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31 तक काबुल छोड़ दे अमेरिका

Last Updated- December 12, 2022 | 1:38 AM IST

तालिबान अमेरिका के सैन्य बलों की अफगानिस्तान से पूर्व वापसी की 31 अगस्त की समयसीमा को आगे नहीं बढ़ाएगा। यह जानकारी सोमवार को तालिबान के सूत्रों ने दी है। तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने स्काई न्यूज के साथ साक्षात्कार में कहा कि 31 अगस्त रेड लाइन है और अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी की समय सीमा बढ़ाना उकसावे का कदम होगा।
वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने रविवार को कहा कि वह लोगों को निकालने के अभियान को 31 अगस्त से आगे बढ़ाने से इनकार नहीं करेंगे। इसी तारीख तक अमेरिकी सैन्य बलों की अफगानिस्तान से पूर्ण वापसी होनी है। इस बीच अमेरिका से दर्जनों विमान काबुल की ओर रवाना हुए। ईरान ने भी तालिबान के निवेदन के बाद अफगानिस्तान में ईंधन निर्यात फिर से बहाल कर दिया है।

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद देश छोडऩे के लिए मची अफरातफरी के बीच काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डïे के एक द्वार के पास सोमवार तड़के गोलीबारी में एक अफगान सैनिक की मौत हो गई। जर्मन अधिकारियों ने यह जानकारी दी। 
तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान के सुरक्षा बलों ने समर्पण कर दिया। तालिबान के कठोर शासन के लौटने के डर से हजारों अफगान नागरिक देश छोड़कर निलकने का प्रयास कर रहे हैं जिससे काबुल हवाई अड्डे पर अफरातफरी मची है। कुछ अफगान सैनिक लोगों को निकालने के अभियान में पश्चिमी देशों के सैनिकों की मदद कर रहे हैं। काबुल हवाईअड्डे पर इस्लामिक स्टेट से संबंधित स्थानीय संगठनों द्वारा हमले का भी खतरा है।तालिबान ने अफरातफरी भरे बचाव अभियान के लिए अमेरिकी सेना को दोष दिया है और कहा है कि अफगान लोगों को उससे डरने की जरूरत नहीं हैं। 
ब्रिटेन का आग्रह  

ब्रिटेन ने अमेरिका से गुजारिश की है कि वह काबुल से लोगों को निकालने के अभियान की समयसीमा को 31 अगस्त से आगे बढ़ाए क्योंकि बिना अमेरिकाके किसी भी देश के पास अफगानिस्तान से भाग रहे लोगों की मदद करने वाले अभियान को रोकने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन मंगलवार को ब्रिटेन द्वारा बुलाई गई समूह (जी) 7 के नेताओं की बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन पर दबाव डाल सकते हैं। 
ब्रिटेन में कुछ सैन्य अधिकारियों का मानना है कि अमेरिका के अफगानिस्तान से जाने के बाद ब्रिटेन को अपने सैनिकों को काबुल हवाई अड्डे पर तैनात रखना चाहिए ताकि लोगों को निकालने के अभियान को जारी रखा जा सके। सशस्त्र बल मंत्री जेम्स हेप्पी ने सोमवार को कहा कि अमेरिका की मदद के बिना वहां से लोगों को नहीं निकाला जा सकता है, और यह कठोर वास्तविकता है। उन्होंने यह भी कहा कि तालिबान के साथ समझौते को भी आगे बढ़ाने की जरूरत है।
पंजशीर भी घिरा

काबुल से 120 किमी दूर उत्तर में बगलान प्रांत में स्वयं को जन विद्रोह से जुड़ा बताने वाले लड़ाकों ने हिंदुकुश में अंदराब घाटी में तीन जिलों पर कब्जा करने का दावा किया। लेकिन तालिबान ने सोमवार को दावा किया कि उसने इन जिलों पर फिर से कब्जा कर लिया है। तालिबान के प्रवक्ता मुजाहिद ने कहा कि उन्होंने पंजशीर प्रांत को घेरना शुरू कर दिया है। अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से पंजशीर इकलौता ऐसा प्रांत है जहां तालिबान कब्जा नहीं कर सका है। अफगानिस्तान के उप राष्ट्रपति रहे अमरूल्ला सालेह ने ट्विटर पर लिखा कि तालिबान लड़ाके प्रांत के आसपास एकत्रित हो गए हैं।
तालिबान के प्रवक्ता मुजाहिद ने कहा कि तालिबान की योजना पंजशीर के लोगों से बात करने की है। उन्होंने कहा, ‘अभी तक तो वहां लड़ाई नहीं हो रही। हम पंजशीर के लिए शांतिपूर्ण समाधान खोजना चाहते हैं।’
विमान की दरकार

अमेरिका ने लोगों को काबुल से निकाले जाने के बाद उन्हें गंतव्य तक पहुंचाने में सहयोग के लिए वाणिज्यिक विमान कंपनियों से सहयोग करने को कहा है। काबुल से लोगों को निकालने के लिए सैन्य विमानों का परिचालन जारी है। अमेरिका ने 14 अगस्त के बाद से सैन्य और अन्य विमानों से 30,000 से ज्यादा लोगों को निकाला है। 
आईएसआई पर शक

अमेरिका के एक शीर्ष रिपब्लिकन सांसद स्टीव चाबोट ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तान और उसकी गुप्तचर सेवा (आईएसआई) ने अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे में भूमिका निभाई है। साथ ही उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद को उस संगठन की जीत का जश्न मनाते देखना घृणित करने वाला है, जो अफगानिस्तान के लोगों के लिए अनकही क्रूरता लाएगा।

First Published - August 24, 2021 | 1:56 AM IST

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