अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन अफगानिस्तान में तेजी से बदलते घटनाक्रम पर अगले हफ्ते जी-7 देशों की डिजिटल बैठक करने पर राजी हो गए हैं। दोनों ने युद्धग्रस्त देश से अपने देश तथा सहयोगी देशों के नागरिकों को निकालने के लिए काम कर रहे अपने सैन्य और असैन्य कर्मियों की वीरता तथा पेशेवराना अंदाज की तारीफ की। वहीं दूसरी तरफ संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने कहा है कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और उनका परिवार मानवीय आधार पर अब उनके देश में हैं।
इस बीच ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने तालिबान शासन के डर से भाग रहे अफगान शरणार्थियों, खासकर महिलाओं और बच्चों को बसाने के लिए बुधवार को देश की योजना का खाका पेश किया। अफगान नागरिक पुनर्वास योजना अफगानिस्तान में मौजूदा संकट के चलते पांच हजार अफगान नागरिकों को बसाने के साथ शुरू होगी और इस योजना के तहत आने वाले वर्षों में कुल 20 हजार शरणार्थियों को बसाया जा सकेगा। इसमें महिलाओं, लड़कियों और धार्मिक अल्पसंख्यकों को प्राथमिकता दी जाएगी जिन्हें तालिबान से सर्वाधिक खतरा है। वहीं अमेरिका के विदेश विभाग ने अफगान महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों को लेकर चिंता जताते हुए एक संयुक्त बयान जारी किया है जिस पर करीब दो दर्जन देशों के हस्ताक्षर हैं।
बदलेगी छवि?
तालिबान ने बुधवार को 1990 के दशक में अफगानिस्तान गृह युद्ध के दौरान उनके खिलाफ लडऩे वाले एक शिया मिलिशिया के नेता की प्रतिमा को गिरा दिया। सोशल मीडिया पर साझा की जा रही तस्वीरों से यह जानकारी मिली है। इसके साथ ही तालिबान के अधिक नरम होने के दावे पर भी शंका पैदा हो रही है। तालिबान द्वारा देश पर तेजी से किए गए कब्जे और उसके बाद के घटनाक्रम पर करीब से नजर रखी जा रही है। तालिबान दावा कर रहा है कि वह बदल गया है और वह अफगानिस्तान में अपनी पिछली हुकूमत की तरह पाबंदियां नहीं लगाएगा। उसने विरोधियों से बदला नहीं लेने का भी वादा किया है। लेकिन कई अफगान उनके वादे को लेकर सशंकित हैं।
तालिबान लड़ाकों ने बुधवार को काबुल के करीब उस इलाके में बंदूकों के साथ गश्त शुरू की जहां पर कई देशों के दूतावास और प्रभावशाली अफगानों की कोठियां हैं। तालिबान ने वादा किया है कि वह सुरक्षा कायम रखेगा लेकिन कई अफगानों को अराजकता का भय है।
तालिबान के खिलाफ प्रदर्शन
बुधवार को पूर्वी शहर जलालाबाद में दर्जनों प्रदर्शनकारियों ने अफगानिस्तान के राष्ट्रीय ध्वज के साथ तालिबान के खिलाफ प्रदर्शन किया। यहां विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों पर तालिबान की हिंसात्मक कार्रवाई में कम से कम एक व्यक्ति की मौत हो गई और छह लोग घायल हो गए। अफगानिस्तान के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने यह जानकारी दी। दर्जनों लोगों ने बुधवार को अफगानिस्तान के स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले राष्ट्रीय ध्वज फहराया और तालिबान का झंडा उतार दिया। इसके बाद तालिबान ने गोलियां चलाईं और लोगों के साथ मारपीट की।
स्वास्थ्य अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर यह जानकारी दी क्योंकि वह मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत नहीं हैं। तालिबान ने कब्जे किए गए इलाकों में अपने झंडे लगाए हैं जो सफेद रंग का है और उस पर इस्लामी आयतें हैं।
तालिबान ने यह भी वादा किया है कि वह अफगानिस्तान का इस्तेमाल आतंकवादी हमलों की योजना बनाने के लिए नहीं करने देगा। इसका जिक्र वर्ष 2020 में तालिबान और अमेरिका के डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन के कार्यकाल में हुए समझौते में भी है जिससे अमेरिकी सैनिकों की अफगानिस्तान से वापसी का रास्ता साफ हुआ। पिछली बार जब तालिबान सत्ता में था तो उसने अलकायदा नेता ओसामा बिन लादेन को शरण दी थी जिसने 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका पर हुए हमले की साजिश रची थी। अमेरिकी अधिकारियों को आशंका है कि अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता के बाद अलकायदा और अन्य संगठन फिर से सिर उठा सकते हैं।
तनावपूर्ण माहौल के बीच तालिबान ने समावेशी इस्लामिक सरकार बनाने का वादा किया है और अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और अब्दुल्ला-अब्दुल्ला से बात कर रहा है। इस बीच हामिद करजई ने तालिबान के एक गुट के शक्तिशाली एवं वरिष्ठ नेता से मुलाकात की है जिसे एक समय जेल में रखा गया था और जिसके समूह को अमेरिका ने आतंकवादी संगठन के तौर पर सूचीबद्ध किया है।
तालिबान को मान्यता
चीन ने बुधवार को कहा कि वह अफगानिस्तान में सरकार के गठन के बाद ही देश में तालिबान को राजनयिक मान्यता देने का फैसला करेगा तथा उसे उम्मीद है कि वह सरकार खुली, समावेशी और व्यापक प्रतिनिधित्व वाली होगी।
वहीं ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने अफगानिस्तान की स्थिति पर चर्चा करते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से कहा कि अफगानिस्तान में नई सरकार को मान्यता अंतरराष्ट्रीय आधार पर दी जानी चाहिए न कि एकतरफा। इस क्षेत्र में पैदा हुई संकट की स्थिति से निपटने के लिए समन्वित रणनीति बनाने के लिए जॉनसन विश्व नेताओं के साथ फोन पर बातचीत कर रहे हैं और इसी कड़ी में उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन से बातचीत करने से पहले मंगलवार की दोपहर इमरा खान से बात की थी।
वहीं दूसरी तरफ अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाइडन के फैसले का बचाव करते हुए उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन ने कहा कि बाइडन का मानना है कि ताजिकिस्तान, पाकिस्तान या ईरान में अमेरिकी सेना की मौजूदगी बनाए रखने के लिए देश को युद्ध में लडऩे और मरने की जरूरत नहीं है।