रूस के कजान में मंगलवार से शुरू होने वाला 16वां ब्रिक्स सम्मेलन सदस्य देशों के लिए एक स्पष्ट ऊर्जा नीति तैयार करने पर केंद्रित हो सकता है ताकि ऊर्जा सुरक्षा एवं ऊर्जा परिवर्तन के मोर्चे पर देशों के बीच करीबी तालमेल स्थापित हो सके। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कजान घोषणा पत्र में भी इसे शामिल किए जाने की उम्मीद है, जिस पर फिलहाल बातचीत जारी है।
पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें रूस के लिए प्राथमिकता के तौर पर बगैर डॉलर वाली भुगतान प्रणालियों में भी सुधार की उम्मीद है। चीन के बाद भारत रूस से कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार बना हुआ है। बीते डेढ़ साल से रूस भारत के लिए कच्चे तेल का सबसे बड़ा स्रोत है।
सितंबर में रूस से रोजाना होने वाला तेल का आयात बढ़कर 17.9 लाख बैरल हो गया, जो अगस्त में 16.1 लाख बैरल रोजाना था। लंदन की जिंस के आंकड़ों का विश्लेषण करने वाली वोर्टेक्स के अनुमानों से यह जानकारी मिली है, जो आयात का अनुमान लगाने के लिए जहाजों की गतिविधियों पर नजर रखती है।
ब्रिक्स देशों के ऊर्जा मंत्रियों ने सितंबर में रूस में ही हुए एनर्जी वीक इंटरनैशनल फोरम के इतर मुलाकात की थी। इसके बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बीते हफ्ते ऊर्जा, धातु और भोजन जैसे जरूरी बाजार में ब्रिक्स देशों के दबदबे पर जोर दिया था, जो सतत आर्थिक वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए भी जरूरी हैं।
भारत और रूस डॉलर पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए एक राष्ट्रीय मुद्रा निपटान प्रणाली तैयार कर रहे हैं। इसके तहत दोनों केंद्रीय बैंक कथित तौर पर डॉलर के मुकाबले अपनी मुद्राओं के लिए विनिमय दर तैयार करेंगे।
नए सदस्य मंगलवार से होने वाले शिखर सम्मेलन में मिस्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, ईरान और इथियोपिया पहली बार सदस्य देशों के तौर पर हिस्सा लेंगे और उम्मीद की जा रही है इसी बैठक में उनकी सदस्यता को विस्तारित करने पर भी निर्णय लिया जाएगा।
छठे देश के तौर पर शामिल होने वाले अर्जेंटीना ने पिछले साल की शुरुआत में इसमें शामिल होने के बाद अपना नाम वापस ले लिया था। सोमवार को विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि नए सदस्यों को शामिल करना शिखर सम्मेलन की सर्वोच्च प्राथमिकता बनी हुई है।
उन्होंने कहा, ‘आर्थिक सहयोग, ऊर्जा, खाद्य सुरक्षा, विज्ञान, स्वास्थ्य देखभाल, पर्यावरण सुरक्षा, संस्कृति, खेल, युवाओं का आदान प्रदान और नागरिक समाज के लिए सहयोग को मजबूत करने पर जोर दिया जाएगा।’
उम्मीद की जा रही है कि इस बार ब्रिक्स को और अधिक विस्तारित करने पर भी फैसला लिया जाएगा। ब्रिक्स में शामिल होने के लिए कम से कम 23 देशों ने आवेदन किया था। विदेश मंत्रियों ब्रिक्स के भागीदार देश मॉडल तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया था और कजान में ऐसे ही संभावित देशों की एक सूची सौंपी जाएगी।
शुरुआत में विश्व के पांच बड़े विकासशील देशों को लाने वाले ब्रिक्स अब वैश्विक आबादी का आधा हिस्सा, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 37.5 फीसदी और वैश्विक व्यापार का 40 फीसदी का प्रतिनिधित्व करता है।
दक्षिण अफ्रीका में पिछली बार हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में अपनाई गई जोहान्सबर्ग 2 घोषणा में स्वीकार किया गया कि वैश्विक वृद्धि की रफ्तार कम हो गई है और व्यापार में टूट, लंबे समय तक बढ़ी महंगाई और सख्त वैश्विक वित्तीय स्थितियों के कारण आर्थिक संभावनाएं भी धूमिल पड़ गई हैं।