बड़ी तादाद में तैयार खड़े फ्लैटों की बिक्री न होने के चलते लखनऊ विकास प्राधिकरण ने नए निर्माण से तौबा कर लिया है। प्राधिकरण ने भविष्य में फ्लैट व मकान न बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है। प्रदेश सरकार की मंजूरी मिलते ही इसे लागू कर दिया जाएगा।
लखनऊ विकास प्राधिकरण अब केवल गरीबों के लिए दुर्बल आय वर्ग (EWS) व प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत ही नए फ्लैट बनाएगा जबकि अन्य किसी श्रेणी में नए फ्लैट नहीं बनाएगा। इस आशय का प्रस्ताव प्राधिकरण ने प्रदेश सरकार के पास भेजा है। सरकार की मंजूरी मिलते ही इस फैसले को लागू कर दिया जाएगा।
प्राधिकरण अधिकारियों का कहना है कि लंबे समय से तैयार खड़े फ्लैटों की बिक्री न होने के चलते घाटा बढ़ता जा रहा है। एक दशक से भी ज्यादा पुराने बने कई बहुमंजिला इमारतों के फ्लैट जर्जर हालात में पहुंच गए हैं। इनकी बिक्री से पहले प्राधिकरण को मरम्मत पर खासी रकम खर्च करनी होगी।
फिलहाल राजधानी लखनऊ में ही विभिन्न आवासीय योजनाओं में लखनऊ विकास प्राधिकरण के 1,600 के लगभग फ्लैट बिना बिके खड़े हैं। प्राधिकरण ने इनकी बिक्री के लिए पहले आओ पहले पाओ, ऑन दि स्पॉट बिक्री से लेकर तमाम जुगत की पर ग्राहक नहीं मिले हैं। फ्लैटों की बिक्री के लिए प्राधिकरण ने इन पर GST माफ करने से लेकर कीमत घटाने के उपक्रम भी किए हैं। फिर भी फ्लैटों को खरीददार नहीं मिल पा रहे हैं।
अधिकारियों का कहना है कि खाली फ्लैटों में से 500 के करीब तो जर्जर हो चुके हैं। इन्हें दोबारा से ठीक कराने के बाद ही बिक्री के लिए रखा जा सकता है। इसके अलावा खाली पड़े फ्लैटों के निर्माण में प्राधिकरण की 250 करोड़ रुपये के करीब पैसा फंसा हुआ है। विभिन्न सरकारी आवासीय संस्थाओं से कर्ज लेकर इन फ्लैटों का निर्माण प्राधिकरण ने करवाया था। अब इस कर्ज पर ब्याज के भुगतान का बोझ अलग से पड़ रहा है।
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अधिकारियों का यह भी कहना है कि इतनी बड़ी रकम फंस जाने के चलते नई योजनाओं में काम शुरू करने में भी दिक्कत आ रही है। आवास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लखनऊ, गाजियाबाद और कानपुर विकास प्राधिकरणों में सबसे ज्यादा दिक्कत तैयार फ्लैटों की बिक्री में आ रही है। इसका बड़ा कारण कीमतें ज्यादा होना और निजी विकासकर्ताओं से मिल रही प्रतिस्पर्धा है।
शासन से मंजूरी मिलने के बाद नई योजनाओं में केवल भूखंडों का आवंटन किया जाएगा। फ्लैटों के लिए ग्रुप हाउसिंग के तहत निजी विकासकर्ताओं को नीलामी के जरिए भूखंड दिया जाएगा। सबसे पहले इसकी शुरुआत प्राधिकरण की प्रस्तावित मोहान रोड योजना से की जाएगी।