विदेश मंत्री एस जयशंकर और रूस के विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव के बीच बुधवार को होने वाली बैठक में आपसी व्यापार के निपटान में राष्ट्रीय मुद्राओं के इस्तेमाल बढ़ाने सहित कई विषयों पर बातचीत होगी। दोनों नेताओं के बीच रूस के सुदूर पूर्व में आर्कटिक क्षेत्र में हाइड्रोकार्बन के लिए परियोजनाएं विकसित करने पर भी बातचीत होगी।
रूस के विदेश मंत्रालय ने यह जानकारी दी। जयशंकर पांच दिवसीय यात्रा पर सोमवार को रूस पहुंच गए। वह रूस के नेताओं से बातचीत करने के साथ दोनों देशों के बीच सालाना द्विपक्षीय सम्मेलन में भी भाग लेंगे।
मंगलवार को जारी वक्तव्य में रूस ने कहा कि दोनो देशों के विदेश मंत्रियों के बीच परिवहन तंत्र के विकास, लॉजिस्टिक और बैंकिंग एवम वित्तीय क्षेत्र आदि पर चर्चा होगी।
इस बारे में रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मामलों में राजनीतिक चर्चा को आगे बढ़ाना सबसे महत्त्वपूर्ण विषय है। वक्तव्य में कहा गया कि इसके अलावा आर्थिक, वित्त, ऊर्जा, सैन्य उपकरणों के विकास, विज्ञान और संस्कृति आदि में दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाना भी प्रमुख लक्ष्यों में शामिल हैं।’
रूस से कच्चे तेल ले आयात में राष्ट्रीय मुद्राओं में निपटान भारत के लिए विशेष महत्त्व रखता है। इस समय दोनों देशों के बीच संयुक्त अरब अमीरात (यूएई )की मुद्रा दिरहम में भुगतान हो रहे हैं।
मगर रूस की कंपनियों के लिए दिरहम में भुगतान लेना मुश्किल साबित हो रहा है क्योंकि यूएई में बैंकिंग संपर्क फिलहाल दिक्कतों से गुजर रहे हैं । भारत के लिए रूस इस समय कच्चे तेल का सबसे बड़ा स्रोत है। रूस ने भारत को नवंबर में कुल जरूरत का 33 प्रतिशत कच्चे तेल की आपूर्ति की थी।
पश्चिमी देशों की पाबंदी के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने नवंबर में रूस के बैंकों को इंडसइंड बैंक और यूको बैंक में वोस्ट्रो अकाउंट खोलने की अनुमति दी थी। वोस्ट्रो अकाउंट के जरिये कोई विदेशी बैंक भारतीय मुद्रा में खाते का परिचालन करता है।
रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘दोनों देशों के विदेश मंत्री वर्तमान और भविष्य में द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े विषयों पर चर्चा करेंगे। मंत्रालय के अनुसार दोनों देशों के नेताओं के बीच भविष्य में होने वाली बैठकों पर भी चर्चा की जाएगी। अंतरिक्ष और नाभिकीय सहित उच्च तकनीक क्षेत्रों पर भी दोनों विदेश मंत्रियों के बीच बातचीत का कार्यक्रम है।’
जयशंकर और लावरोव वर्तमान अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी अपने दृष्टिकोण का आदान प्रदान करेंगे। संयुक्त राष्ट्र, शांघाई सहयोग संगठन और जी 20 में बातचीत के विषयों पर भी अलग से चर्चा की जाएगी। अगले साल रूस के नेतृत्व में आयोजित होने वाले आगामी ब्रिक्स देशों के सम्मेलन की प्राथमिकताओं पर भी दोनों नेता चर्चा करेंगे।
मंत्रालय के अनुसार एशिया प्रशांत क्षेत्र में उचित सुरक्षा ढांचा तैयार करने, यूक्रेन में वर्तमान स्थिति और इजरायल और फिलिस्तीन के बीच जारी संघर्ष पर भी दोनों देशों के विदेश मंत्री विचारों का आदान प्रदान करेंगे। रूस ने कहा है कि दोनो देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध, विशेषकर सामरिक साझेदारी आपसी विश्वास और एक दूसरे के प्रति सम्मान पर आधारित है।