facebookmetapixel
दूसरे चरण के लोन पर कम प्रावधान चाहें बैंक, RBI ने न्यूनतम सीमा 5 फीसदी निर्धारित कीभारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर जल्द सहमति की उम्मीद, ट्रंप बोले—‘हम बहुत करीब हैं’बीईई के कदम पर असहमति जताने वालों की आलोचना, मारुति सुजूकी चेयरमैन का SIAM के अधिकांश सदस्यों पर निशानाइक्जिगो बना रहा एआई-फर्स्ट प्लेटफॉर्म, महानगरों के बाहर के यात्रियों की यात्रा जरूरतों को करेगा पूरासेल्सफोर्स का लक्ष्य जून 2026 तक भारत में 1 लाख युवाओं को एआई कौशल से लैस करनाअवसाद रोधी दवा के साथ चीन पहुंची जाइडस लाइफसाइंसेजQ2 Results: ओएनजीसी के मुनाफे पर पड़ी 18% की चोट, जानें कैसा रहा अन्य कंपनियों का रिजल्टअक्टूबर में स्मार्टफोन निर्यात रिकॉर्ड 2.4 अरब डॉलर, FY26 में 50% की ग्रोथसुप्रीम कोर्ट के आदेश से वोडाफोन आइडिया को एजीआर मसले पर ‘दीर्घावधि समाधान’ की उम्मीदछोटी SIP की पेशकश में तकनीकी बाधा, फंड हाउस की रुचि सीमित: AMFI

अर्थव्यवस्था में दो अंकों की वृद्धि

Last Updated- December 12, 2022 | 12:17 AM IST

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था इस वर्ष दो अंकों की वृद्धि हासिल करने की तरफ बढ़ रही है और यह दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगी। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अगले साल आर्थिक वृद्धि 7.5 से 8.5 प्रतिशत के बीच होगी जो अगले दशक तक कायम रहेगी। सीतारमण ने मंगलवार को बोस्टन स्थित हार्वर्ड केनेडी स्कूल में बातचीत के दौरान कहा, ‘जहां तक भारतीय अर्थव्यवस्था के बढऩे के सवाल है तो हम इस वर्ष इसमें दो अंकों की वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं। भारत दुनिया में सबसे ज्यादा बढऩे वाली अर्थव्यवस्था में होगा। वही इस साल के आधार पर अगले वर्ष यह वृद्धि निश्चित तौर पर आठ प्रतिशत के दायरे में रहेगी।’
उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय ने अभी तक अर्थव्यवस्था में वृद्धि के बारे में कोई आकलन नहीं किया है लेकिन विश्व बैंक, आईएमएफ और अन्य रेटिंग एजेंसियों ​​​ने भारत के लिए करीब-करीब इस तरह की वृद्धि की उम्मीद जताई है। वित्त मंत्री ने कहा, ‘अगले साल भी भारतीय अर्तव्यवस्था कहीं न कहीं 8 से 9 प्रतिशत या 7.5 से 8.5 प्रतिशत की वृद्धि दर से बढ़ सकती है। मुझे उम्मीद है कि अगले एक दशक तक यही वृद्धि कायम रहेगी और इससे कम होने का कोई कारण भी नहीं दिखता।’

लखीमपुर खीरी हिंसा ‘पूरी तरह निंदनीय’ है
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लखीमपुर खीरी हिंसा को ‘पूरी तरह निंदनीय’ बताते हुए कहा कि भारत के अन्य हिस्सों में भी इस प्रकार की घटनाएं होती हैं, लेकिन उन्हें उसी समय उठाया जाना चाहिए, जब वे घटित हुई हों, न कि उन्हें तब उठाया जाए, तब किसी राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार होने के कारण कुछ लोगों को उन्हें उठाना अनुकूल लगता हो। अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर पहुंचीं सीतारमण ने लखीमपुर खीरी में चार किसानों की मौत और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी के बारे में हार्वर्ड केनेडी स्कूल में बातचीत के दौरान पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह टिप्पणी की। उनसे पूछा गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वरिष्ठ मंत्रियों की तरफ से इस पर कुछ क्यों नहीं कहा गया और जब भी कोई ऐसी बातों के बारे में पूछता है तो हमेशा ‘बचाव वाली प्रतिक्रिया’ क्यों दी जाती है। इस पर उन्होंने कहा, ‘नहीं, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, अच्छा है कि आपने ऐसी घटना उठाई, जो पूरी तरह से निंदनीय है और हम में से हर कोई यह कह रहा है। इसी तरह दूसरी जगहों पर हो रही घटनाएं मेरी चिंता का कारण हैं।’
सीतारमण ने कहा, ‘भारत में इस तरह के मामले देश के बहुत से अलग-अलग हिस्सों में समान रूप से हो रहे हैं। मैं चाहती हूं कि आप और डॉ. अमत्र्य सेन सहित कई अन्य लोग, जो भारत को जानते हैं, वे जब कभी ऐसी घटना होती है, उसे हर बार उठाएं। इस प्रकार की घटना को मात्र उस समय नहीं उठाया जाए, जब इन्हें उठाना हमारे लिए इसलिए अनुकूल है, क्योंकि यह एक ऐसे राज्य में हुई, जहां भाजपा सत्ता में है, जिसमें मेरे एक कैबिनेट सहयोगी का बेटा शायद मुश्किल में है।’ उन्होंने कहा कि इस घटना के पीछे किसका हाथ है, यह पता लगाने के लिए पूर्ण जांच की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘और यह मेरी पार्टी या मेरे प्रधानमंत्री के बचाव के बारे में नहीं है।’
किसानों के विरोध संबंधी एक सवाल के जवाब में, सीतारमण ने कहा कि सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि अधिनियमों पर एक दशक में विभिन्न संसदीय समितियों द्वारा चर्चा की गई थी। उन्होंने कहा कि 2014 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद केंद्र द्वारा इन तीनों कानूनों पर राज्य सरकारों द्वारा अलग-अलग चर्चा की गई है और हर हितधारक से राय-मशविरा किया गया।

विद्वान अब तथ्यों से नहीं, अपनी पसंद-नापसंद से प्रभावित
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के बारे में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अमत्र्य सेन के विचारों को लेकर उनकी आलोचना करते हुए कहा कि यह ‘चिंताजनक’ है कि विद्वान अब तथ्यों के आधार पर टिप्पणी करने के बजाय, अपनी पसंद एवं नापसंद से प्रभावित हो सकते हैं और उनके ‘गुलाम’ बन सकते हैं।
मंगलवार को आयोजित एक संवाद के दौरान हार्वर्ड के प्रोफेसर लॉरेंस समर्स ने सीतारमण से सवाल किया कि ‘हमारे समुदाय के कई लोगों ने’, खासतौर पर अर्थशास्त्री सेन ने भाजपा सरकार के संबंध में ‘कड़ी आपत्तियां’ जताई हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की भावना है कि सहिष्णुता की विरासत पर ‘काफी सवाल खड़े हो रहे हैं’ और ‘आपकी सरकार ने मुस्लिम आबादी के प्रति’ जो रवैया अपनाया है, ‘वह सार्वभौमिकता और समावेशिता के हमारे मूल्यों के मद्देनजर अमेरिका और भारत के बीच आता है।’
सीतारमण ने हार्वर्ड केनेडी स्कूल में आयोजित संवाद के दौरान कहा कि जिन राज्यों में भाजपा की सरकार नहीं है, उनमें भी हिंसा की घटनाओं के लिए ‘प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) जिम्मेदार होंगे, क्योंकि यह मेरे विमर्श के अनुकूल है।’ सीतारमण ने कहा, ‘वह (सेन) भारत जाते हैं, वहां आजादी से घूमते हैं और जो कुछ भी हो रहा है, उसका पता लगाते हैं। इसी से हमें, विशेषकर एक विद्वान को यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि कौन तथ्यों के आधार पर बात कर रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘नहीं। यह चिंताजनक है कि विद्वान अब तथ्यों के आधार पर टिप्पणी करने के बजाय अपनी निजी पसंद एवं नापसंद से अधिक प्रभावित हो सकते हैं। यह वास्तव में चिंता की बात है कि विद्वान समभाव से सोचने, अपने समक्ष मौजूद तथ्यों एवं आंकड़ों को देखने और उसके बाद बोलने के बजाय अपनी पसंद एवं नापसंद के गुलाम बन सकते हैं।’ सीतारमण ने कहा, ‘कोई राय होना अलग बात है और इसका तथ्यों पर आधारित होना पूरी तरह से अलग बात है। यदि राय पूर्वग्रह से ग्रस्त हो, तो उसका जवाब देने का मेरे पास कोई तरीका नहीं है।’
सीतारमण ने कहा, ‘लेकिन यह घटना भी प्रधानमंत्री की ही जिम्मेदारी होगी, क्योंकि यह मेरे विमर्श के अनुरूप है। ऐसा करना उचित नहीं है, क्योंकि उस राज्य में कानून-व्यवस्था उस चुने हुए मुख्यमंत्री के हाथ है, जो प्रधानमंत्री मोदी की पार्टी का सदस्य नहीं है।’     भाषा

First Published - October 13, 2021 | 11:10 PM IST

संबंधित पोस्ट