अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो और रक्षा मंत्री मार्क टी एस्पर भारत के साथ तीसरी 2+2 मंत्रीस्तरीय बैठक के लिए सोमवार को नई दिल्ली पहुंच गए। यह बैठक मंगलवार को नई दिल्ली में होगी, जिसमें दोनों पक्षों के बीच हिंद-प्रशांत क्षेत्र में द्विपक्षीय रक्षा संबंधों और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की उम्मीद है। सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षा मंत्री समकक्ष मार्क टी एस्पर ने विभिन्न मुद्दों पर व्यापक चर्चा की। उन्होंने दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग को और बढ़ाने के तरीकों के अलावा तेजी से बढ़ते रक्षा तथा सामरिक संबंधों से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर भी चर्चा की।
चीन के क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिशों के बीच इस बैठक के मायने काफी बढ़ गए हैं। अमेरिका में 3 नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले यह बैठक खास मानी जा रही है। पोम्पिओ ने रविवार को ट्वीट किया, ‘भारत, श्रीलंका, मालदीव और इंडोनेशिया की अपनी यात्रा के लिए रवाना हो गया हूं। हिंद-प्रशांत को स्वतंत्र एवं मुक्त, मजबूत तथा समृद्ध बनाने के साझा दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए हमारे भागीदारों के साथ जुडऩे का अवसर पाकर आभारी हूं।’ अमेरिका के रक्षा मंत्री मार्क एस्पर और विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ अपने भारतीय समकक्षों क्रमश: राजनाथ सिंह तथा एस. जयशंकर के साथ 2प्लस2 मंत्रीस्तरीय बैठक करेंगे। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ जारी विवाद और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते चीनी सैन्य दबदबे के बीच यह उच्च स्तरीय वार्ता हो रही है। दोनों ही मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है। चीन के बढ़ते सैन्य युद्धाभ्यास की पृष्ठभूमि में भारत, अमेरिका और कई अन्य वैश्विक शक्तियां स्वतंत्र, मुक्त तथा संपन्न हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दे रही हैं।
इस बैठक में भारतीय पक्ष का नेतृत्व विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे। यह बैठक ऐसे समय हो रही है, जब भारत का चीन के साथ सीमा पर गतिरोध जारी है और इस मुद्दे पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन के दो प्रमुख अधिकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से भी मुलाकात करेंगे। सिंह के साथ बातचीत के पहले अमेरिकी रक्षा मंत्री को रायसीना हिल में साउथ ब्लॉक के बाहर तीनों सेनाओं की ओर से गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। अमेरिका पिछले कुछ महीनों में विभिन्न मुद्दों को लेकर चीन की काफी आलोचना करता रहा है। इन मुद्दों में भारत के साथ सीमा विवाद, दक्षिण चीन सागर में उसकी बढ़ती सैन्य आक्रामकता, और हांगकांग में सरकार-विरोधी प्रदर्शनों से निपटने के तरीके शामिल हैं। पोम्पिओ की यात्रा से पहले अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका भारत के एक प्रमुख क्षेत्रीय और वैश्विक शक्ति के रूप में उभरने का स्वागत करता है। विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘अमेरिका एक प्रमुख क्षेत्रीय और वैश्विक शक्ति के रूप में भारत के उभरने का स्वागत करता है। अमेरिका संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आगामी कार्यकाल के दौरान भारत के साथ निकट सहयोग के लिए उत्सुक है।’ उम्मीद है कि दोनों पक्ष द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को और बढ़ावा देने के लिए लंबे समय से लंबित बीईसीए (बेसिक एक्सचेंज ऐंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट) समझौते को अंतिम रूप दे सकते हैं। इस समझौते के तहत दोनों देश अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकी, साजोसामान और भू-स्थानिक मानचित्र साझा कर सकेंगे। भारत-अमेरिका के रक्षा संबंध पिछले कुछ वर्षों में प्रगाढ़ हुए हैं। अमेरिका ने रक्षा व्यापार और प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान को अपने निकटतम सहयोगियों के स्तर तक ले जाने की मंशा दिखाते हुए जून 2016 में भारत को ‘प्रमुख रक्षा सहयोगी’ नामित किया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा तंत्र को मंजूरी दिए जाने के बाद सितंबर 2018 में दिल्ली में पहली टू प्लस टू बैठक हुई थी।
