उत्तर प्रदेश में सावन के महीने में जारी उमस और गर्मी के चलते बिजली की मांग (power demand) ने गर्मियों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। बीते एक सप्ताह से प्रदेश में मॉनसून ठप है और तापमान में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है। जबरदस्त गर्मी और उमस के चलते बिजली की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि देखी जा रही है। शुक्रावर को प्रदेश में बिजली की मांग 27,622 मेगावाट पहुंच गयी थी जो अब तक का सर्वाधिक है। इससे पहले इसी साल 13 जून को प्रदेश में बिजली की मांग 27,611 मेगावाट रही थी जो अब तक का रिकॉर्ड था।
बिजली की बढ़ती जा रही मांग को देखते हुए उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड ने रोस्टर में परिवर्तन कर सप्लाई के समय में मामूली कमी की है। बीते सप्ताह गांवों में पूर्व के रोस्टर के सापेक्ष 49 मिनट, छोटे शहरों में व बुंदेलखंड इलाके में 30 मिनट कम बिजली की सप्लाई की गयी है। हालांकि लोकल फाल्ट और ट्रांसफार्मर आदि के फुंकने से बिजली कटौती रोस्टर में तय समय से कहीं ज्यादा हो रही है।
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पावर कारपोरेशन के अधिकारियों का कहना है कि खपत बढ़ने के चलते 14,251 मेगावाट बिजली आयात करनी पड़ रही है। फिलहाल प्रदेश के सभी तापीय बिजली घरों से 4,069 मेगावाट तो विभिन्न राज्यों से किए गए बैंकिंग करार के मुताबिक 3,812 मेगावाट बिजली मिल पा रही है।
इस समय राज्य विद्युत उत्पादन निगम की 1,730 मेगावाट की चार इकाइयों में उत्पादन ठप है। ललितपुर में 660 मेगावाट, अनपरा में 200 मेगावाट की एक व 210 मेगावाट की एक अन्य ईकाई में उत्पादन ठप है। इसी तरह बारा में 660 मेगावाट की एक ईकाई में उत्पादन नहीं हो रहा है। अधिकारियों का कहना है कि ललितपुर की ईकाई टर्बाइन की गड़बड़ी के चलते बंद है जो कि 5 अगस्त तक चालू हो जाएगी। उत्पादन निगम की कोशिश अगले महीने तक इन सभी इकाइयों में उत्पादन शुरू कर देने की है।
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पावर कारपोरेशन का कहना है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल बिजली की मांग में औसत रूप से करीब 20 फीसदी का इजाफा हुआ है। कारपोरेश चेयरमैन एम देवराज का दावा है कि बढ़ी मांग के बावजूद सभी क्षेत्रों को निर्धारित शेड्यूल के मुताबिक बिजली दी जा रही है। उनका कहना है कि बिजली की बढ़ी मांग अभी अगले दो महीने तक जारी रहेगी। बिजली की बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए पावर कारपोरेशन इनर्जी एक्सचेंज से अतिरिक्त बिजली की खरीद करेगा।