facebookmetapixel
डायबिटीज के लिए ‘पेसमेकर’ पर काम कर रही बायोरैड मेडिसिसMeta-WhatsApp डेटा साझेदारी मामले में सीसीआई ने एनसीएलएटी से मांगा स्पष्टीकरणशांघाई सहयोग संगठन की बैठक में बोले जयशंकर, आर्थिक संबंधों का हो विस्तारसीमेंट ढुलाई बढ़ाने के लिए रेलवे की नई टर्मिनल नीति लागू, पांच साल में हिस्सेदारी 50% तक लाने का लक्ष्यकर्नाटक ने स्पेसटेक पॉलिसी लॉन्च की, 2034 तक भारत के अंतरिक्ष बाजार में 50% हिस्सेदारी का लक्ष्यछोटे शहरों में नए होटलों को टैक्स लाभ देने की मांग तेज, FHRAI ने बजट 2026 में रखा बड़ा प्रस्तावविकसित देशों से जलवायु प्रतिबद्धता निभाने की अपील, भूपेंद्र यादव ने COP30 में रखी अपनी मांगबिज़नेस स्टैंडर्ड समृद्धि 2025: उत्तर प्रदेश में निवेश व विकास पर मंथन 19 नवंबर कोडिजिटल धोखाधड़ी रोकने के लिए बनेगा दुनिया का पहला IDPIC, बैंकिंग सुरक्षा में आएगा बड़ा बदलावबजट 2026-27 से पहले कंपनियों की बड़ी मांग: डिमर्जर प्रक्रिया को कर-मुक्त बनाया जाए

G20 घोषणापत्र: ‘बाली, बाली था और नई दिल्ली,नई दिल्ली है’ कहा विदेश मंत्री ने; कुछ ने बताया PM मोदी की ‘गांरटी और जादू’

यूक्रेन संघर्ष पर G20 देशों के बीच अभूतपूर्व आम सहमति बनाने में भारत कामयाब रहा और ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका एवं इंडोनेशिया जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं ने इसमें अहम भूमिका निभाई

Last Updated- September 10, 2023 | 3:51 PM IST

यूक्रेन संघर्ष पर G20 नेताओं के घोषणापत्र का पाठ ‘विभाजनकारी आम सहमति’ के बजाय ‘समान राय वाली आम सहमति’ है और यह संकट के समाधान का रास्ता दिखा सकता है। आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी। इससे एक दिन पहले, भारत ने बड़ी कूटनीतिक जीत हासिल करते हुए G20 देशों के बीच इस विवादित मुद्दे पर आम सहमति बना ली थी।

सूत्रों ने नई दिल्ली घोषणापत्र (नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन) पर सदस्य देशों के बीच पूरी तरह से आमसहमति बनने का हवाला देते हुए कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘गांरटी और जादू’ का संयोजन है। यूक्रेन संघर्ष के विवादित मुद्दे पर जी20 देशों के बीच अभूतपूर्व आम सहमति बनाने में भारत कामयाब रहा और ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका एवं इंडोनेशिया जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं ने इसमें अग्रणी भूमिका निभाई।

सूत्रों ने कहा कि G20 घोषणापत्र में आम सहमति की प्रकृति को देखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह (घोषणापत्र) वास्तव में विभिन्न मुद्दों पर ‘47 उप-आम सहमति’ को दर्शाता है। उन्होंने इसका विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि घोषणापत्र में करीब 10 वृहद थीम हैं, और 37 उप-विषय हैं तथा सभी देश उन पर सहमत हो गए हैं।

सूत्रों ने बताया कि कुल मिलाकर जी20 शिखर सम्मेलन का निष्कर्ष भारत और उसके नेतृत्व को ‘लोकतांत्रिक मूल्यों को जोड़ने वाले केंद्र’ के रूप में प्रदर्शित करता है। उन्होंने कहा कि घोषणापत्र में यूक्रेन संघर्ष पर पैराग्राफ को पिछले साल के बाली घोषणापत्र के परिप्रेक्ष्य में नहीं देखा जाना चाहिए।

एक सूत्र ने कहा, ‘यह विभाजनकारी आम सहमति’ के बजाय समान राय वाली आम सहमति है।’ उन्होंने कहा कि घोषणापत्र में अपनाया गया रुख इस संकट से निपटने की ‘स्थायी’ रूपरेखा को प्रदर्शित करता है, जबकि विभाजनकारी आम सहमति हमेशा ‘नाजुक’ होती है।

सूत्र ने कहा, ‘सर्वसम्मति उल्लेखनीय है और दस्तावेज में समग्र दृष्टिकोण एक वृहद संदर्भ को दर्शाता है। यूक्रेन संघर्ष से संबंधित पैराग्राफ विचारों के आदान-प्रदान से कहीं अधिक है। इसलिए विदेश मंत्री ने कहा कि बाली, बाली है और नई दिल्ली, नई दिल्ली है।’

पिछले साल बाली में हुए जी20 शिखर सम्मेलन में जारी घोषणापत्र में, यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की कड़े शब्दों में निंदा की गयी, जबकि ज्यादातर सदस्यों ने युद्ध की कड़ी निंदा की। नई दिल्ली घोषणापत्र में यह शामिल नहीं है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘बाली घोषणापत्र के साथ तुलना के संबंध में, मैं केवल यही कहूंगा कि बाली, बाली था और नई दिल्ली, नई दिल्ली है। मेरा मतलब है, बाली (जी20 शिखर सम्मेलन) को एक साल हो गया है।’

उन्होंने कहा, ‘तब स्थिति अलग थी। तब से कई चीजें हुई हैं। और वास्तव में यदि आप घोषणापत्र के भू-राजनीतिक खंड में देखें, तो कुल आठ पैराग्राफ हैं, जिनमें से सात वास्तव में यूक्रेन मुद्दे पर केंद्रित हैं।’ उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि किसी को इसके बारे में रूढ़िवादी विचार नहीं रखने चाहिए। नई दिल्ली घोषणापत्र में वर्तमान स्थिति और चिंताओं का जवाब दिया गया है, ठीक उसी तरह जैसे एक साल पहले बाली घोषणापत्र में किया गया था।’

नई दिल्ली घोषणापत्र में केवल ‘यूक्रेन में युद्ध’ का संदर्भ दिया गया है और ‘दुनियाभर में युद्ध और संघर्षों के प्रतिकूल प्रभाव तथा मानवीय पीड़ा पर गहरी चिंता’ जताई गई है। यह पूछे जाने पर कि क्या चीन ने वार्ताकारों के लिए समस्याएं खड़ी की, सूत्रों ने कहा कि ऐसा नहीं था और भारत ने एक समावेशी रुख अपनाया, जो सभी को साथ लेकर चलने पर केंद्रित था।

First Published - September 10, 2023 | 3:51 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

संबंधित पोस्ट