भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने फ्रांस के साथ मिलकर अगली पीढ़ी के फाइटर जेट इंजन बनाने की सिफारिश की है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, यह साझेदारी भारत को एडवांस तकनीक और इंजन डिज़ाइन की क्षमता दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। यह सिफारिश एक बड़े ₹61,000 करोड़ के प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जिसमें 120 किलोन्यूटन (kN) थ्रस्ट वाला इंजन तैयार किया जाएगा। यह इंजन भारत के भविष्य के फाइटर जेट प्रोग्राम जैसे कि एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) के लिए उपयोग किया जाएगा।
भारत ने फ्रांस की सफरान कंपनी और ब्रिटेन की रोल्स रॉयस के प्रस्तावों की तुलना की थी। तकनीकी जांच के बाद यह पाया गया कि फ्रांस की सफरान कंपनी ने दो वजहों से बेहतर ऑफर दिया:
अभी तक भारत के सभी फाइटर जेट विदेशी इंजनों पर चलते हैं। इंजन ही फाइटर जेट का सबसे महंगा हिस्सा होता है। नई साझेदारी से भारत खुद अपने लड़ाकू विमानों के इंजन बनाने की दिशा में आगे बढ़ेगा।
भारत पहले भी अपना इंजन बनाने की कोशिश कर चुका है। DRDO की लैब GTRE ने कावेरी इंजन पर सालों तक काम किया, लेकिन यह फाइटर जेट के लिए जरूरी ताकत नहीं दे सका। अब इस इंजन को ड्रोन (UCAV) और छोटे समुद्री जहाजों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
15 जुलाई को अमेरिका ने भारत को GE-F404 इंजन की दूसरी खेप सौंपी। ये इंजन भारत के तेजस LCA Mk-1A के लिए हैं, जिसकी कुल 83 यूनिट भारतीय वायुसेना ने ₹48,000 करोड़ में ऑर्डर की हैं। यह ऑर्डर 2021 में दिया गया था और अब HAL (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) को इस वित्त वर्ष में 12 और इंजन मिलने की उम्मीद है।
HAL अब GE एयरोस्पेस के साथ मिलकर ज्यादा ताकतवर F414 इंजन भारत में ही बनाने की योजना पर भी काम कर रहा है। यह डील करीब 1 अरब डॉलर की हो सकती है और इसमें 80% तक तकनीकी ट्रांसफर का वादा किया गया है। इससे भारत में इंजन निर्माण की संपूर्ण व्यवस्था (ecosystem) तैयार होने की उम्मीद है।