PM Modi’s Singapore visit: देश के सेमीकंडक्टर उद्योग का अब तेजी से विकास होगा। यहां फैलते सेमीकंडक्टर उद्योग को सहयोग देने के मकसद से भारत और सिंगापुर के बीच गुरुवार को द्विपक्षीय समझौता हुआ। इसी के साथ सेमीकंडक्टर क्षेत्र से जुड़ी सिंगापुर की कंपनियों और आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए भारतीय बाजार के दरवाजे खुल जाएंगे।
अपनी दो दिवसीय यात्रा पर बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिंगापुर पहुंचे थे, जहां उन्होंने शीर्ष नेतृत्व के साथ-साथ वहां के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों और उद्यमियों से वार्ताएं की। दोनों देश संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ाने और मजबूत करने पर सहमत हुए। दोनों देश अगले साल राजनयिक संबंधों की 60वीं वर्षगांठ मनाएंगे।
प्रधानमंत्री के रूप में अपनी 5वीं यात्रा पर सिंगापुर पहुंचे मोदी ने सेमीकंडक्टर, डिजिटल सहयोग, शिक्षा, कौशल विकास, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा क्षेत्र में द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
प्रौद्योगिकी क्षेत्र में यह साझेदारी ऐसे समय में अमल में आई है जब सेमीकंडक्टर पर ध्यान केंद्रित करते हुए उन्नत विनिर्माण क्षेत्र को द्विपक्षीय सहयोग के एक स्तंभ के रूप में जोड़ा गया है। प्रधानमंत्री मोदी और सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग ने सेमीकंडक्टर फैक्टरी एईएम होल्डिंग लिमिटेड का दौरा किया, जहां उन्होंने सिंगापुर सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री एसोसिएशन के प्रतिनिधियों से मुलाकात की।
सिंगापुर सरकार ने अपने बयान में कहा, ‘भारत सेमीकंडक्टर विनिर्माण में वैश्विक ताकत बनना चाहता है। इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रिक वाहन और विनिर्माण क्षेत्र में उसकी घरेलू मांग बहुत मजबूत है। सेमीकंडक्टर उद्योग की वृद्धि से इसे बहुत अधिक फायदा होगा। सिंगापुर के स्थापित सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र से इस क्षेत्र में स्थानीय कारोबारियों का रुझान तेजी से बढ़ा है, जो भारतीय बाजारों की तरफ उम्मीद भरी निगाह से देख रहे हैं। ‘
लंबे समय से ताइवान चिप विनिर्माण में अग्रणी बना हुआ है, इसी प्रकार सिंगापुर इलेक्ट्रिक कारों और स्मार्टफोन के लिए छोटी चिप बनाने में अपनी पहचान स्थापित कर रहा है। सिंगापुर सरकार के मुताबिक देश की जीडीपी में सेमीकंडक्टर उद्योग की हिस्सेदारी 7-8 प्रतिशत है। यह वैश्विक सेमीकंडक्टर क्षेत्र में 10 प्रतिशत मांग को पूरा करता है। इससे पहले, इसी सप्ताह कैबिनेट ने भारत में पांचवीं सेमीकंडक्टर यूनिट की स्थापना को मंजूरी दी थी। इस यूनिट की स्थापना पर 3,307 करोड़ रुपये खर्च होंगे, जो प्रति दिन 60 लाख चिप का उत्पादन करेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग ने गुरुवार को गहन बातचीत की और दोनों देशों ने अपने द्विपक्षीय संबंधों का दायरा ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी’ तक बढ़ाते हुए सेमीकंडक्टर क्षेत्र में सहयोग सहित चार समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए। इस मौके पर मोदी ने कहा कि सिंगापुर न केवल एक साझेदार राष्ट्र है, बल्कि यह प्रत्येक विकासशील देश के लिए प्रेरणा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘मुझे पूरा भरोसा है कि 4जी (चौथी पीढ़ी के नेताओं) के नेतृत्व में सिंगापुर और भी तेजी से प्रगति करेगा। हम भारत में भी कई सिंगापुर बनाना चाहते हैं और मुझे खुशी है कि हम इस दिशा में मिलकर काम कर रहे हैं। कौशल विकास, डिजिटलीकरण, गतिशीलता, उन्नत विनिर्माण, सेमीकंडक्टर, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई), स्वास्थ्य सेवा, स्थिरता और साइबर सुरक्षा में दोनों देशों के बीच साझेदारी इस तंत्र की पहचान बन गई है। हम सिंगापुर-भारत रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाकर एक ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी’ में बदल रहे हैं।’ दोनों नेताओं ने सुरक्षा, समुद्री क्षेत्र में जागरूकता, शिक्षा, एआई, फिनटेक, नई प्रौद्योगिकी क्षेत्र, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा ज्ञान साझेदारी के क्षेत्रों में मौजूदा सहयोग की भी समीक्षा की।
उन्होंने दोनों देशों के बीच आर्थिक और लोगों के बीच आपसी संबंधों को बढ़ाने के लिए संपर्क सुविधा को मजबूत करने का आह्वान किया। मोदी और वोंग ने ‘हरित गलियारा’ परियोजनाओं में तेजी लाने का भी आह्वान किया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक रिश्ते इन संबंधों का एक महत्त्वपूर्ण घटक है। उन्होंने घोषणा की कि भारत का पहला तिरुवल्लुवर सांस्कृतिक केंद्र सिंगापुर में खोला जाएगा। नेताओं ने भारत-आसियान (दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन) संबंधों और हिंद-प्रशांत के लिए भारत के दृष्टिकोण सहित आपसी हित के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने सिंगापुर के कारोबारी दिग्गजों से भारतीय विमानन क्षेत्र में निवेश का आह्वान करते हुए गुरुवार को कहा कि बढ़ते घरेलू हवाई यातायात को देखते हुए भारत में 100 से अधिक नए हवाई अड्डों और अधिक विमानन कंपनियों की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि कौशल विकास से लेकर रक्षा क्षेत्र तक सहयोग में तेजी आई है और ‘सिंगापुर एयरलाइंस’ और ‘एयर इंडिया’ के बीच समझौते से संपर्क सुविधा मजबूत हुई है।
मोदी ने सिंगापुर की अपनी यात्रा के दौरान यहां कई दिग्गज कंपनियों के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों (सीईओ) के साथ बैठक के दौरान उन्हें विमानन के अलावा ऊर्जा और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में निवेश के अवसर तलाशने के लिए आमंत्रित किया। प्रधानमंत्री ने सिंगापुर के कारोबारी दिग्गजों के साथ गोलमेज बैठक में कहा कि भारत के विमानन क्षेत्र में व्यापक संभावनाएं हैं।
उन्होंने निवेश कोष, बुनियादी ढांचे, विनिर्माण, ऊर्जा, टिकाऊ विकास और लॉजिस्टिक क्षेत्रों की कंपनियों के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों से कहा कि भारत अगले कुछ वर्षों में दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है।
(साथ में एजेंसियां)