भारत ने कोरोना के दोनों टीके लगा चुके भारतीयों को टीकाकृत नहीं मानने के ब्रिटिश सरकार के कदम को भेदभावकारी बताया है और इस बात का संकेत दिया है कि वह भी उस जैसी ही कार्रवाई करने का अधिकार रखता है।
ब्रिटेन ने पिछले शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए एक नई प्रणाली शुरू की थी, जिसमें कुछ निश्चित देेशों के टीका लगवा चुके लोगों के लिए होम आइसोलेशन की जरूरत खत्म कर दी गई। ये लाभ 17 अतिरिक्त देशों को मुहैया कराए गए हैं, जिनमें एशियाई और कैरेबियाई देश भी शामिल हैं। हालांकि भारत को इस सूची में शामिल नहीं किया गया और मौजूदा नियमों के मुताबिक यहां के यात्रियों को ब्रिटेन में पहुंचने पर खुद को 10 दिन आइसोलेशन में रखना होगा, भले ही उन्होंने कोविशील्ड की दोनों खुराक लगवाई हुई हों। इसके खिलाफ राजनेताओं और आम जनता ने आवाज उठाई, जिससे सरकार को यह मुद्दा ब्रिटेन की सरकार के समक्ष उठाने को बाध्य होना पड़ा।
विदेश सचिव हर्ष वर्धन शृंंगला ने आज कहा, ‘कोविशील्ड ब्रिटेन की कंपनी का एक लाइसेंसशुदा उत्पाद है, जिसका उत्पादन भारत में होता है। हमने ब्रिटेन के आग्रह पर उसे कोविशील्ड की 50 लाख खुराक की आपूर्ति की है। इसलिए कोविशील्ड को मान्यता नहीं देना भेदभावकारी नीति है, जिससे ब्रिटेन जाने वाले नागरिक प्रभावित हो रहे हैं।’
विदेश मामलों के मंत्री एस जयशंकर ने भी ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिज ट्रूस के साथ अपनी पहली बातचीत के दौरान इस मुद्दे पर चिंता जताई और पारस्परिक हित में कोई समाधान निकालने का आग्रह किया। शृंगला ने विदेश मंत्री की बातचीत का हवाला देते हुए कहा कि इस मुद्दे के समाधान का आश्वासन दिया गया है। भारत ने कोविड के चार टीकों को मान्यता दी है, लेकिन अपने टीकाकरण कार्यक्रम में केवल ऑक्सफर्ड एस्ट्राजेनेका से लाइसेंस प्राप्त कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन का इस्तेमाल किया है। कोविशील्ड को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंजूरी दे दी है, लेकिन कोवैक्सीन को मंजूरी लंबित है।
भारत में 85 फीसदी से ज्यादा लोगों को कोविशील्ड के टीके लगे हैं। भारत सरकार टीकों की मान्यता के मुद्दे पर पिछले कुछ महीनों से ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के साथ बातचीत कर रही है। भारत के पलटवार की कार्रवाई करने की चेतावनी के बाद बहुुत से यूरोपीय देशों ने कोविशील्ड टीके को स्वीकार करना शुरू कर दिया है। शृंगला ने कहा, ‘हमने अपने कुछ साझेदार देशों को टीका प्रमाणपत्र को पारस्परिक मान्यता के विकल्प की पेशकश की है। ये पारस्परिक उपाय हैं। हम देखेंगे कि इनका क्या नतीजा निकलता है। अगर हम संतुष्ट नहीं हुए तो हमारे पास वैसी ही कार्रवाई करने का अधिकार है।’
मौजूदा नियमनों के मुताबिक ब्रिटेन भारत में सभी श्रेणियों के वीजा आवेदन स्वीकार करता है और इसमें प्रवेश के लिए टीकाकरण जरूरी नहीं है।
