पिछले एक दशक में महिलाओं और पुरुषों की कमाई में अंतर बढ़ता गया है। एक पुरुष कार्यकारी निदेशक अगर 100 रुपये कमाता है, तो इसकी तुलना में महिला कार्यकारी निदेशक को उसके लिए केवल 63 रुपये ही मिलते हैं।
प्राइमइन्फोबेस डॉटकॉम से जुटाए गए वेतन आंकड़ों का विश्लेषण करने से पता चलता है कि निफ्टी-500 इंडेक्स में शामिल कंपनियों के पुरुष कार्यकारी निदेशक को साल में वेतन-भत्तों के रूप में औसतन 7.6 करोड़ रुपये मिलते हैं, वहीं इसी पद पर बैठी महिला की झोली में सिर्फ 4.8 करोड़ रुपये आते हैं।
पिछले एक दशक के दौरान पुरुष अधिकारी की कमाई में 9.4 फीसदी की वार्षिक वृद्धि हुई है, जबकि महिला अधिकारी की कमाई में 1.8 फीसदी ही बढ़ोतरी दर्ज की गई। नतीजतन, एक दशक पहले के मुकाबले आय में विसंगति का यह अंतर आज बढ़कर बहुत अधिक हो गया है।
शीर्ष स्तर की कंपनियों को छोड़ दें तो महिला कार्यकारी निदेशकों का प्रदर्शन बहुत ही दयनीय रहा है। एनएसई में सूचीबद्ध कंपनियों (शीर्ष 500 से बाहर की कंपनियां भी शामिल) के विश्लेषण से पता चला है कि वर्ष 2012-13 के बाद से अब तक महिला कार्यकारी निदेशकों की तनख्वाह में 1.2 फीसदी की कमी दर्ज की गई थी, जबकि इसके उलट पुरुषों का वेतन 7.4 फीसदी बढ़ा है।
इनगवर्न रिसर्च सर्विसेज के संस्थापक और प्रबंध निदेशक श्रीराम सुब्रमण्यन कहते हैं, ‘महिला कार्यकारी निदेशकों की संख्या में इजाफा हुआ है जिसकी वजह से संभवत: औसत वेतन में कमी आई है।’
वैसे यह संख्या कंपनीज एक्ट 2013 लागू होने के बाद से बढ़ी है, जिसके मुताबिक यह प्रावधान कर दिया गया है कि प्रत्येक कंपनी के बोर्ड में कम से कम एक महिला निदेशक का होना अनिवार्य है। प्रोफेशनल निदेशकों के मुकाबे प्रमोटर निदेशकों को अधिक पैसा दिया जाता है।
प्राइम डेटाबेस ग्रुप के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया कहते हैं, ‘बड़ी संख्या में पुरुष कार्यकारी निदेशक कंपनी के प्रवर्तक भी होते हैं, जो स्वयं को बहुत ही उदारतापूर्वक पुरस्कृत करते हैं, जबकि पेशेवर निदेशकों के साथ ऐसा नहीं होता। महिला कार्यकारी निदेशकों के मामले में यह बात सच नहीं है। उन्हें कम मेहनताना मिलता है, क्योंकि ज्यादातर महिलाएं पेशेवर होती हैं।’
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के आंकड़ों के अनुसार अन्य देशों के मुकाबले भारत में प्रबंधन में महिलाओं की संख्या कम होती है। भारत उन बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है, जिनमें 2019 के बाद से वरिष्ठ और मध्य स्तर पर प्रबंधन में महिलाओं की संख्या घटी है।
वर्ष 2019 में शीर्ष और मध्य स्तर पर प्रबंधन भूमिका में महिलाओं की संख्या जहां 17 फीसदी थी, वहीं 2024 में यह आंकड़ा गिर कर 13 फीसदी पर आ गया। प्रबंधन में महिलाओं की भागीदारी ब्राजील में पहले 38 फीसदी थी, जो अब बढ़कर 39 फीसदी हो गई। इसी प्रकार इसी अवधि में दक्षिण अफ्रीका में यह आंकड़ा 33 फीसदी से बढ़कर 36 फीसदी पर पहुंच गया, लेकिन इसी दौरान रूस, जर्मनी और जापान में इस आंकड़े में 1 से 2 फीसदी की कमी दर्ज की गई है।
हालांकि भारत, महिला और पुरुष के बीच भुगतान के अंतर को कम करने में काफी हद तक कामयाब रहा है। पिछले सप्ताह विश्व आर्थिक मंच द्वारा जारी ग्लोबल जेंडर गैप 2024 रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी से पहले जितना पुरुष कमाते थे, भारतीय महिलाएं मोटे तौर पर उसका 20.6 फीसदी कमाती थीं। यह आंकड़ा अब बढ़कर 28.6 फीसदी हो गया है।