ब्रिक्स देशों ने सर्वसम्मति से इस समूह में छह नए सदस्यों को शामिल करने का निर्णय लिया है। ये देश अर्जेंटीना, मिस्र, ईरान, सऊदी अरब, इथियोपिया और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में कहा, ‘इन देशों के साथ भारत के काफी गहरे और पुराने रिश्ते हैं। ब्रिक्स की मदद से हमारे द्विपक्षीय संबंधों में नए आयाम जुड़ेंगे।’
नए सदस्यों में से मिस्र और यूएई के साथ भारत ने औपचारिक व्यापक सामरिक साझेदारी पर हस्ताक्षर किए हैं। सऊदी अरब और ईरान के साथ भारत के घनिष्ठ राजनीतिक एवं आर्थिक संबंध हैं। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मेजबान देश दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने कहा कि नई सदस्यता 1 जनवरी, 2024 से प्रभावी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि यह विस्तार के लिए बनाई गई योजना का पहला चरण है।
मोदी ने कहा, ‘भारत ने हमेशा ब्रिक्स के विस्तार का पूरा समर्थन किया है। भारत हमेशा मानता रहा है कि नए सदस्यों के जुड़ने से ब्रिक्स संगठन के तौर पर अधिक मजबूत होगा और हमारे सामूहिक प्रयासों को ताकत मिलेगी।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था में तमाम देशों का विश्वास बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स में शामिल किए जाने वाले नए सदस्यों के लिए मार्गदर्शक सिद्धांतों, मानकों, अर्हता और प्रक्रियाओं के बारे में भी निर्णय लिया गया है। अमेरिकी ऊर्जा सूचना विभाग के 2022 के आंकड़े मानें तो नए सदस्यों के आने के बाद शीर्ष 9 कच्चे तेल उत्पादकों में से 6 ब्रिक्स के सदस्य बन जाएंगे।
मोदी ने कहा कि यदि कोई और देश ब्रिक्स में शामिल होना चाहे तो भारत उसकी पूरी मदद करेग। रामफोसा ने भी कहा कि विदेश मंत्रियों को ब्रिक्स भागीदार देशों का मॉडल तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया है। अगले शिखर सम्मेलन में संभावित देशों की सूची पेश की जाएगी। अभी कम से कम 23 देशों ने ब्रिक्स में शामिल होने का अनुरोध किया था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ब्रिक्स का विस्तार अन्य वैश्विक संस्थानों के लिए संदेश है कि उन्हें बदलती परिस्थितियों के हिसाब से बदलने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ब्रिक्स का विस्तार 20वीं सदी में स्थापित अन्य संस्थाओं के लिए उदाहरण साबित हो सकता है। उनका इशारा शायद संयुक्त राष्ट्र या विश्व बैंक जैसे बहुपक्षीय संगठनों की ओर था।
फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि संगठन का नाम ब्रिक्स (ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण अफ्रीका) ही रहेगा या नए सदस्यों की भी झलक देने वाला कोई नया नाम रखा जाएगा।
ब्रिक्स में अभी दुनिया के पांच शीर्ष विकासशील देश हैं। इन देशों के पास वैश्विक आबादी का 41 फीसदी, वैश्विक जीडीपी का 24 फीसदी और वैश्विक व्यापार का 16 फीसदी हिस्सा है।
जोहानिसबर्ग 2 घोषणा पत्र
ब्रिक्स देशों ने जोहानिसबर्ग 2 घोषणा पत्र पर अपनी मुहर लगा दी है। इसमें स्वीकार किया गया कि वैश्विक विकास की रफ्तार सुस्त पड़ गई है। यह भी कहा गया है कि व्यापार बंटने, लंबे समय तक मुद्रास्फीति ऊंची बनी रहने और दुनिया की माली हालत तंग होने के कारण आर्थिक अवसरों में कमी आई है।
घोषणा पत्र में कहा गया है, ‘हम वृहद आर्थिक नीतियों में सहयोग बेहतर बनाने, आर्थिक सहयोग मजबूत करने और दमदार, टिकाऊ, संतुलित एवं समावेशी आर्थिक सुधार को साकार करने के लिए साथ मिलकर काम करने का संकल्प दोहराते हैं।’
इस संगठन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार किए जाने और उसकी सदस्यता में विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने का भी आह्वान किया।
ब्रिक्स ने खुद को सामाजिक-आर्थिक रूप से कमजोर देशों को एकजुट करते हुए उनके हितों का आवाज उठाने वाला मंच बताया। उसने विकसित देशों से आग्रह किया कि विकासशील देशों के जलवायु संबंधी कार्यक्रम में मदद के लिए 2020 से 2025 तक सालाना 100 अरब डॉलर जुटाने का अपना वादा पूरा करने का आग्रह किया।