अमेरिका के साथ संबंधों के व्यापक हित में भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की अनाप-शनाप सोशल मीडिया पोस्टों को नजरअंदाज करने का फैसला किया है। इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया को संतुलित रखते हुए भारतीय अधिकारी पिछले दो दिनों से अमेरिकी अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहे हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि उन्हें उम्मीद है कि व्हाइट हाउस भारत के दृष्टिकोण को बेहतर ढंग से समझेगा और आने वाले दिनों में वियतनाम (20 प्रतिशत) एवं इंडोनेशिया (19 प्रतिशत) जैसे देशों के लिए प्रस्तावित टैरिफ की तुलना में भारत पर अपने टैरिफ को कम करेगा।
सरकारी सूत्रों ने कहा कि वे वास्तव में ट्रंप की बुधवार शाम (भारतीय समयानुसार) भारत से निर्यात की जाने वाली तमाम वस्तुओं पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा से आश्चर्यचकित थे, लेकिन उन्होंने सार्वजनिक बयान जारी करने के बजाय भारत-अमेरिका व्यापार सौदे और रूस के साथ दीर्घकालिक संबंधों पर अपने नई दिल्ली के दृष्टिकोण को व्हाइट हाउस तक पहुंचाने का विकल्प चुना है। एक सरकारी सूत्र ने कहा, ‘हम एक जिम्मेदार राष्ट्र हैं। संवेदनशील मुद्दों को सोशल मीडिया पर ले जाने के बजाय हम पूरी परिपक्वता के साथ इनसे निपट सकते हैं। सरकार अभी अमेरिका के खिलाफ किसी भी जवाबी कार्रवाई पर विचार नहीं कर रही है।
विदेश मंत्रालय के साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन में टैरिफ पर ट्रंप की सोशल मीडिया पोस्ट, भारत की इकॉनमी और रूस के साथ संबंधों के बारे में सवालों पर अधिकारियों की प्रतिक्रिया बेहद संतुलित थी। विदेश मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि भारत-अमेरिका संबंधों ने कई बदलावों और चुनौतियों का सामना किया है। दोनों देशों के रिश्ते पूरी मजबूती से आगे बढ़ेंगे।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘भारत और अमेरिका साझा हितों, लोकतांत्रिक मूल्यों और मजबूत लोगों से लोगों के संबंधों पर आधारित व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी वाले देश हैं। इस साझेदारी ने कई बदलावों और चुनौतियों का सामना किया है। हम उस ठोस एजेंडे पर ध्यान केंद्रित रखते हैं जिसके लिए दोनों देशों ने प्रतिबद्धता जताई है और हमें विश्वास है कि संबंध इसी तरह आगे बढ़ते रहेंगे।’
क्या भारत ने एफ35 लड़ाकू जेट नहीं खरीदने का फैसला किया है, इस सवाल पर जायसवाल ने कहा कि यह संबंधित मंत्रालय से पूछा जाना चाहिए। भारत और अमेरिका के बीच एक मजबूत रक्षा साझेदारी है जो पिछले कई वर्षों में मजबूत हुई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ’21वीं सदी के लिए भारत-अमेरिका कॉम्पैक्ट के तहत इस साझेदारी के और बढ़ने की संभावना है।’
भारत की ऊर्जा खरीद खासकर रूसी कच्चे तेल के संदर्भ में जायसवाल ने कहा कि यह नैशनल हित को ध्यान में रखकर किया गया फैसला है। अपनी ऊर्जा जरूरतों को सुरक्षित करने के लिए हम बाजारों के ऑफर और मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर कदम उठाते हैं।
रूस से लगातार रक्षा और ऊर्जा खरीद के लिए ट्रंप की ओर से भारत की आलोचना किए जाने पर जायसवाल ने कहा कि भारत और रूस के बीच स्थिर और समय की कसौटी पर परखी हुई मजबूत साझेदारी है। जायसवाल ने कहा, ‘रक्षा खरीद पूरी तरह हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा जरूरतों और रणनीतिक आकलन के आधार पर तय होती है।’ जायसवाल ने कहा, ‘विभिन्न देशों के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंध अपने दम पर तय होते हैं। इन्हें किसी तीसरे देश के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए।’