंगटन स्थित सात फेड गवर्नरों में से दो ने इस तरह असहमति जताई है। एक अन्य गवर्नर, एड्रियाना कुग्लर, बैठक में अनुपस्थित रहीं और उन्होंने मतदान नहीं किया।
फेड द्वारा ब्याज दर में कटौती न करने का फैसला, व्हाइट हाउस और फेड के बीच टकराव को और गहरा कर सकता है। राष्ट्रपति ट्रंप पहले भी कई बार केंद्रीय बैंक से दरें घटाने की मांग कर चुके हैं ताकि आर्थिक मोर्चे पर उनका नियंत्रण और प्रभाव बढ़ाया जा सके—विशेष रूप से ऐसे समय में जब फेड कुछ गिनी-चुनी स्वतंत्र संघीय संस्थाओं में से एक के रूप में कार्य कर रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने ऐलान किया है कि अमेरिका 1 अगस्त से भारत से आयात होने वाले उत्पादों पर 25 फीसदी शुल्क लगाएगा। साथ ही, उन्होंने रूस से ईंधन खरीदने वाले देशों पर ‘जुर्माना’ लगाने की भी बात कही है।
ट्रंप प्रशासन इससे पहले अप्रैल में भारत पर 26 फीसदी जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा कर चुका था। मौजूदा समय में भारत से अमेरिका को किए जाने वाले निर्यात पर Most Favoured Nation (MFN) टैग के तहत लगने वाले शुल्क के अतिरिक्त 10 फीसदी का बुनियादी शुल्क लिया जा रहा है।
यह फैसला ऐसे समय पर सामने आया है जब भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार वार्ताएं नतीजे तक नहीं पहुंच सकीं। दोनों देशों के बीच अंतरिम व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए पांच दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन 1 अगस्त की समयसीमा से पहले किसी ठोस सहमति पर नहीं पहुंचा जा सका।
अमेरिका ने अपने व्यापारिक साझेदार देशों पर जवाबी शुल्क लगाने की अंतिम समयसीमा 1 अगस्त तय की थी, और अब ट्रंप ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत पर यह शुल्क लागू किया जाएगा।
(-एजेंसी इनपुट के साथ)