उत्तर प्रदेश में अब सरकारी आवासीय संस्थाएं विकास प्राधिकरण व आवास विकास परिषद मांग होने पर ही नए फ्लैट अथवा मकान बनाएंगे। किसी भी शहर में विकास प्राधिकरण नयी आवासीय योजना लाने से पहले सर्वे कराएगा। यह सर्वे मांग को लेकर होगा। जरुरत होने पर ही नए आवास बनाए जाएंगे।
उत्तर प्रदेश सरकार के आवास विभाग की ओर से तैयार किए गए प्रस्ताव के मुताबिक अब किसी भी सरकारी संस्था को नए मकान बनाने से पहले संबंधित शहर में मांग आधारित सर्वे कराना होगा। सर्वे के आधार पर ही नए मकान बनाए जाएंगे। आवास विभाग की इस गाइडलाइन को मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद लागू किया जाएगा। गाइडलाइन को लेकर प्रदेश के विभिन्न विकास प्राधिकरणों से सुझाव भी मांगे गए हैं। नई गाइडलाइन लागू हो जाने के बाद प्राधिकरण मनमाने तरीके से फ्लैट नहीं बना पाएंगे।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के ज्यादातर विकास प्राधिकरणों से लेकर आवास विकास परिषद में बड़ी तादाद में तैयार खड़े मकान बिक नहीं पा रहे हैं।
आवास विभाग के पास मौजूद आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश के विभिन्न शहरों में प्राधिकरण व आवास विकास परिषद के 29003 फ्लैट बिना बिके हुए खड़े हैं। इनमें करीब 10000 करोड़ रुपये की रकम फंसी हुई है। कई बार कीमतें घटाने और आकर्षक पेशकश के बाद भी इन मकानों के खरीददार नहीं मिल रहे हैं। इसका एक बड़ा कारण बिना मांग के मकान बनना है। आवास विकास और प्राधिकरण के बड़ी तादाद में आवासीय योजनाओं में बिना जरुरत के ही बहुमंजिला इमारतों में फ्लैट बना दिए हैं जबकि उनके लिए पूर्व में कोई बुकिंग तक नहीं हो पाई थी। बनकर खड़े इन मकानों को लेने के लिए खरीददार नहीं आ रहे हैं।
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अकेले राजधानी लखनऊ में ही विभिन्न आवासीय योजनाओं में लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) के 1600 के लगभग फ्लैट बिना बिके खड़े हैं।
प्राधिकरण ने इनकी बिक्री के लिए पहले आओ पहले पाओ, आन दि स्पाट बिक्री से लेकर तमाम जुगत की पर ग्राहक नहीं मिले हैं। फ्लैटों की बिक्री के लिए प्राधिकरण ने इन पर GST माफ करने से लेकर कीमत घटाने के उपक्रम भी किए हैं। फिर भी फ्लैटों को खरीददार नहीं मिल पा रहे हैं। इन हालात के चलते LDA ने पहले ही मकान बनाने से तौबा करते हुए केवल प्लॉटों की बिक्री का प्रस्ताव बनाया है।