दिल्ली में रहने वाले निखिल पराशर जब रविवार तड़के कनाडा के लिए रवाना हुए तब उन्हें यह अंदाजा नहीं था कि उन्हें अगले 24 घंटे बेलग्रेड हवाईअड्डे पर अपना वक्त बिताना पड़ेगा। सर्बिया की सरकार ने सात दिनों का क्वारंटीन अनिवार्य कर दिया जिसकी वजह से पराशर और 200 से अधिक भारतीयों की स्थिति अजीबोगरीब हो गई और तब सर्बिया में मौजूद भारतीय दूतावास ने हस्तक्षेप किया ताकि यात्रियों को परेशानी न हो। नया नियम शुक्रवार से लागू हो गया लेकिन भारतीय यात्रियों को बेलग्रेड में हवाई जहाज से उतरने तक इस बात का अंदाजा नहीं था।
कनाडा और अमेरिका ने अप्रैल-मई महीने से ही भारतीय यात्रियों के सीधे पहुंचने पर प्रतिबंध लगा दिया जिसके बाद इन दोनों देशों में जाने वाले यात्रियों के लिए सर्बिया एक ट्रांजिट केंद्र बन गया है। कनाडा ने भारतीय यात्रियों को किसी तीसरे देश से आरटी-पीसीआर जांच रिपोर्ट लेना अनिवार्य कर दिया। कई छात्र सर्बिया के रास्ते कनाडा जा रहे हैं और उन्हें हवाई टिकट पर 1.8 लाख रुपये खर्च करने के साथ ही बेलग्रेड में 2-3 दिन रुकना पड़ रहा है। वहीं दूसरी तरफ भारत से आने वाले किसी भी यात्री को अमेरिका में जाने की तभी अनुमति दी जा रही है जब उन्होंने भारत से बाहर कहीं और 14 दिन बिताए हों।
पाराशर ने बेलग्रेड के अपने अनुभव के बारे में ट्वीट किया, ‘बॉर्डर गार्ड ने प्रवेश देने से इनकार कर दिया। कई छात्रों के पास सात दिनों तक सर्बिया में रहने के लिए पैसे नहीं हैं और वे कनाडा पहुंचना चाहते हैं। कुछ ऐसे परिवार भी हैं जिनके साथ बच्चे भी हैं और वे हवाईअड्डे पर फंसे हैं। भारतीय दूतावास हमारी मदद कर रहा है।’ परेशान यात्रियों ने मदद के लिए ट्वीट किया जिसके बाद बेलग्रेड में भारतीय मिशन हरकत में आया।
भारतीय दूतावास ने ट्वीट कर कहा, ‘बेलग्रेड हवाईअड्डे पर फंसे 205 भारतीयों में से 120 आज लुफ्थांसा से यात्रा कर रहे हैं। दूसरी एयरलाइन से यात्रा करने वाले भारतीय आज या कल उड़ान भरेंगे। दूतावास के अधिकारी सभी भारतीयों की रवानगी सुनिश्चित करने के लिए हवाईअड्डे के अधिकारियों/एयरलाइनों के संपर्क में हैं।’