अमेरिका में पिछले 17 वर्षों के इतिहास में पहली दफा उपभोक्ताओं को इतनी अधिक मार झेलनी पड़ी है। एसएेंडपीकेस शिलर अमेरिकी नेशनल होम प्राइस सूचकांक के अनुसार जनवरी महीने में जब बेरोजगारी की स्थिति अपने चरम पर थी, अधिकांश जिंस उत्पादों के भाव ऊपर चढ़े और मुद्रास्फीति जनित मंदी की आशंका बढ़ गई है। देश में 26 वर्षों में पहली बार उत्पादों की कीमतों में इतनी अधिक बढ़ोतरी हुई है। आंकड़ों के अनुसार अमेरिका में घरों की कीमतों में 2007 की चौथी तिमाही में रिकार्ड बढ़ोतरी दर्ज की गई है। उत्पाद कीमतों में 8.9 फीसदी की वर्ष दर वर्ष बढ़ोतरी हुई है। अमेरिका के श्रम विभाग के अनुसार जनवरी में उत्पादक कीमतों में एक फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इसकी सबसे बड़ी वजह ईंधन की कीमतों में तेजी को बताया जा रहा है। कीमतों में सालाना 7.4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। पिछले 26 वर्षों में यह सबसे बड़ी सालाना बढ़ोतरी है। कान्फ्रेंस बोर्ड ने कहा कि फरवरी में उपभोक्ता संवेदी सूचकांक गिरकर 75 पर आ गया है। यह प्रदर्शन अर्थशास्त्रियों के अनुमान से भी नीचे रहा है। गौरतलब है कि पांच वर्ष पूर्व इराक युद्ध के बाद यह अब तक की सबसे बुरी स्थिति है। कान्फ्रेंस बोर्ड का अपेक्षा सूचकांक गिरकर 57.9 फीसदी तक पहुंच गया जो पिछले 17 वर्षों के अपने निचले स्तर पर है।
न्यूयार्क में एमएफ ग्लोबल के बाजार विश्लेषक एंड्रयू ब्रेनर ने कहा, ”ऐसा लगता है कि अमेरिका में अर्थव्यवस्था को लेकर विश्वास डगमगा रहा है। खासतौर पर महंगाई पर नियंत्रण पाना मुश्किल लग रहा है।” उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि स्थितियां मुद्रास्फीति जनित मंदी की ओर इशारा कर रही हैं। वहीं दूसरी ओर फेडरल बैंक के एक अधिकारी ने इस संभावना से इनकार किया कि कीमतों में तेजी से हो रही वृद्धि खतरा बनती जा रही है। उन्होंने कहा कि देश में आर्थिक मंदी अपने आप में एक बड़ी समस्या है और इसके सामने मुद्रास्फीति की दर कोई खास मायने नहीं रखती है। फेडरल बैंक के उपाध्यक्ष डोनाल्ड कोन ने कहा, ”मुझे नहीं लगता कि कीमतों में जो तेजी आई है वह आने समय में भी बनी रहेगी।” विलमिंगटन में नार्थ कैरोलीना विश्वविद्यालय में एक भाषण के दौरान उन्होंने कहा, ”मेरे खयाल से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को वित्तीय बाजार के विपरीत पहलुओं से ज्यादा खतरा है।”
इधर कंप्यूटर सेवा प्रदान करने वाली कंपनी आईबीएम की ओर से मुनाफा आउटलुक में वृद्धि की घोषणा किए जाने से उठापटक से भरे कारोबारी दिन में अमेरिकी शेयर बाजारों ने शुरुआती गिरावट के बाद कुछ तेजी दिखाई।
उपभोक्ताओं के विश्वास में आई कमी अपने आप में चिंता का विषय है। सितंबर 2005 के बाद से उपभोक्ता विश्वास और उम्मीद सूचकांक में यह अब तक की सबसे बड़ी कमी देखी गई है। इसके पहले चक्रवातीय तूफान कैटरीना के बाद इतनी बुरी स्थिति उत्पन्न हुई थी। इस सूचकांक पर बेरोजगारी के बढ़ते ग्राफ का असर भी पड़ा है। फरवरी में उन रोजगारों की संख्या बढ़कर 23.8 फीसदी हो गई है जिन्हें प्राप्त करना टेढ़ी खीर साबित होती है। जनवरी में यह आंकड़ां 20.6 फीसदी का था। वहीं दूसरी ओर रोजगार के ऐसे अवसर जिन्हें प्राप्त करना अपेक्षाकृत आसान है उनकी संख्या में 3.2 फीसदी की गिरावट आई है।