UP housing board authority: उत्तर प्रदेश में घर खरीदने वालों के लिए सुनेहरा मौका है। यूपी हाउसिंग बोर्ड एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (UPAVP) सालों से बिना बिके बेकार पड़ी अथॉरिटी की सम्पतियों की नीलामी तथा उन्हें किराये पर देने की योजना बना रहा है।
प्रदेश में सालों से बिना बिके बेकार पड़ी विकास प्राधिकरण व आवास विकास परिषद की संपत्तियां जी का जंजाल बन गई हैं। बार बार पंजीकरण (registration) खोलने, पहले आओ पहले पाओ के तहत बिक्री खोलने के बाद इन आवासीय संपत्तियों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। प्राधिकरणों व आवास विकास परिषद का हजारों करोड़ रुपया इन संपत्तियों में फंसा हुआ है।
खाली पड़ी संपत्तियों को ठिकाने के लिए इन सरकारी आवास संस्थाओं ने इन्हें अब किराए पर उठाने का फैसला किया है। इसके अलावा बिना बिकी संपत्तियों को नीलामी के जरिए भी बेंचने की कवायद की जाएगी। साथ ही विकास प्राधिकरणों के साथ ही आवास विकास ने खाली पड़े फ्लैटों की कीमत घटाने का सिलसिला भी शुरू किया है।
प्राधिकरणों व आवास विकास ने व्यावसायिक संपत्तियों की तर्ज पर अब आवासीय संपत्तियों की भी नीलामी करने का फैसला किया है। इसका मकसद फंसे हुए पैसे को निकाल कर नयी योजनाओं के लिए धनराशि की व्यवस्था करना है।
आवास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्राधिकरणों व आवास विकास परिषद के तमाम फ्लैट सालों पहले बने हैं और इस बीच सर्किल रेट बढ़ने के चलते उनकी कीमत भी काफी बढ़ गयी है जिसके चलते इनकी बिक्री नहीं हो पा रही है।
हाल ही में आवास विकास व प्राधिकरणों ने फ्लैटों की कीमत में कुछ कमी करने के साथ इन्हें पहले आओ पहले पाओ के आधार पर बिक्री शुरू की थी। हालांकि इस कवायद के बाद भी अपेक्षित मात्रा में बिक्री नहीं हो सकी है। राजधानी लखनऊ में विकास प्राधिकरण ने अपनी एक योजना में फ्लैटों के दामों में 20 फीसदी तक कमी की है जबकि आवास विकास परिषद ने कई आवासीय योजनाओं में 5 से 12 फीसदी तक कीमत कम की हैं।
खाली पड़ी आवासीय संपत्तियों के निस्तारण के लिए प्रमुख सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण की अध्यक्षता में हुई बैठक में तय किया गया है कि फ्लैटों की लागत को आरक्षित मूल्य घोषित करते हुए नीलामी के आधार पर बिक्री की जाए।सबसे ज्यादा बोली लगाने वालो को संपत्ति की बिक्री कर दी जाए। इसके लिए नीलामी के मौके पर ही सारी प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाए।
इसके साथ ही आवास विभाग ने प्राधिकरणों व आवास विकास परिषद की व्यावसायिक संपत्तियों को किराए पर देने का भी फैसला किया है।
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने 2001 में प्राधिकरणों व आवास विकास की व्यावसायिक संपत्तियों को किराए पर उठाने पर रोक लगा दी है। अब उस नियम को शिथिल करते हुए सरकारी, अर्ध सरकारी व सार्वजनिक उपक्रमों को संपत्तियां किराए पर देने का भी फैसला कर लिया गया है। अधिक किराया देने वालों को ही अनुबंध के आधार पर संपत्ति दी जाएगी। संपत्तियों के रख-रखाव का जिम्मा भी किराएदारों को ही सौंपा जाएगा।