मूडीज रेटिंग्स ने अमेरिका के नए सिलसिलेवार शुल्कों के मद्देनजर कैलेंडर वर्ष 2025 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि का अनुमान बुधवार को घटाकर 5.5 से 6.5 फीसदी कर दिया जबकि उसने फरवरी में 6.6 फीसदी वृद्धि का अनुमान लगाया था।
रेटिंग एजेंसी ने अपनी शुल्क और व्यापार अशांति पर अपनी रिपोर्ट में कहा कि ट्रंप शुल्क से वैश्विक व्यापार गतिविधियों पर असर पड़ेगा। इन शुल्कों से क्षेत्रीय निर्यात की मांग घटेगी। इससे व्यापारिक आत्मविश्वास भी घटेगा। लिहाजा एशिया प्रशांत क्षेत्र में निवेश घटेगा। यह अनुमान दूसरे देशों के लिए 10 फीसदी के बुनियादी शुल्क और चीन पर 145 फीसदी शुल्क के परिदृश्य को ध्यान में रखकर संशोधित किया गया है।
मूडीज रेटिंग्स ने बताया कि अमेरिका को भारत के निर्यात में विविधता है और तुलनात्मक रूप से इस पर कम प्रभाव पड़ेगा। इसने कहा कि इस पूरे क्षेत्र (एशिया प्रशांत) में अमेरिका की मांग को लेकर सर्वाधिक प्रभाव इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी और उपकरणों के अलावा खाद्य व वस्त्र उद्योग पर पड़ा है।
रिपोर्ट में कहा गया कि लगातार अनिश्चितता और वित्तीय बाजार में बढ़ते तनाव के कारण अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाला अतिरिक्त दबाव आसानी से अमेरिका को मंदी की ओर ले जा सकता है। मूडीज रेटिंग्स की शाखा मूडीज एनॉलिटिक्स ने भी हाल ही में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के वृद्धि अनुमान को कैलेंडर वर्ष 2025 के लिए 30 आधार अंक घटाकर 6.1 फीसदी कर दिया था। इसका कारण यह था कि अमेरिका के शुल्क के प्रभाव से रत्न व आभूषण, चिकित्सा उपकरण और वस्त्र उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
दूसरी तरफ, संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास (अंकटाड) ने बढ़ते व्यापारिक तनाव के कारण वर्ष 2025 के लिए वैश्विक वृद्धि के अनुमान को घटाकर 2.3 फीसदी कर दिया है जबकि उसने कहा है कि जबरदस्त सार्वजनिक खर्च और मौद्रिक नीति में ढील दिए जाने से भारत की वृद्धि का अनुमान 6.5 फीसदी होगा।
अंकटाड की रिपोर्ट के अनुसार, ‘केंद्रीय बैंक के इस फरवरी की शुरुआत में पांच वर्षों में पहली बार ब्याज दर में 25 आधार अंक कटौती करने के फैसले से घरेलू खपत को मदद मिलेगी और इससे निजी निवेश योजना को मजबूती मिलेगी।’
अंकटाड ने आगाह किया कि वैश्विक वृद्धि में सुस्ती से सभी देशों की वृद्धि प्रभावित होगी और इससे खासतौर पर विकासशील देश व सर्वाधिक कमजोर अर्थव्यवस्थाएं अधिक प्रभावित होंगी। इसने कहा कि कई निम्न आय वाले देश बदतर होती बाह्य वित्तीय स्थिति, जरूरत से ज्यादा ऋण और कमजोर होती घरेलू वृद्धि के कारण ‘संकट’ का सामना कर रहे हैं।
बयान के अनुसार ‘अंकटाड आर्थिक वृद्धि, निवेश और विकास की प्रगति के लिए वास्तविक खतरे को रेखांकित करता है और यह खतरा विशेष रूप से कमजोर अर्थव्यवस्थाओं के लिए अधिक है।’एशियाई विकास बैंक ने अप्रैल 2025 के आउटलुक रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत के जीडीपी वृद्धि अनुमान को घटाकर 6.7 फीसदी कर दिया है जबकि यह पहले 7 फीसदी था। इसने कहा, ‘अमेरिका के भारत और अन्य देशों पर शुल्क लगाने से बड़ा जोखिम खड़ा हो गया है। इससे व्यापार व निवेश पर असर पड़ सकता है और इससे घरेलू वित्तीय बाजार में अस्थिरता पैदा होने की आशंका है।