facebookmetapixel
तीन महीने में 65% चढ़ गया Smallcap स्टॉक, ब्रोकरेज ने कहा- अभी सिर्फ शुरुआत, ₹190 तक जाएगा भावप्रॉपर्टी खरीद रहे हैं? ऐसे कर सकते हैं अतिरिक्त बचतZomato भी लेकर आया ‘हेल्दी मोड’: ऑर्डर से पहले जान सकेंगे कौन-सी डिश है ‘सेहतमंद’इस दिवाली-धनतेरस जेब पर भार बढ़ाए बिना ऐसे खरीदें सोनाकोविड-19 सर्कुलर बीमा कंपनियों की जिम्मेदारी नहीं घटा सकता: दिल्ली हाई कोर्टक्रिप्टो में उछाल: ‘व्हेल’ की खरीदारी से सहारा, संस्थागत निवेशकों की वापसी की आहट52 वीक हाई से 37% नीचे Energy Stock, मोतीलाल ओसवाल ने कहा- मजबूत कमाई देने को तैयार कंपनी, BUY करेंEY ने भारत की GDP ग्रोथ का अनुमान बढ़ाया, FY26 में अब 6.7% की दर से बढ़ेगी इकॉनमीShirish Chandra Murmu: राजेश्वर राव के बाद शिरीष चंद्र मुर्मू होंगे RBI के डिप्टी गवर्नर, 9 अक्टूबर से संभालेंगे पदऑटो, कंजम्पशन से ​डिफेंस और क्लीन एनर्जी तक: इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स को इन 9 सेक्टर्स पर भरोसा

PM मोदी की नीतियों को लागू करने वाले व्यक्ति: क्यों केंद्र सरकार ने शक्तिकांत दास को प्रधान सचिव नियुक्त किया?

RBI गवर्नर के रूप में शक्तिकांत दास ने वित्तीय स्थिरता बनाए रखने, मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया था।

Last Updated- February 22, 2025 | 8:39 PM IST
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास | फोटो: PTI

केंद्र सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास को प्रधानमंत्री के दूसरे प्रधान सचिव (PS-2) के रूप में नियुक्त किया है। यह नियुक्ति उस दिन से प्रभावी होगी जब दास कार्यभार ग्रहण करेंगे। बता दें कि पीके मिश्रा पहले से ही प्रधान सचिव के रूप में कार्यरत हैं। सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया कि यह नियुक्ति प्रधानमंत्री के कार्यकाल की समाप्ति तक या अगले आदेश तक प्रभावी रहेगी, जो भी पहले हो।

दास सात दशकों में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले आरबीआई गवर्नर थे और उन्होंने दिसंबर 2024 में अपना दूसरा तीन वर्षीय कार्यकाल पूरा करने के बाद पद से हटे थे। वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव रहे संजय मल्होत्रा ने दास की जगह 26वें आरबीआई गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाला था। आरबीआई में नियुक्ति से पहले, दास आर्थिक मामलों के सचिव और 27 नवंबर 2017 से 11 दिसंबर 2018 तक जी20 के लिए भारत के शेरपा के रूप में कार्य कर चुके हैं।

अनुभवी नौकरशाह, RBI गर्वनर के रूप में लंबा कार्यकाल

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास को नोटबंदी और ऐतिहासिक वस्तु एवं सेवा कर (GST) के क्रियान्वयन के पीछे सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में से एक के रूप में याद किया जाएगा। RBI में उन्होंने महामारी के चुनौतीपूर्ण समय के दौरान भारत की मौद्रिक नीति को सफलतापूर्वक संभाला।

67 वर्षीय दास एक अनुभवी नौकरशाह हैं, जिन्हें दिसंबर 2018 में उर्जित पटेल के अचानक इस्तीफे के बाद RBI गवर्नर के पद पर नियुक्त किया गया था। उनका दूसरा तीन वर्षीय कार्यकाल 10 दिसंबर 2024 को खत्म हुआ था। उनकी जगह केंद्रीय वित्त मंत्रालय में तत्कालीन राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा RBI गवर्नर बने थे।

तमिलनाडु कैडर के 1980 बैच के IAS अधिकारी दास ने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इतिहास में मास्टर डिग्री और यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम से लोक प्रशासन में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की है। जब नवंबर 2016 में सरकार ने अचानक नोटबंदी करने का फैसला लिया था, तब वह आर्थिक मामलों के सचिव थे।

हालांकि सरकार ने इस कदम को काले धन, भ्रष्टाचार और आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के लिए उठाया गया कदम बताया, जबकि कई लोगों ने इसे आम जनता के लिए कठिनाई का कारण बताया। लेकिन दास ने इस निर्णय का समर्थन किया और अगले कुछ हफ्तों में सामान्य स्थिति बहाल करने की प्रक्रिया का नेतृत्व किया।

