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ई-कचरे की रिसाइक्लिंग में अव्वल नंबर है उत्तर प्रदेश

देश में ई-कचरा रिसाइकलिंग की 295 इकाइयां हैं, जिनमें सबसे ज्यादा 82 इकाइयां उत्तर प्रदेश में

Last Updated- December 08, 2024 | 10:49 PM IST
Uttar Pradesh is number one in recycling of e-waste ई-कचरे की रिसाइक्लिंग में अव्वल नंबर है उत्तर प्रदेश
Photo: Shutterstock

इलेक्ट्रॉनिक कचरे (ई-कचरा) के प्रबंधन और इस कचरे को नई सामग्रियों में बदलने (रिसाइकल) की कोशिश के तहत देश के विभिन्न राज्यों में कुल 295 रिसाइक्लिंग इकाइयां बनाई गई हैं। उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा कुल 82 रिसाइकल इकाइयां हैं। इसके बाद कर्नाटक का स्थान है जहां 45 रिसाइकल इकाइयां हैं और महाराष्ट्र में 43 तथा हरियाणा में 32 इकाइयां हैं। इन राज्यों के अलावा रिसाइकल इकाइयों में गुजरात (29 इकाई), तेलंगाना (15 इकाई) तमिलनाडु (13 इकाई), राजस्थान (10 इकाई) और मध्य प्रदेश (6 इकाई) का भी योगदान है। इसके अलावा कई अन्य राज्यों जैसे कि पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, असम, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और केरल में भी 1 से लेकर 6 इकाइयां तक हैं।

इन रिसाइक्लिंग फैक्टरियों का मकसद सिर्फ बड़ी तादाद में सालाना तैयार हो रहे ई-कचरे के अंबार का प्रबंधन करना ही नहीं है बल्कि एक ऐसी चक्रीय अर्थव्यवस्था की प्रणाली तैयार करना है जिसमें इन कचरे से निकली कीमती वस्तुओं का दोबारा इस्तेमाल किया जाता है। ई-कचरे का संदर्भ इस्तेमाल में न लाए जा रहे या फेंके हुए इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण शामिल हैं जिनमें सोलर फोटोवो​ल्टिक मॉड्यूल और पैनल भी शामिल है। इसके अलावा इस ई-कचरे में विनिर्माण और वस्तुओं को नया बनाने की प्रक्रिया में जो चीजें छंट जाती हैं वे सभी चीजें शामिल हैं।

बढ़ते ई-कचरे की समस्या का समाधान करने की पहल करते हुए सरकार ने ई-कचरा (प्रबंधन) नियम, 2022 पर अमल करना शुरू किया जो पहले के ई-कचरा (प्रबंधन) नियम, 2016 की जगह पर लाया गया था। अद्यतन नियम को 2 नवंबर 2022 को अ​धिसूचित किया गया था, जो विनिर्माणकर्ता, उत्पादकों, चीजों को नया बनाने वालों या उसे अलग-अलग करने वालों और रिसाइक्लिंग करने वालों पर लागू होता है और जो ई-कचरे के विनिर्माण, बिक्री, हस्तांतरण, खरीद, रिसाइक्लिंग और प्रसंस्करण में लगे होते हैं।

इन नियमों का मकसद जिम्मेदारी के साथ ई-कचरा प्रबंधन पर जोर देना और विनिर्माणकर्ताओं के लिए एक रिसाइक्लिंग लक्ष्य तय करना है। इसके तहत वित्त वर्ष 2025 तक 60 फीसदी ई-कचरा रिसाइक्लिंग का लक्ष्य तय है लेकिन यह विभिन्न सेक्टर के हिसाब से भी तय होगा। भारत में इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक कचरे के 7,226 उत्पादक हैं। देश में ई-कचरे की बढ़ोतरी की समस्या का समाधान करने के लिए इस तरह के केंद्रों की जरूरत है।

ई-कचरे में कई तरह की कीमती चीजें जैसे प्लास्टिक, लोहा, ग्लास, अल्युमीनियम, तांबा और कई महंगे धातु जैसे कि चांदी, सोना, प्लेटिनम, पलाडियम और कई दुर्लभ तत्व जैसे कि लैंथेंनम और नियोडाइमियम भी शामिल हैं। हालांकि इनमें कई खतरनाक चीजें भी शामिल होती हैं जैसे कि सीसा, कैडमियम, पारा और कई विषाक्त रसायन भी शामिल हैं जो ध्यान न दिए जाने पर पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिहाज से भी जोखिमपूर्ण साबित हो सकते हैं।

इन ई-कचरे का उचित निपटान महत्त्वपूर्ण है क्योंकि अगर गलत तरीके से इसका इस्तेमाल किया जाता है तो मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर इसका व्यापक असर पड़ता है। मिसाल के तौर पर अगर ई-कचरे से जरूरी चीजों को निकालने की प्रक्रिया किसी अवैज्ञानिक तरीके से की जाती है तो इससे हवा, जल और मिट्टी में खतरनाक तत्वों का प्रसार होता है। ई-कचरे में नुकसान पहुंचाने वाले कई खतरनाक वस्तुएं शामिल हैं।

First Published - December 8, 2024 | 10:49 PM IST

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