पहलगाम हमले के बाद आतंकवादी संगठनों पर अंकुश लगाने के लिए भारत के राजनयिक प्रयास रंग लाने लगे हैं। इन्हीं प्रयासों के तहत अमेरिका ने शुक्रवार को पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) को ‘विदेशी आतंकवादी संगठन’ घोषित कर दिया। अमेरिका के इस कदम से टीआरएफ को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 समिति में शामिल करने में मदद मिल सकती है, जो आतंकवादियों और उनके संगठनों को नामित करने वाला प्रमुख आतंकवाद विरोधी तंत्र है। भारत ने अमेरिका के फैसले का स्वागत करते हुए इसे समय पर उठाया गया बेहद महत्त्वपूर्ण कदम बताया जो दोनों देशों के बीच मजबूत आतंकवाद विरोधी सहयोग को दर्शाता है।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन एलईटी का मुखौटा संगठन टीआरएफ पहलगाम में नागरिकों पर हुए जघन्य हमले सहित कई आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहा है। उसने दोनों घटनाओं की स्वयं जिम्मेदारी भी ली थी।
अमेरिका का यह कदम सोमवार से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र में विदेश नीति के बचाव को सरकार के लिए मजबूत आधार प्रदान कर सकता है, क्योंकि विपक्षी इंडिया गठबंधन के दलों ने इस सत्र में ऑपरेशन सिंदूर और चीन समेत अन्य देशों से संबंधों भारत के संबंधों पर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है।
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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकी हमला हुआ था, जिसमें कई पर्यटकों समेत 26 लोगों की मौत हो गई थी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने 25 अप्रैल को इसकी निंदा तो की थी, लेकिन चीन और पाकिस्तान की आपत्तियों के बाद अपने बयान से टीआरएफ और एलईटी के संदर्भ हटा दिए थे। इसके बाद 23 जून को भारत ने चीन के छिंगताओ में शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक में संयुक्त विज्ञप्ति पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था, क्योंकि इसमें पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र नहीं किया गया था और न ही पाकिस्तान समर्थित सीमा पार आतंकवाद पर भारत की चिंताओं को स्पष्ट रूप से रेखाकिंत किया था।
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि अमेरिकी विदेश विभाग टीआरएफ को एक नामित विदेशी आतंकवादी संगठन और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी के रूप में जोड़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह आतंकवाद का मुकाबला करने और राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के पहलगाम हमले के लिए न्याय के आह्वान को लागू करने की वाशिंगटन की प्रतिबद्धता का हिस्सा था। रुबियो ने कहा कि एलईटी के मुखौटा संगठन टीआरएफ ने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे, जो एलईटी द्वारा किए गए 2008 के मुंबई हमले के बाद से भारत में नागरिकों पर सबसे घातक हमला था। रुबियो ने कहा, ‘टीआरएफ ने भारतीय सुरक्षा बलों के खिलाफ कई हमलों की जिम्मेदारी भी ली है, जिसमें हाल ही में 2024 में हुए हमले भी शामिल हैं।’
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एक सोशल मीडिया पोस्ट में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि अमेरिका का फैसला भारत-अमेरिका आतंकवाद विरोधी सहयोग की मजबूती को दर्शाता है। यह समय पर उठाया गया महत्त्वपूर्ण कदम है। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता की नीति के लिए प्रतिबद्ध है और वह आतंकवादी संगठनों और उनके मुखौटा संगठनों को जवाबदेह ठहराने के लिए अपने अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ मिलकर काम करना जारी रखेगा।
टीआरएफ 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद जम्मू-कश्मीर में उभरा। भारतीय खुफिया सूत्रों के अनुसार, इसकी रैंक में पूर्व पाकिस्तानी स्पेशल सर्विस ग्रुप कमांडो हैं। सूत्रों ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के अलावा, यह पिछले दो वर्षों में चार प्रमुख हमलों में शामिल था।
एक संबंधित घटनाक्रम में और अमेरिका द्वारा टीआरएफ पर प्रतिबंध लगाने के कुछ घंटों बाद चीन ने शुक्रवार को क्षेत्रीय देशों से आपसी सुरक्षा चक्र मजबूत करने के लिए आतंकवाद विरोधी सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया।