एवर गिवन कंटेनर जहाज अंतत: स्वेज नहर से बाहर निकल गया है जिससे भारत आने वाले कंटेनर जहाज अब स्वेज नजर से होते हुए आगे बढ़ सकेंगे। लेकिन मुश्किल यह है कि यहां पहुंचने की अपनी समय सीमा का वे पालन नहीं कर पाएंगे। अधिकारियों का कहना है कि समय पर जहाज के नहीं पहुंच पाने से चेन्नई और जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (जेएनपीटी) जैसे बंदरगहों पर जहाज का कुछ जमावड़ा लग सकता है।
इंडियन नैशनल शिपऑनर्स एसोसिएशन (आईएनएसए) के मुख्य कार्याधिकारी अनिल देवली ने कहा, ‘थोक और तरल सामान वाले जहाज पंक्ति व्यवस्था का पालन करते हैं जिससे वास्तव में उन पर अधिक प्रभाव नहीं होगा। सबसे अधिक प्रभावित स्वेज नहर के मार्ग से यूरोप से भारत आ रहे कंटेनर जहाज होंगे जिनके कारण भारतीय बंदरगाहों पर कुछ भीड़ नजर आएगी।’
खबरों में कहा गया है कि पिछले हफ्ते एवर गिवन के कारण स्वेज नहर यातायात के बंद होने से इसके आस पास करीब 400 जहाज फंस गए थे।
उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि केवल भारत के बंदरगाहों पर ही जहाज देर से नहीं पहुंचेंगे बल्कि एशिया भर में इसका असर देखने को मिलेगा। देवली ने कहा, ‘जहाज ऐसे बंदरगाहों पर जाने की बजाय जहां पहुंचने की समय सीमा समाप्त हो चुकी है, अगले किसी उपयुक्त बंदरगाह पर कार्गो छोडऩे पर भी विचार कर सकते हैं। यह कदम अगले बंदरगाह पर समय सीमा के भीतर पहुंचने और एवर गिवन के कारण हुई देरी की भरपाई कर सकता है।’
चेन्नई बंदरगाह फिलहाल परिस्थिति की समीक्षा कर रहा है और इसके टर्मिनल जहाज के समय सारणी का दैनिक अद्यतन करने पर विचार कर रहे हैं।
चेन्नई बंदरगाह पर वरिष्ठ उप यातायात प्रबंधक बी विमल ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘हम 10 से 15 दिनों के संचय के साथ सात दिन की देरी की उम्मीद कर रहे हैं। लेकिन बंदरगाह पर हमारे पास अतिरिक्त क्षमता है क्योंकि मौजूदा कब्जा केवल 50 फीसदी है। यदि कंटेनर जहाजों में कुछ मात्रा में जमावड़ा होता भी है तो बंदरगाह उसे संभालने की स्थिति में है।’
उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि कच्चा तेल और पेट्रोलियम उत्पादों जैसे तरल कार्गो भारत में सामान्यतया पश्चिमी एशिया और पश्चिमी अफ्रीका से आते हैं। इसलिए इन जहाजों को समय सारणी को लेकर कोई दिक्कत नहीं होगी। उन्होंने कहा कि थोक सामान के जहाज भी मोटे तौर पर चीन, जापान और सुदुर पूर्व से आते हैं अत: इन जहाजों पर भी स्वेज के आसपास के यातायात का कोई असर नहीं पड़ेगा।
एस्सार शिपिंग के कार्यकारी निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी रंजीत सिंह ने कहा, ‘भले ही देरी होगी लेकिन समुद्री यातायात विनियमित है लिहाजा समय सारणी थोड़े बहुत फेरबदल के साथ पहले जैसे ही रहेगी। बड़ी समस्या का समाधान हो चुका है अत: हमें बाकी चीजों को लेकर कोई बहुत अधिक ङ्क्षचता नहीं है। कुछ देरी जहाजों के एहतियात बरतते हुए आगे बढऩे के कारण से भी संभावित है।’
स्वेज नहर एक मानव निर्मित जलमार्ग है और दुनिया में जहाजों द्वारा सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले मार्गों में से एक है। यह नहर एशिया और यूरोप के बीच घूमने वाले जहाजों के मार्ग की दूरी में बहुत अधिक कमी लाती है।
इस नहर के निर्माण से पूर्व जहाजों को इसी यात्रा का पूरा करने के लिए अफ्रीका से होकर जाना पड़ता था। पिछले हफ्ते स्वेज नहर को बाधित करने वाला यह जहाज पनामा पंजीकृत कंटेनर जहाज था और चीन से रॉटर्डम जा रहा था। खराब मौसम के कारण घटी एक दुर्घटना से 400 मीटर लंबा और 59 मीटर चौड़ा यह जहाज मंगलवार को फंस गया और 29 मार्च को यहां से निकला।