उन्होंने कई अप्रत्यक्ष करों को एकीकृत कर 1 जुलाई 2017 से लागू किए गए GST के कार्यान्वयन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दास ने राज्यों के साथ समन्वय कर GST को सफलतापूर्वक लागू करवाने में सहायता की।

कोरोना महामारी के दौरान संभाली अर्थव्यवस्था

RBI गवर्नर के रूप में, उन्होंने वित्तीय स्थिरता बनाए रखने, मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र में तरलता संकट को दूर करने और बैंकों व गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए नियामक ढांचे को मजबूत करने के कई उपाय किए। लेकिन उनके कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि कोविड-19 महामारी के आर्थिक प्रभाव से निपटने के लिए RBI की रणनीति रही।

RBI ने अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए अलग-अलग रियायतें दीं। उनके नेतृत्व में, केंद्रीय बैंक ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए लगभग दो सालों तक बेंचमार्क ब्याज दरों को स्थिर रखा। उन्होंने 6 दिसंबर को अपने कार्यकाल की अंतिम मौद्रिक नीति पेश की।

दास ने RBI गवर्नर बनने के एक साल बाद ही कोविड-19 संकट का सामना किया। एक प्रमुख आर्थिक नीति निर्धारक के रूप में, उन्होंने लॉकडाउन के कारण उत्पन्न मुश्किलों को प्रबंधित करने के लिए कठिन समय देखा। उन्होंने नीति रेपो दर को ऐतिहासिक रूप से 4 प्रतिशत तक घटा दिया और लगभग दो सालों तक कम ब्याज दर नीति को जारी रखा ताकि लॉकडाउन से प्रभावित अर्थव्यवस्था को सहारा दिया जा सके।

जैसे ही कोविड-19 से प्रभावित अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ, दास की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने मई 2022 से ब्याज दरें बढ़ानी शुरू कर दीं ताकि अर्थव्यवस्था को अधिक गर्म होने से रोका जा सके और मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखा जा सके।

मोदी की नीतियों को दिशा देने वाले व्यक्ति

शक्तिकांत दास कुशल आर्थिक प्रबंधन, मुद्रास्फीति पर नियंत्रण और आर्थिक विकास को गति देने के कारण उन्हें दोबारा नियुक्त किया गया था। सरकार ने 2021 में उनके कार्यकाल को तीन सालों के लिए बढ़ा दिया। इस दौरान दास ने सुनिश्चित किया कि उनके छह साल के कार्यकाल के अंतिम चार वर्षों में आर्थिक विकास 7 प्रतिशत से अधिक बना रहे।

उनका प्रशासन हमेशा नरेंद्र मोदी सरकार की अपेक्षाओं के अनुरूप रहा, खासकर रघुराम राजन और उर्जित पटेल के कार्यकाल के बाद, जिनके दौरान RBI और वित्त मंत्रालय के बीच लगातार टकराव होते रहे। जब से उन्होंने पदभार संभाला, तब से RBI की स्वायत्तता का मुद्दा कभी सुर्खियों में नहीं आया। दास हमेशा अपने सहयोगियों और मीडिया के लिए सुलभ और स्पष्टवादी रहे। उन्होंने दिल्ली में उच्च अधिकारियों के साथ संवाद बनाए रखा।

2024 की शुरुआत में केंद्रीय बैंक ने अब तक का सबसे बड़ा लाभांश 2.11 लाख करोड़ रुपये सरकार को सौंपा। RBI में शामिल होने से पहले, उन्होंने 2016 की नोटबंदी योजना का नेतृत्व किया, जबकि तत्कालीन RBI गवर्नर उर्जित पटेल पूरे मामले में निष्क्रिय रहे।

वित्तीय प्रणाली की स्थिरता उनकी प्रमुख प्राथमिकता रही, उन्होंने अलग-अलग क्षेत्रों में किसी भी असंतुलन और अनियमित गतिविधियों पर करीबी नजर रखी और आवश्यकतानुसार कदम उठाए।

1980 बैच के IAS अधिकारी दास ने राजस्व विभाग और आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव के रूप में काम किया। सेवानिवृत्ति के बाद, उन्हें 15वें वित्त आयोग के सदस्य और भारत के G20 शेरपा के रूप में नियुक्त किया गया था। दास के पास 38 सालों का लंबा प्रशासनिक अनुभव है। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों में वित्त, कराधान, उद्योग और बुनियादी ढांचे सहित विभिन्न महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कार्य किया है। अपने लंबे वित्त मंत्रालय कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कुल आठ केंद्रीय बजट की तैयारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

First Published - February 22, 2025 | 7:44 PM IST

संबंधित पोस्ट