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उत्तर प्रदेश में सरकारी बस स्टेशनों को एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। योगी सरकार राजधानी लखनऊ सहित चार शहरों में एयरपोर्ट की तरह बसपोर्ट बनाएगी जहां यात्रियों को उच्च स्तरीय लग्जरी सुविधाएं व सेवा मिलेगी।
उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद, कौशांबी, प्रयागराज और लखनऊ में बसपोर्ट बनाने के लिए परिवहन विभाग ने विकासकर्ता कंपनी का चयन कर लिया है। इन शहरों में मौजूद बस स्टेशनों को उच्चीकृत कर उन्हें बसपोर्ट के रूप में विकसित किया जाएगा। रियल एस्टेट कंपनी ओमेक्स लिमिटेड को बस स्टेशनों को बसपोर्ट में परिवर्तित करने का जिम्मा सौंपा गया है। इन बस पोर्टों को तैयार होने में तीन से चार साल का समय लगेगा। प्रदेश सरकार के साथ निजी सार्वजनिक सहभागिता (पीपीपी) मॉडल के आधार पर बसपोर्ट बनाए जाएंगे।
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) के आधीन इस बस स्टेशनों को विकसित किए जाने के बाद के उनके संचालन व देखरेख का काम निजी कंपनी करेगी। परिवहन निगम के अधिकारियों ने बताया बसपोर्ट परियोजना के तहत पहली बार बस अड्डे पर एयरपोर्ट जैसी सुविधाएं दी जाएगी। राजधानी लखनऊ स्थित विभूति खंड के बस अड्डे के अलावा कौशांबी, गाजियाबाद व प्रयागराज में बसपोर्ट बनाए जायेंगे। इन सभी बसपोर्ट में एयर कंडीशनर वेटिंग लाउंज, टर्मिनल की तरह बसों की लाइव लोकेशन, रूट व टाइम चार्ट बनेगा। साथ ही सभी बसपोर्ट में फूड जंक्शन और टिकट व्यवस्था भी होगी। बसपोर्ट में यात्रियों की खरीदारी के लिए वातानुकूलित दुकान, एटीएम, मेडिकल स्टोर सहित अन्य कई सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी।
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अधिकारियों ने बताया कि लखनऊ के बसपोर्ट पर लगभग 500 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार के परिवहन निगम ने इसी साल जून में ही पीपीपी माडल पर गाजियाबाद के कौशाम्बी, कानपुर सेन्ट्रल, वाराणसी कैंट, सिविल लाईन्स प्रयागराज, राजधानी लखनऊ के विभूतिखण्ड गोमतीनगर, मेरठ, आगार के ट्रान्सपोर्ट नगर व ईदगाह बस स्टेशनों के साथ ही आगरा फोर्ट, अलीगढ़, मथुरा के पुराने स्टेशन, गाजियाबाद, गोरखपुर, चारबाग बस स्टेशन, जीरो रोड डिपो प्रयागराज, अमौसी लखनऊ, साहिबाबाद, अयोध्या सहित 18 बस अड्डों को निजी क्षेत्र के जरिए विकसित किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। प्रदेश सरकार की योजना के मुताबिक इन सरकारी बस स्टेशनों को मांल की तरह संवारा जाएगा जहां शापिंग कांप्लेक्स, होटल, रेस्टोरेंट, बैंक और लाउंज वगैरा बनाए जाएंगे। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के सरकारी बस स्टेशन ज्यादातर शहरों में पाश इलाकों में मौजूद हैं जिनके पास काफी तादाद में खाली जमीन भी है।
इससे पहले योगी सरकार के पिछले कार्यकाल में भी 17 सरकारी बस अड्डों को नया कलेवर देने की योजना बनी थी। इस प्रस्ताव को मंजूरी भी मिली थी और निविदाएं आमंत्रित करने की कवायद भी शुरू की गयी थी पर बीच में विधानसभा चुनाव आ जाने के चलते इस पर काम आगे नहीं बढ़ सका था।